पर्ल फार्मिंग : मोती की खेती की ट्रेनिंग लेकर शुरू कीजिए इसका पालन, एक साल में कमाई होगी 24 लाख रूपये की

किसान भाइयों, पर्ल फार्मिंग (मोती की खेती) कम लागत में लाखों की कमाई का शानदार तरीका है। ताजे पानी में सीपों से मोती उगाकर आप 6-8 महीने में बंपर मुनाफा कमा सकते हैं। भारत में, खासकर उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान में ये तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। एक एकड़ से 3-5 लाख रुपये सालाना कमाई हो सकती है। सरकार की प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) 60% तक सब्सिडी देती है। ट्रेनिंग लेकर इसे छोटे स्तर पर 25,000 रुपये से शुरू कर आय दोगुनी की जा सकती है। आइए जानें ट्रेनिंग, योजना, और खेती की पूरी जानकारी।

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पर्ल फार्मिंग की खासियत

पर्ल फार्मिंग में ताजे पानी की सीपों (मसल्स) में मोती उगाए जाते हैं। एक सीप 6-8 महीने में 2-3 डिज़ाइनर मोती देती है, जिनकी कीमत 300-1,500 रुपये/मोती है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में अच्छी क्वालिटी के मोती 10,000 रुपये तक बिकते हैं। ये कम पानी (1-1.5 मीटर गहराई) और छोटे तालाबों (10×10 फीट) में हो सकता है। लागत कम (25,000-50,000 रुपये छोटे स्तर पर) और मुनाफा ज्यादा है। मोती की माँग गहनों, कॉस्मेटिक्स, और आयुर्वेद में बढ़ रही है। कम मेहनत और रोग-मुक्त होने से ये छोटे किसानों के लिए आदर्श है।

तालाब या टैंक की व्यवस्था

पर्ल फार्मिंग के लिए छोटा तालाब या टैंक बनाएँ। 0.1-0.5 एकड़ तालाब (1-1.5 मीटर गहराई) शुरूआत के लिए काफी है। दोमट मिट्टी चुनें। तालाब को सुखाकर 50-100 किलो चूना और 500 किलो गोबर खाद डालें। साफ पानी (बोरवेल, नहर) भरें, pH 7-8 रखें। छोटे स्तर पर 10×10 फीट का टैंक (5,000-10,000 रुपये) बनाएँ। जलनिकासी और छाया की व्यवस्था करें। तालाब निर्माण में 1-2 लाख रुपये लगते हैं, लेकिन PMMSY से 40-60% सब्सिडी मिलती है। शुरुआत में 500-1,000 सीपों से शुरू करें।

सीपों के रोपण का तरीका

सीपें (लैमिडेंस मार्जिनलिस) विश्वसनीय हैचरी या मत्स्य विभाग से लें। एक सीप 7-10 रुपये में मिलती है। 10×10 फीट टैंक में 1,000-1,200 सीपें रख सकते हैं। सीपों में सर्जरी कर न्यूक्लियस (छोटा बीड) डाला जाता है, जो मोती बनाता है। सर्जरी के लिए ट्रेनिंग जरूरी है। सीपों को तालाब में बाँस या नेट के रैक पर रखें। हर 15 दिन में पानी की गुणवत्ता (pH, ऑक्सीजन 4-6 mg/लीटर) जाँचें। जुलाई-अगस्त में शुरू करें, ताकि मॉनसून का फायदा मिले। सही रोपण से 80-90% सीपें मोती देती हैं।

ट्रेनिंग की जानकारी

पर्ल फार्मिंग में सर्जरी और देखभाल के लिए ट्रेनिंग जरूरी है। निम्नलिखित संस्थान ट्रेनिंग देते हैं:

  • ICAR-सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फ्रेशवॉटर एक्वाकल्चर (CIFA), भुवनेश्वर, ओडिशा: 5-8 दिन का कोर्स, फीस 5,000-10,000 रुपये। सर्जरी, सीप प्रबंधन, मोती निकालने की ट्रेनिंग। संपर्क: www.cifa.nic.in

  • SMILE सोसाइटी, कोलकाता: 3-5 दिन का कोर्स, फीस 3,000-7,000 रुपये। छोटे किसानों के लिए प्रैक्टिकल ट्रेनिंग। संपर्क: www.pearlfarming.net

  • कृष्णा पर्ल फार्मिंग, गौतम बुद्ध नगर, यूपी: 3-5 दिन का कोर्स, फीस 5,000-10,000 रुपये, रहना-खाना शामिल। संपर्क: +91 8860493964

  • किसान हेल्पलाइन और KVK: स्थानीय स्तर पर 2-3 दिन की मुफ्त/कम खर्च वाली ट्रेनिंग। संपर्क: www.kisaanhelpline.com

ट्रेनिंग में सर्जरी, सीप चयन, मोती डिज़ाइन, और मार्केटिंग सिखाई जाती है। कई संस्थान ऑनलाइन कोर्स भी देते हैं। स्थानीय मत्स्य विभाग से मुफ्त ट्रेनिंग की जानकारी लें।

सरकारी योजनाएँ और सब्सिडी

सरकार पर्ल फार्मिंग को बढ़ावा दे रही है। प्रमुख योजनाएँ:

  • प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY): तालाब निर्माण, सीप खरीद, उपकरण पर 40-60% सब्सिडी। 1-2 लाख रुपये तक अनुदान। सामान्य वर्ग को 40%, SC/ST/महिलाओं को 60% सब्सिडी।

  • किसान क्रेडिट कार्ड (KCC): 3 लाख तक ब्याज-मुक्त लोन। तालाब, सीप, और ट्रेनिंग के लिए इस्तेमाल करें।

  • राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY): ट्रेनिंग और उपकरण पर 50% अनुदान। स्थानीय कृषि विभाग से संपर्क करें।

सब्सिडी के लिए मत्स्य विभाग या नजदीकी KVK में आवेदन करें। आधार, जमीन के कागज, और प्रोजेक्ट रिपोर्ट चाहिए। ये योजनाएँ लागत 50% तक कम करती हैं।

कमाई और दोगुनी आय

पर्ल फार्मिंग में लागत और मुनाफा देखें। छोटे स्तर पर (10×10 फीट टैंक, 1,000 सीप):

  • लागत: टैंक (5,000-10,000 रुपये), सीप (7,000-10,000 रुपये), खाद/उपकरण (5,000 रुपये), ट्रेनिंग (5,000 रुपये)। कुल: 25,000-30,000 रुपये।

  • उपज: 1,000 सीप से 2,000-3,000 मोती। 800 रुपये/मोती औसत से 16-24 लाख रुपये।

  • मुनाफा: 1-2 लाख रुपये 6-8 महीने में। सब्सिडी से लागत और कम होती है।

बड़े स्तर पर (0.5-1 एकड़): लागत 2-3 लाख रुपये, कमाई 10-15 लाख रुपये, मुनाफा 4-5 लाख रुपये सालाना। बिक्री से आय दोगुनी हो सकती है। उदाहरण: राजस्थान के गौरव पचौरी ने 21 महीने में 55 लाख रुपये कमाए।

सावधानियाँ

पर्ल फार्मिंग में सावधानी बरतें। विश्वसनीय हैचरी से सीप लें। ट्रेनिंग के बिना सर्जरी न करें। पानी की गुणवत्ता हर 15 दिन में जाँचें। ज्यादा सीप (1,200/10×10 फीट से ज्यादा) न डालें। स्थानीय ज्वैलर्स से बिक्री कॉन्ट्रैक्ट करें। छोटे स्तर से शुरू करें। मत्स्य विभाग से मुफ्त सलाह लें। पर्ल फार्मिंग आपकी मेहनत को दोगुनी कमाई में बदल सकता है।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र पिछले तिन साल से पत्रकारिता कर रहा हूँ मै ugc नेट क्वालीफाई हूँ भूगोल विषय से मै एक विषय प्रवक्ता हूँ , मुझे कृषि सम्बन्धित लेख लिखने में बहुत रूचि है मैंने सम्भावना संस्थान हिमाचल प्रदेश से कोर्स किया हुआ है |

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