PM-MKSSY 2025: सरकार दे रही ₹6000 करोड़, लेकिन सबको नहीं मिलेगा! जानिए कौन होगा फायदा पाने वाला

प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह-योजना (PM-MKSSY) भारत के मत्स्य पालन क्षेत्र में नीली क्रांति को बढ़ावा देने वाली प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) की नई उप-योजना है। 2023 में शुरू हुई इस योजना में 6,000 करोड़ रुपये का निवेश लक्ष्य रखा गया है, जो 2023-24 से 2026-27 तक मछुआरों, मछली विक्रेताओं, और सूक्ष्म-लघु उद्यमों की आय बढ़ाएगी। मत्स्य पालन मंत्रालय के अनुसार, यह योजना डिजिटल समावेशन, संस्थागत वित्त, और जैविक मत्स्य पालन को प्रोत्साहित करती है। 2025 में यह योजना मछुआरों को आत्मनिर्भर बनाने और भारत को विश्व में मछली निर्यात का केंद्र बनाने की दिशा में तेजी से बढ़ रही है। यह लेख PM-MKSSY की विशेषताएं, लाभ, चुनौतियां, और 2025 के परिप्रेक्ष्य में इसके प्रभाव को बताएगा।

PM-MKSSY क्या है

PM-MKSSY एक केंद्रीय क्षेत्र की उप-योजना है, जो PMMSY के तहत मछुआरों और मत्स्य उद्यमियों को समृद्ध बनाने के लिए शुरू की गई है। इसमें 6,000 करोड़ रुपये का निवेश है, जिसमें 50% (3,000 करोड़) सार्वजनिक वित्त (विश्व बैंक और AFD सहित) और 50% निजी क्षेत्र/लाभार्थियों से है। यह योजना 2023-24 से 2026-27 तक सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू है। इसका लक्ष्य मत्स्य पालन को औपचारिक बनाना, डिजिटल मंच (राष्ट्रीय मत्स्य डिजिटल प्लेटफॉर्म) बनाना, और मछली उत्पादों की आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करना है। ICAR के अनुसार, यह योजना 63 लाख मछुआरों और 45.59 लाख रोजगार अवसरों को बढ़ावा देगी।

योजना की विशेषताएं

PM-MKSSY मत्स्य पालन को आधुनिक और टिकाऊ बनाने के लिए कई सुविधाएं प्रदान करती है। यह राष्ट्रीय मत्स्य डिजिटल प्लेटफॉर्म (NFDP) के माध्यम से मछुआरों, विक्रेताओं, और प्रोसेसर्स को डिजिटल पहचान देती है, जिससे सरकारी योजनाओं तक पहुंच आसान होती है। योजना में संस्थागत वित्त (ऋण) की सुविधा है, जिसमें किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) के तहत 1.8 लाख मछुआरों को लाभ मिला है। जलीय कृषि बीमा पर 40% प्रीमियम प्रोत्साहन और प्रदर्शन-आधारित अनुदान दिए जाते हैं। नीम तेल और बायोफ्लॉक तकनीक जैसी जैविक विधियों को बढ़ावा दिया जाता है। योजना मछली उत्पादों की गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित करती है, जिससे घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार विस्तार होता है।

मछुआरों के लिए लाभ

PM-MKSSY मछुआरों, मछली विक्रेताओं, और सूक्ष्म-लघु उद्यमों की आय बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। KVK के अनुसार, यह योजना 5.97 लाख मछुआरा परिवारों को आजीविका और पोषण सहायता प्रदान करती है। झींगा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए फीड सामग्री (जैसे क्रिल भोजन, मछली लिपिड तेल) पर आयात शुल्क 15-30% से घटाकर 5-15% किया गया है, जिससे उत्पादन लागत 35% तक कम हुई है। एक मछुआरा प्रति हेक्टेयर 5 टन मछली उत्पादन कर 2-3 लाख रुपये/वर्ष कमा सकता है। योजना में महिलाओं और पिछड़े वर्गों के लिए 60% सब्सिडी और प्रशिक्षण की सुविधा है। eNAM और स्थानीय बाजारों में मछली बेचकर मुनाफा बढ़ाया जा सकता है।

रोजगार और बाजार विस्तार

PM-MKSSY ने 2025 तक मत्स्य पालन क्षेत्र में 11.46 लाख प्रत्यक्ष और 34.13 लाख अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित किए हैं। महिलाओं को जलीय कृषि, मछली प्रसंस्करण, और विपणन में विशेष अवसर मिल रहे हैं। राष्ट्रीय मत्स्य डिजिटल प्लेटफॉर्म मछुआरों को डिजिटल बाजारों से जोड़ता है, जिससे उनकी मछली सीधे उपभोक्ताओं तक पहुंचती है। Amazon और Flipkart जैसे प्लेटफॉर्म पर मछली उत्पाद बेचे जा सकते हैं। योजना मछली बंदरगाहों और कोल्ड स्टोरेज की स्थापना पर जोर देती है, जिससे पोस्ट-हार्वेस्ट नुकसान 20-25% से घटकर 10% हो गया है। निर्यात 2025 तक 1 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने का लक्ष्य है।

झींगा निर्यात और लागत में कमी

झींगा भारत का प्रमुख मत्स्य निर्यात उत्पाद है, जो 2022-23 में 43,135 करोड़ रुपये का निर्यात दे चुका है। PM-MKSSY ने झींगा फीड सामग्री (मछली भोजन, क्रिल भोजन, अल्गल प्राइम, विटामिन प्रीमिक्स) पर आयात शुल्क 15-30% से घटाकर 5-15% किया है। इससे फीड लागत 15-20% कम हुई है, और झींगा निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता 25% बढ़ी है। बायोफ्लॉक और RAS (रिसर्कुलेशन एक्वाकल्चर सिस्टम) जैसी तकनीकों ने उत्पादन को 270% बढ़ाया है। एक झींगा किसान प्रति हेक्टेयर 10-12 टन झींगा उत्पादन कर 5-7 लाख रुपये/वर्ष कमा सकता है। ICAR सलाह देता है कि जैविक फीड और प्रशिक्षण अपनाएं।

डिजिटल समावेशन और प्रशिक्षण

PM-MKSSY राष्ट्रीय मत्स्य डिजिटल प्लेटफॉर्म (NFDP) के जरिए मछुआरों को डिजिटल पहचान और सेवाएं प्रदान करती है। Report Fish Disease ऐप (2023 में लॉन्च) मछुआरों को मछली रोगों की त्वरित जानकारी और वैज्ञानिक सलाह देता है। KVK और NFDB प्रशिक्षण शिविर आयोजित करते हैं, जहां बायोफ्लॉक, केज कल्चर, और क्वालिटी सीड प्रोडक्शन सिखाया जाता है। महिलाओं और युवाओं के लिए विशेष कार्यशालाएं हैं। icar.gov.in पर बीज, फीड, और तकनीकी जानकारी उपलब्ध है। डिजिटल समावेशन से मछुआरे KCC और बीमा जैसी सुविधाओं तक पहुंच रहे हैं।

सरकारी सहायता और निवेश

PM-MKSSY में 3,000 करोड़ रुपये विश्व बैंक और AFD से, और 3,000 करोड़ रुपये निजी क्षेत्र से निवेशित हैं। राष्ट्रीय बागवानी मिशन की तरह, यह योजना 40% (सामान्य) और 60% (SC/ST/महिलाएं) सब्सिडी देती है। KCC के तहत 2 करोड़ रुपये तक ऋण बिना गारंटी मिलता है। PMMSY के तहत 2020-24 में 3,363.09 करोड़ रुपये आवंटित किए गए, जिसमें 2,309.08 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट स्वीकृत हैं। e-Gopala ऐप मछुआरों को बाजार और तकनीकी जानकारी देता है। pib.gov.in पर आवेदन और दिशानिर्देश उपलब्ध हैं।

चुनौतियां और समाधान

PM-MKSSY का प्रभाव दूरस्थ और हाशिए के मछुआरा समुदायों तक सीमित हो सकता है, जहां डिजिटल पहुंच और जागरूकता कम है। योजना की सफलता केंद्र, राज्य, और स्थानीय स्तर पर समन्वय पर निर्भर है। KVK और NFDB को दूरस्थ क्षेत्रों में शिविर बढ़ाने चाहिए। डिजिटल साक्षरता और मोबाइल ऐप प्रशिक्षण से पहुंच बढ़ सकती है। रूस-यूक्रेन युद्ध और मुद्रास्फीति ने फीड लागत बढ़ाई है, जिसे आयात शुल्क कटौती ने कम किया है। मछुआरों को eNAM और FPO से जोड़कर बाजार पहुंच बढ़ानी चाहिए।

2025 में प्रभाव

2025 में PM-MKSSY ने मछुआरों की आय को 30-40% बढ़ाया है। झींगा उत्पादन 11.84 लाख टन तक पहुंचा है, और निर्यात 1 लाख करोड़ रुपये के करीब है। 6 लाख मछुआरा परिवार आजीविका सहायता पा रहे हैं। महिलाएं मछली प्रसंस्करण इकाइयों में 20% रोजगार सृजन कर रही हैं। बायोफ्लॉक और RAS ने उत्पादन लागत 15% कम की है। NFDP ने 10 लाख मछुआरों को डिजिटल पहचान दी है। मछुआरे अपनी सफलता की कहानियां शेयर कर रहे हैं। योजना 2026-27 तक 55 लाख रोजगार सृजित करने की ओर अग्रसर है।

नीली क्रांति का नया दौर

PM-MKSSY 2025 में मछुआरों, मछली विक्रेताओं, और सूक्ष्म-लघु उद्यमों के लिए समृद्धि का नया रास्ता खोल रही है। 6,000 करोड़ रुपये का निवेश, डिजिटल समावेशन, और झींगा निर्यात पर जोर भारत को मत्स्य पालन में विश्व नेता बनाने की दिशा में काम कर रहा है। KVK, NFDB, और ICAR से प्रशिक्षण और सब्सिडी लें। राष्ट्रीय मत्स्य डिजिटल प्लेटफॉर्म से जुड़ें और आत्मनिर्भर बनें। यह योजना न केवल आय बढ़ाएगी, बल्कि आपके समुदाय और देश को समृद्ध बनाएगी।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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