Pulses Price: MSP से नीचे बिक रही दालें, क्या इस साल भी किसानों को नहीं मिलेगा सही भाव?

Pulses Price: इस साल मॉनसून में बारिश अच्छी होने वाली है, और इसका मतलब है कि हमारे खेतों में दालों की फसल भी बंपर होगी। भारत में दालों और अनाज से जुड़े बड़े संगठन के जानकारों का कहना है कि तुअर, चना, मसूर जैसी दालों की कीमतें इस साल नहीं बढ़ेंगी। इसका कारण है कि खेतों में फसल अच्छी हो रही है और बाजार में दालों की सप्लाई भी बढ़िया है। यानी न तो किसानों को दाल बेचने में दिक्कत होगी और न ही उपभोक्ताओं को खरीदने में।

तुअर की कीमत MSP से कम

हमारे देश में तुअर दाल की बात करें तो इस बार सरकार ने करीब साढ़े पाँच से छह लाख टन तुअर खरीदी है। फिर भी मंडियों में तुअर का भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP से कम चल रहा है। इस साल खरीफ सीजन के लिए MSP 7,550 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है, लेकिन गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और कर्नाटक की मंडियों में तुअर 6,000 से 7,200 रुपये प्रति क्विंटल के बीच बिक रही है। इसका मतलब है कि बाजार में दालों की कोई कमी नहीं है। यह खबर उन किसानों के लिए राहत की है जो तुअर की खेती करते हैं, क्योंकि उनकी फसल की डिमांड बनी रहेगी।

आयात से दालों की उपलब्धता बढ़ी

पिछले कुछ सालों में जब दालों की सप्लाई कम हुई थी, तब कीमतें आसमान छू रही थीं। लेकिन अब सरकार ने इस पर काबू पा लिया है। पिछले साल से लेकर अब तक सरकार ने पीली मटर, तुअर, उड़द और मसूर जैसी दालों का भारी आयात किया है। कुल मिलाकर 68 लाख टन दालें बाहर से मंगाई गई हैं, जिनकी कीमत अरबों रुपये है। इस साल मई में पीली मटर के शुल्क-मुक्त आयात की समय सीमा खत्म हो रही है, लेकिन तुअर और उड़द का आयात मार्च 2026 तक बिना शुल्क के चलेगा। इससे बाजार में दालों की कमी नहीं होगी, और कीमतें भी कंट्रोल में रहेंगी।

चना और मसूर भी MSP से नीचे

अब बात करते हैं चना और मसूर की। राजस्थान में चने का भाव MSP से कम चल रहा है, और मसूर भी सस्ती बिक रही है। जानकारों का कहना है कि ज्यादातर दालें इस समय MSP से नीचे हैं, और पूरे साल ऐसा ही रहने की उम्मीद है। यह खबर उन भाइयों के लिए अच्छी है जो दालों की खेती करते हैं, क्योंकि बाजार में उनकी फसल की मांग बनी रहेगी। साथ ही, गाँव में रहने वाले लोग जो दाल खरीदते हैं, उनके लिए भी यह राहत की बात है, क्योंकि दालें महंगी नहीं होंगी।

पीली मटर के आयात पर नजर

अब एक सवाल यह है कि पीली मटर के आयात को लेकर सरकार आगे क्या फैसला लेगी। मई के बाद इस पर नई नीति आएगी। क्या सरकार इसे फिर से शुल्क-मुक्त रखेगी या कुछ टैक्स लगाएगी, यह देखना बाकी है। लेकिन अच्छी बात यह है कि न सिर्फ भारत में, बल्कि दूसरे देशों में भी इस बार दालों की फसल अच्छी होने की उम्मीद है। इससे दालों की सप्लाई और बेहतर होगी।

ये भी पढ़ें- लहसुन के दाम में जबरदस्त गिरावट, किसानों को मंडियों में मिल रही इतनी कीमत

Author

  • Shashikant

    नमस्ते, मैं शशिकांत। मैं 2 साल से पत्रकारिता कर रहा हूं। मुझे खेती से सम्बंधित सभी विषय में विशेषज्ञता प्राप्‍त है। मैं आपको खेती-किसानी से जुड़ी एकदम सटीक ताजा खबरें बताऊंगा। मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको 'काम की खबर' दे सकूं। जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में बेहतर कर सके। ताजा खबरों के लिए आप Krishitak.com के साथ जुड़े रहिए।

    View all posts

Leave a Comment