पंजाब को मिले सबसे ज़्यादा 1,021 ड्रोन! हरियाणा-हिमाचल को कितना मिला? पूरी जानकारी

पंजाब, हरियाणा और हिमाचल के किसान भाइयों और बहनों के लिए खुशखबरी है। केंद्र सरकार की नमो ड्रोन दीदी योजना खेती को नया रंग देने जा रही है। इस योजना के तहत खेतों में ड्रोन से दवा और खाद का छिड़काव होगा, जिससे समय, पानी और मेहनत की बचत होगी। खास बात ये है कि गाँव की महिलाएँ इस योजना की सितारा बन रही हैं। आइए जानें कि ये योजना क्या है और ये आपके खेतों को कैसे बदल सकती है।

ड्रोन दीदियाँ ला रही हैं खेती में क्रांति

केंद्र सरकार ने नवंबर 2023 में नमो ड्रोन दीदी योजना शुरू की थी। इसका मकसद है खेती को आसान और आधुनिक बनाना। इस योजना के तहत गाँव की स्वयं सहायता समूहों (SHG) की महिलाओं को ड्रोन चलाने की ट्रेनिंग दी जा रही है। ये महिलाएँ, जिन्हें ड्रोन दीदी कहा जा रहा है, खेतों में ड्रोन से कीटनाशक और खाद का छिड़काव करेंगी। इससे न सिर्फ समय बचेगा, बल्कि फसल की पैदावार भी बढ़ेगी। सरकार का लक्ष्य है कि देशभर में 15,000 ड्रोन दीदियाँ तैयार हों और कम से कम दो करोड़ महिलाएँ लखपति बनें।

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पंजाब-हरियाणा को ड्रोन की सौगात

इस योजना के तहत पंजाब को सबसे ज्यादा 1,021 ड्रोन दिए गए हैं, जबकि हरियाणा को 583 और हिमाचल प्रदेश को 75 ड्रोन मिले हैं। अब तक पूरे देश में 1,094 ड्रोन स्वयं सहायता समूहों को बाँटे जा चुके हैं। पंजाब में 57 और हरियाणा में 102 महिलाओं को ड्रोन पायलट की ट्रेनिंग दी गई है। ये ड्रोन दीदियाँ गाँव-गाँव जाकर किसानों के खेतों में दवा और खाद छिड़क रही हैं, जिससे खेती का खर्चा कम हो रहा है और मुनाफा बढ़ रहा है।

सरकार का बड़ा समर्थन

केंद्र सरकार ने इस योजना के लिए 2023-24 से 2025-26 तक 1,261 करोड़ रुपये का बजट रखा है। हर स्वयं सहायता समूह को ड्रोन खरीदने के लिए 80 फीसदी तक की सब्सिडी मिलेगी, यानी ज्यादा से ज्यादा 8 लाख रुपये की मदद। इसके अलावा, समूह की एक महिला को 15 दिन की ड्रोन पायलट ट्रेनिंग और दूसरी को 5 दिन की ड्रोन सहायक ट्रेनिंग दी जाएगी। ये ट्रेनिंग मुफ्त होगी, ताकि गाँव की बहनें आसानी से नई तकनीक सीख सकें। इससे न सिर्फ उनकी कमाई बढ़ेगी, बल्कि वे अपने गाँव में एक नई मिसाल भी कायम करेंगी।

ड्रोन दीदियों की परेशानियों का हल

कृषि मंत्रालय ने माना है कि ड्रोन दीदियों को कुछ परेशानियाँ आ रही हैं, जैसे बैटरी की कमी और ड्रोन को एक जगह से दूसरी जगह ले जाना। बेंगलुरु के एक अध्ययन के मुताबिक, ड्रोन 7-8 मिनट में एक एकड़ खेत को कवर कर लेते हैं, लेकिन उनकी बैटरी 5-20 मिनट तक ही चलती है। इस समस्या को हल करने के लिए हर ड्रोन के साथ एक स्टैंडर्ड बैटरी और चार अतिरिक्त बैटरियाँ दी जा रही हैं। साथ ही, 42.68 फीसदी ड्रोन दीदियों को परिवहन की दिक्कत थी। इसके लिए सरकार ने कृषि यंत्रीकरण उप-मिशन के तहत 80 फीसदी की वित्तीय मदद देने का फैसला किया है, ताकि समूह बहुउपयोगी वाहन खरीद सकें, जो ड्रोन ले जाने में भी मदद करेगा।

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किसानों के लिए फायदे

ये योजना न सिर्फ ड्रोन दीदियों के लिए, बल्कि किसानों के लिए भी वरदान है। ड्रोन से खेतों में दवा और खाद छिड़कने से पानी और समय की बचत होती है। एक एकड़ खेत में काम सिर्फ 7-8 मिनट में हो जाता है। इससे खेती का खर्चा कम होगा और फसल की क्वालिटी बेहतर होगी। पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में, जहाँ खेती बड़े पैमाने पर होती है, ये ड्रोन किसानों के लिए गेम-चेंजर साबित होंगे। साथ ही, ड्रोन दीदियाँ गाँव में नई तकनीक और कमाई का ज़रिया बनेंगी।

नमो ड्रोन दीदी योजना गाँव की महिलाओं को सशक्त बनाने का एक शानदार मौका है। ये ड्रोन दीदियाँ न सिर्फ खेतों में तकनीक ला रही हैं, बल्कि अपने परिवार और गाँव का नाम भी रोशन कर रही हैं। अगर आप भी इस योजना का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो अपने नज़दीकी स्वयं सहायता समूह से संपर्क करें। ये योजना आपके खेतों और गाँव की तस्वीर बदल सकती है।

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  • Shashikant

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