पूसा अरहर-16 किस्म से कम समय में ज़्यादा मुनाफ़ा, जानिए बीज कहां और कैसे खरीदें?

Pusa Arhar-16 Variety: भारत में अरहर की खेती किसानों के लिए नकदी फसल का बड़ा ज़रिया है, और पूसा अरहर-16 इसकी सबसे चर्चित किस्म बन चुकी है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई), नई दिल्ली ने इस अरहर किस्म को विकसित किया है, जो कम समय में बंपर उपज देती है। ये किस्म न सिर्फ़ जल्दी पकती है, बल्कि इसकी दाल की गुणवत्ता भी शानदार है। पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों के बीच इसकी मांग तेज़ी से बढ़ रही है। लेकिन इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि ये सिर्फ़ 120 दिनों में तैयार हो जाती है, जिससे किसान रबी की फसलें भी आसानी से उगा सकते हैं।

पूसा अरहर-16 (Pusa Arhar-16 Variety) की खासियत

पूसा अरहर-16 एक अर्ध-बौनी किस्म है, जिसके पौधे 95 से 120 सेमी ऊंचे होते हैं। ये पौधे सीधे खड़े रहते हैं और मज़बूत होते हैं, जिससे आंधी-तूफान में भी फसल को नुकसान नहीं होता। इसकी बुवाई जून के पहले हफ्ते से जुलाई के दूसरे हफ्ते तक की जा सकती है। ये ज़ायद और खरीफ दोनों मौसम में उगाई जा सकती है। इस किस्म की औसत उपज 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, और 100 दानों का वज़न 7.4 ग्राम होता है।

इसकी दाल में 23.5 फीसदी प्रोटीन होता है, जो इसे बाज़ार में खास बनाता है। इसकी समकालिक परिपक्वता और अर्ध-बौना स्वरूप यांत्रिक कटाई को आसान बनाता है। साथ ही, कीटों को नियंत्रित करने के लिए कीटनाशक का छिड़काव भी आसानी से हो जाता है।

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बुवाई का सही तरीका

पूसा अरहर-16 (Pusa Arhar-16 Variety) की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी है। खेत में पानी की निकासी का अच्छा इंतज़ाम होना चाहिए, क्योंकि पानी का जमाव फसल को नुकसान पहुंचा सकता है। बुवाई के लिए पंक्तियों के बीच 30 सेमी और पौधों के बीच 10 सेमी की दूरी रखें। इससे प्रति हेक्टेयर 3.3 लाख पौधों की सघन आबादी हो सकती है, जो उपज को बढ़ाती है। बुवाई से पहले बीजों को 2.5 ग्राम थीरम और 1 ग्राम कार्बेंडाजिम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें।

राइजोबियम कल्चर से बीज उपचार करने से फफूंदी रोगों का खतरा कम होता है। प्रति एकड़ 10-12 किलो बीज पर्याप्त है। बुवाई मेड़ों पर करें, ताकि पानी का जमाव और फफूंदी रोगों से बचा जा सके। खाद के लिए मिट्टी की जांच के बाद 10-15 किलो नाइट्रोजन, 40-50 किलो फास्फोरस और 20 किलो सल्फर प्रति हेक्टेयर डालें।

बीज कहां से खरीदें

पूसा अरहर-16 का बीज केवल भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई), नई दिल्ली से ही मिलता है। पूसा संस्थान के बीज विक्रय काउंटर से आप इसे खरीद सकते हैं। संस्थान की वेबसाइट http://pusabeej.iari.res.in/ के ज़रिए ऑनलाइन बुकिंग की जा सकती है, और बीज कूरियर से आपके घर भी पहुंचाया जा सकता है। पूसा संस्थान के संपर्क नंबर 011-25842686 और 011-25845162 पर भी जानकारी ली जा सकती है। लेकिन ध्यान रहे, 2024 में इस किस्म के बीज 28 फरवरी को ही बिक चुके थे, क्योंकि पंजाब और हरियाणा के किसानों ने भारी मांग की थी। पूसा कृषि विज्ञान मेला 2024 रद्द होने की वजह से बीज सीधे काउंटर पर बिक गए। अब ये बीज 2025 में उपलब्ध होंगे।

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नकली बीज से रहें सावधान

पूसा अरहर-16 (Pusa Arhar-16 Variety) की बढ़ती मांग की वजह से बाज़ार में नकली बीज बेचने की कोशिशें हो रही हैं। कई ऑनलाइन स्रोत और कंपनियां इस नाम से बीज बेचने का दावा करती हैं, लेकिन विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि बीज सिर्फ़ पूसा संस्थान से ही खरीदें। नकली बीज से न सिर्फ़ पैसा बर्बाद होता है, बल्कि फसल की गुणवत्ता और उपज भी प्रभावित होती है। इसलिए, केवल http://pusabeej.iari.res.in/ से बुकिंग करें या पूसा संस्थान के बीज काउंटर से संपर्क करें। बुकिंग के बाद बीज 10 दिनों के भीतर पूसा संस्थान, नई दिल्ली से लेना होगा, क्योंकि बुकिंग रद्द करने की सुविधा नहीं है।

मुनाफे का सुनहरा मौका

पूसा अरहर-16 (Pusa Arhar-16 Variety) की खेती किसानों के लिए कई तरह से फायदेमंद है। ये 120 दिनों में पककर तैयार हो जाती है, जिससे रबी की फसलें जैसे गेहूं, सरसों या आलू आसानी से उगाई जा सकती हैं। इसकी खेती मिट्टी की उर्वरता बढ़ाती है, जिससे अगली फसल को भी फायदा होता है। बाज़ार में अरहर की दाल की अच्छी मांग है, और इसकी शानदार गुणवत्ता के चलते अच्छा दाम मिलता है। अगर वैज्ञानिक तरीके से खेती करें, तो लागत कम लगती है और प्रति हेक्टेयर 20 क्विंटल तक उपज मिल सकती है। छोटे किसानों के लिए भी ये किस्म कम खर्च में मोटा मुनाफा देती है।

पूसा अरहर-16 (Pusa Arhar-16 Variety) की खेती न सिर्फ़ समय और मेहनत बचाती है, बल्कि किसानों की जेब भी भरती है। 2025 में बीज की उपलब्धता के लिए पूसा संस्थान की वेबसाइट पर नज़र रखें और समय पर बुकिंग करें। नकली बीजों से बचें और इस उन्नत किस्म से अपनी खेती को नई ऊंचाइयों तक ले जाएं।

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  • Shashikant

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