किसान भाइयों, गोभी एक ऐसी हरी सब्जी है, जो हर मौसम में बाजार में छाई रहती है। अगर आप जुलाई-अगस्त में अगेती बुवाई कर जल्दी फसल लेना चाहते हैं, तो पूसा अर्ली सिंथेटिक गोभी आपके लिए शानदार विकल्प है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR)-IARI, पूसा, नई दिल्ली द्वारा विकसित यह अगैती किस्म 60-70 दिन में पककर 300-350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज देती है।
इसका मध्यम आकार का, गोलाकार, और हल्का हरा फूल बाजार में खूब पसंद किया जाता है। उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, और हिमाचल प्रदेश जैसे क्षेत्रों में यह किस्म किसानों की पसंद बन चुकी है। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के किसान मनोज सिंह ने बताया कि इसकी खेती से उनकी फसल नवंबर में तैयार हुई और 10 रुपये/किलो के दाम से 2.5 लाख रुपये का मुनाफा हुआ। यह किस्म कम समय में तैयार होकर खेत को दूसरी फसल के लिए जल्दी खाली करती है।
पूसा अर्ली सिंथेटिक की खासियतें
पूसा अर्ली सिंथेटिक गोभी की सबसे बड़ी खूबी इसकी तेजी से पकने की क्षमता है। यह 60-70 दिन में कटाई के लिए तैयार हो जाती है, जिससे किसान नवंबर-दिसंबर में बाजार में ऊँचे दाम पा सकते हैं। इसके फूल मध्यम आकार के, गोल, ठोस, और 1-1.5 किलो वजनी होते हैं। हल्का हरा रंग और कड़क बनावट इसे आकर्षक बनाती है। यह 15-25 डिग्री सेल्सियस तापमान में बेहतर प्रदर्शन करती है, जो अगेती बुवाई के लिए उपयुक्त है।
यह काला सड़न (ब्लैक रॉट) और झुलसा रोग के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है। अनुकूल परिस्थितियों में यह 360 क्विंटल/हेक्टेयर तक उपज दे सकती है। बिहार के मुजफ्फरपुर में किसानों ने इसकी खेती से प्रति हेक्टेयर 3.2 लाख रुपये तक कमाए। इसका कुरकुरा स्वाद इसे सलाद, सब्जी, और अचार के लिए आदर्श बनाता है, और इसकी ठोस बनावट लंबे समय तक ताजगी बनाए रखती है।
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खेती का वैज्ञानिक तरीका
पूसा अर्ली सिंथेटिक गोभी की खेती के लिए दोमट या रेतीली दोमट मिट्टी सर्वोत्तम है। नर्सरी के लिए 400-500 ग्राम बीज प्रति हेक्टेयर पर्याप्त हैं। जुलाई के मध्य से अगस्त तक नर्सरी में बुवाई करें और 25-30 दिन पुरानी पौध को अगस्त अंत से सितंबर मध्य तक खेत में रोपें। खेत को दो बार जोतकर समतल करें और 25-30 टन गोबर खाद डालें। उर्वरक के लिए 100 किलो नाइट्रोजन, 50 किलो फॉस्फोरस, और 50 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर डालें।
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पूरी फॉस्फोरस और पोटाश बुवाई के समय दें, जबकि नाइट्रोजन का आधा हिस्सा बुवाई के समय और बाकी टॉप ड्रेसिंग के रूप में 25 दिन बाद दें। पंक्ति से पंक्ति की दूरी 45 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 30 सेंटीमीटर रखें। नर्सरी में हर 3 दिन पर हल्की सिंचाई करें और खेत में रोपाई के बाद हर 7-8 दिन पर सिंचाई करें। पहली निराई-गुड़ाई 20 दिन बाद और दूसरी 35 दिन बाद करें। पंजाब के जालंधर में इस तकनीक से उपज 18% बढ़ी।
रोग और कीटों से बचाव
पूसा अर्ली सिंथेटिक गोभी काला सड़न और झुलसा रोग के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है, लेकिन सावधानी बरतना जरूरी है। काला सड़न के लिए कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (3 ग्राम/लीटर) का छिड़काव 30 दिन बाद करें। झुलसा रोग के लिए मैनकोजेब (2.5 ग्राम/लीटर) का उपयोग करें। पत्ता लपेटक कीट से बचाव के लिए नीम तेल (5 मिली/लीटर) या स्पिनोसैड (0.5 मिली/लीटर) का छिड़काव करें।
सफेद मक्खी के लिए इमिडाक्लोप्रिड (0.3 मिली/लीटर) का उपयोग प्रभावी है। खरपतवार नियंत्रण के लिए पेंडिमेथालिन (1 किलो/हेक्टेयर) का प्री-इमर्जेंस छिड़काव करें। रोगग्रस्त पौधों को उखाड़कर नष्ट करें और स्वस्थ बीज का उपयोग करें। हरियाणा के करनाल में इन उपायों से उपज 15% बढ़ी। फसल को 60-70 दिन में काटें, जब फूल कड़क और हल्के हरे हों।
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बाजार में बम्पर डिमांड
पूसा अर्ली सिंथेटिक गोभी के फूलों की ठोस बनावट के कारण यह 1-2 महीने तक सामान्य भंडारण में ताजा रहता है। इसका हल्का हरा रंग और कुरकुरा स्वाद इसे सलाद, सब्जी, और अचार के लिए लोकप्रिय बनाता है। इसका ड्राई मैटर कंटेंट 6-8% होने से यह प्रोसेसिंग (जैसे चिप्स) के लिए कम उपयुक्त है, लेकिन स्थानीय और घरेलू बाजारों में इसकी मांग हमेशा बनी रहती है। नवंबर-दिसंबर में गोभी की कमी के कारण यह 8-12 रुपये/किलो का दाम पाती है। उत्तराखंड के हरिद्वार में किसानों ने इसके भंडारण और बाजार मांग की तारीफ की।
पूसा अर्ली सिंथेटिक गोभी से मुनाफा
पूसा अर्ली सिंथेटिक गोभी की अगेती बुवाई से किसान नवंबर-दिसंबर में फसल बेचकर 8-12 रुपये/किलो का दाम पा सकते हैं। 300-350 क्विंटल/हेक्टेयर उपज से 2.5-4 लाख रुपये की कमाई हो सकती है। लागत 80,000-1 लाख रुपये/हेक्टेयर आती है, जिसमें बीज, खाद, और मजदूरी शामिल है। शुद्ध मुनाफा 1.5-3 लाख रुपये तक हो सकता है।
ICAR-IARI के एक अध्ययन के अनुसार, इस किस्म ने उत्तर भारत में गोभी की खेती को 22% अधिक लाभकारी बनाया। बिहार के वैशाली में किसानों ने इसकी तेजी और रोग प्रतिरोध की सराहना की। किसान भाई ICAR-IARI, पूसा, नई दिल्ली, या नजदीकी कृषि विश्वविद्यालय से प्रमाणित बीज और सलाह लें। पूसा अर्ली सिंथेटिक से कम समय में बंपर मुनाफा कमाएँ और खेती को नई ऊँचाइयों तक ले जाएँ।
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