सबसे ज्यादा पैदावार देने वाली बरसाती खीरे की किस्में, एक एकड़ से कमाइए 3 लाख रुपये

खीरा एक ऐसी सब्जी है, जो सलाद, रायता, और व्यंजनों में हर घर की रसोई में इस्तेमाल होती है। बरसात के मौसम में खीरे की माँग बढ़ जाती है, क्योंकि यह शरीर में पानी की कमी को पूरा करता है। बरसाती खीरा की खेती किसानों के लिए कम समय में अच्छा मुनाफा दे सकती है। सही तकनीक और देखभाल से आप प्रति एकड़ 10-15 टन खीरा पैदा कर सकते हैं, जिससे 2 लाख रुपये तक की कमाई हो सकती है। यह फसल रेतीली और दोमट मिट्टी में अच्छी होती है, और इसे खेत या पॉलीहाउस में उगाना आसान है। आइए, जानते हैं कि बरसात में खीरा की खेती कैसे करें।

सही समय और जलवायु

बरसात में खीरे की बुआई जून से जुलाई के बीच सबसे अच्छी होती है। यह मौसम खीरे के लिए आदर्श है, क्योंकि 20 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान और 70-80% आर्द्रता इसके विकास के लिए उपयुक्त होती है। अधिक बारिश या पानी जमा होने से फसल को नुकसान हो सकता है, इसलिए जल निकासी का ध्यान रखना ज़रूरी है। खीरे की फसल ठंड और पाले को सहन नहीं कर सकती, इसलिए बरसात के बाद अगर तापमान बहुत गिर जाए, तो पौधों को ढकने की व्यवस्था करें। पर्वतीय क्षेत्रों में बुआई मार्च से जून तक की जा सकती है। सही समय पर बुआई से फसल 40-45 दिनों में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है।

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मिट्टी और खेत की तैयारी

खीरे की खेती के लिए बलुई दोमट या दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है, जिसका पीएच मान 6 से 7 के बीच हो। रेतीली मिट्टी में भी अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है, बशर्ते जल निकासी की व्यवस्था हो। खेत की 3-4 बार गहरी जुताई करें, ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए। जुताई के समय 8-10 टन प्रति एकड़ गोबर की सड़ी खाद या 4-5 टन वर्मीकम्पोस्ट मिलाएँ। यह मिट्टी को पोषक तत्व देता है और फसल की वृद्धि बढ़ाता है। खेत में 1.5-2 मीटर की दूरी पर मेड़ या क्यारियाँ बनाएँ, ताकि पानी जमा न हो। बुआई से पहले खेत को पाटा लगाकर समतल करें। अगर खेत में नमी ज़्यादा है, तो ड्रिप इरिगेशन का उपयोग करें।

बीज चयन और बुआई का तरीका

खीरे की उन्नत किस्में जैसे पूसा बरखा, पूसा उदय, पंजाब नवीन, और स्वर्ण अगेती बरसात के लिए उपयुक्त हैं। पूसा बरखा खासकर नमी और रोगों को सहन करने में सक्षम है। प्रति एकड़ 300-350 ग्राम बीज पर्याप्त हैं। बुआई से पहले बीजों को 2 ग्राम प्रति किलोग्राम की दर से बाविस्टीन या कप्तान से उपचारित करें, ताकि फफूंदी और कीटों से बचाव हो। बीजों को 2-3 सेंटीमीटर गहराई में और 45-60 सेंटीमीटर की दूरी पर गड्ढों में बोएँ। प्रत्येक गड्ढे में 3-4 बीज डालें, और अंकुरण के बाद 1-2 स्वस्थ पौधे छोड़कर बाकी हटा दें। बुआई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें।

सिंचाई और खरपतवार नियंत्रण

बरसात में खीरे की फसल को ज़्यादा सिंचाई की ज़रूरत नहीं होती, लेकिन जल निकासी का विशेष ध्यान रखें। अगर बारिश कम हो, तो 4-5 दिन के अंतराल पर हल्की सिंचाई करें। ड्रिप इरिगेशन का उपयोग पानी की बचत करता है और पौधों को सही मात्रा में नमी देता है। खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए बुआई के 15-20 दिन बाद पहली निराई-गुड़ाई करें। बरसात में खरपतवार तेज़ी से बढ़ते हैं, इसलिए 2-3 बार गुड़ाई करें। जैविक खरपतवार नियंत्रण के लिए नीम का काढ़ा (2 मिली प्रति लीटर पानी) छिड़कें। रासायनिक नियंत्रण के लिए ग्लाइफोसेट (1.6 लीटर प्रति 150 लीटर पानी) का उपयोग करें, लेकिन इसे फसल पर न छिड़कें।

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कीट और रोगों से बचाव के उपाय

बरसात में खीरे की फसल (Rainy Season Cucumber Farming) में रुट रॉट, पाउडरी मिल्ड्यू, और रस चूसक कीटों का खतरा रहता है। रुट रॉट से बचने के लिए जल जमाव रोकें और ट्राइकोडर्मा (5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज) से बीज उपचार करें। पाउडरी मिल्ड्यू के लिए सल्फर-आधारित कवकनाशी (2 ग्राम प्रति लीटर पानी) का छिड़काव करें। रस चूसक कीटों के लिए नीम तेल (2 मिली प्रति लीटर पानी) या इमिडाक्लोप्रिड (0.5 मिली प्रति लीटर पानी) का उपयोग करें। जैविक उपाय के रूप में 10-15 दिन के अंतराल पर गौमूत्र और नीम काढ़े का छिड़काव करें। नियमित रूप से खेत की जाँच करें और प्रभावित पौधों को तुरंत हटाएँ।

तुड़ाई और मुनाफा का हिसाब

खीरे की तुड़ाई 40-45 दिन बाद शुरू हो जाती है, जब फल 15-20 सेंटीमीटर लंबे और हरे हों। सुबह के समय तुड़ाई करें, ताकि फल ताज़ा रहें। एक एकड़ में 10-15 टन उत्पादन हो सकता है, और बाजार में प्रति क्विंटल 1000-2000 रुपये मिल सकते हैं। लागत 25,000-40,000 रुपये के बीच आती है, और मुनाफा 80,000-2 लाख रुपये तक हो सकता है। खीरे को ठंडे स्थान पर स्टोर करें और सेब या टमाटर के साथ न रखें, ताकि यह जल्दी खराब न हो।

बरसाती खीरा की खेती आसान और मुनाफेदार है। सही किस्म, अच्छी मिट्टी, और समय पर देखभाल से आप बंपर पैदावार ले सकते हैं। ड्रिप इरिगेशन, जैविक खाद, और सरकारी योजनाओं का उपयोग करके लागत कम करें और मुनाफा बढ़ाएँ।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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