राजस्थान में आत्मा योजना की शुरुवात 45 महिला कृषकों का भ्रमण शुरू, नई तकनीकों से बढ़ेगी आय

राजस्थान के नवलगढ़ से आत्मा योजना के अंतर्गत 45 महिला कृषकों का एक दल कृषि भ्रमण के लिए रवाना हुआ है। यह पांच दिवसीय यात्रा महिला किसानों को नई कृषि तकनीकों से परिचित कराने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है। कृषि विभाग के अधिकारियों ने दल को हरी झंडी दिखाकर शुभकामनाएँ दीं। विभाग का मानना है कि इस तरह के भ्रमण से महिलाएँ अपनी खेती को और बेहतर बना सकती हैं। कई महिला किसानों ने बताया कि यह यात्रा उनकी आय बढ़ाने और नई विधियों को अपनाने में मददगार साबित होगी।

भ्रमण के दौरान दौरा स्थल

इस यात्रा में दल जयपुर के कृषि विज्ञान केंद्र चोमू, अजमेर की कृषि उपज मंडी समिति, राष्ट्रीय बीज अनुसंधान केंद्र और कृषि विज्ञान केंद्र का दौरा करेगा। इसके अलावा राजसमंद, मडगांव, उदयपुर की एमपीयूटी और चित्तौड़गढ़ की राजहंस नर्सरी भी शामिल हैं। इन स्थलों पर महिलाएँ व्यावहारिक प्रशिक्षण लेंगी। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि यह दौरा महिलाओं को विभिन्न क्षेत्रों की कृषि पद्धतियों से परिचित कराएगा, जो उनके खेतों में लागू करने लायक होंगी।

नई तकनीकों पर प्रशिक्षण

भ्रमण के दौरान महिला किसानों को जैविक खेती, हाईटेक उद्यानिकी, पशुपालन और नर्सरी प्रबंधन की जानकारी मिलेगी। मसाला खेती, वर्षा जल संरक्षण, प्राकृतिक खेती और रबी फसलों की उन्नत किस्मों पर फोकस होगा। कीट प्रबंधन और मिट्टी स्वास्थ्य जैसे विषय भी शामिल हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, ये तकनीकें पानी की बचत और पैदावार बढ़ाने में उपयोगी हैं। महिला किसानों ने कहा कि यह प्रशिक्षण उनकी दैनिक खेती को आसान बनाएगा और उत्पादन बढ़ाएगा।

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योजना का उद्देश्य और लाभ

आत्मा योजना का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को कृषि में सशक्त बनाना है। यह भ्रमण दल योजना के तहत चुना गया है, जिसमें कृषि अधिकारी और पर्यवेक्षक दल का नेतृत्व कर रहे हैं। विभाग का कहना है कि इससे महिलाएँ आत्मनिर्भर होंगी और उनके परिवार की आय बढ़ेगी। कई महिलाओं ने बताया कि पहले वे पारंपरिक तरीकों से खेती करती थीं, लेकिन अब नई तकनीकें अपनाकर बेहतर परिणाम मिलेंगे। यह योजना ग्रामीण महिलाओं को कृषि नवाचारों से जोड़ रही है।

महिला किसानों के लिए सलाह

महिला किसानों को सलाह है कि वे अपने नजदीकी कृषि केंद्र से संपर्क करें और आत्मा योजना के बारे में जानकारी लें। भ्रमण जैसे कार्यक्रमों में भाग लें, ताकि नई तकनीकें सीख सकें। जैविक खाद और जल संरक्षण के तरीके अपनाने से खेती की लागत कम होगी। अगर आपके क्षेत्र में ऐसी योजनाएँ हैं, तो आवेदन करें। यह कदम न सिर्फ आय बढ़ाएगा, बल्कि पर्यावरण को भी फायदा पहुँचाएगा।

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  • Shashikant

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