देशभर में छा गई पूसा की हल्दी ‘राजेंद्र सोनिया’, बढ़ी मांग ने किसानों को दी नई उम्मीद

किसान भाइयों, इस पल हम बात करने जा रहे हैं राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा (समस्तीपुर) की उस शानदार उपलब्धि की, जिसने हल्दी की खेती को नई दिशा दी है। विश्वविद्यालय द्वारा विकसित राजेंद्र सोनिया हल्दी की देशभर में जबरदस्त मांग देखी जा रही है। इस हल्दी में कुर्कुमिन तत्व की मात्रा 6% से 8.5% तक पाई गई है, जो इसे अन्य किस्मों से कहीं अधिक प्रभावशाली बनाता है। कुलपति डॉ. पी.एस. पांडेय के नेतृत्व में वैज्ञानिकों ने इसकी गुणवत्ता को प्रमाणित किया है, और अब सरकारी-गैर सरकारी संस्थानों से लेकर किसानों तक इसकी मांग बढ़ रही है। आइए, इस हल्दी के फायदों, खेती के लाभ, और इसे अपनाने के तरीकों को विस्तार से जानते हैं।

राजेंद्र सोनिया, कुर्कुमिन का शक्तिशाली स्रोत

राजेंद्र सोनिया हल्दी में कुर्कुमिन की उच्च मात्रा इसे खास बनाती है। यह तत्व एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इन्फ्लेमेटरी, और कैंसर रोधी गुणों से भरपूर है, जो हृदय रोग, सूजन, और कई बीमारियों से बचाव में मदद करता है। विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने डॉ. पी.एस. पांडेय के निर्देश पर इसकी वैज्ञानिक वर्गीकरण प्रक्रिया पूरी की, जिसमें कुर्कुमिन समेत अन्य पोषक तत्वों की पहचान हुई। इसकी गुणवत्ता प्रमाणित होने के बाद यह हल्दी देश के कोने-कोने में लोकप्रिय हो रही है। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों से इसकी बीज और उपज की मांग बढ़ रही है।

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समस्तीपुर से शुरू, देशभर में छाई

(Rajendra Sonia Haldi Farming) समस्तीपुर जिला, जहां हल्दी की खेती पहले से होती थी, अब राजेंद्र सोनिया के कारण एक नई क्रांति का गवाह बन रहा है। इस किस्म की पैदावार न केवल बढ़ी है, बल्कि इसकी मांग ने किसानों की आय को भी दोगुना कर दिया है। डॉ. पी.एस. पांडेय का कहना है कि इस हल्दी की सफलता से प्रेरित होकर विश्वविद्यालय शाही लीची (मधु) और मोटिहारी के मर्चा धान के चूड़े जैसे उत्पादों के लिए जीआई टैगिंग पर काम कर रहा है। मर्चा धान के चूड़े को जीआई टैग मिलने के बाद इसके दाम दोगुने से ज्यादा हो गए, और आने वाले दिनों में शाही लीची (शहद) को भी यह सम्मान मिलने की उम्मीद है, जो मधुमक्खी पालकों के लिए फायदेमंद होगा।

किसानों के लिए मुनाफे का रास्ता

राजेंद्र सोनिया हल्दी की बढ़ती मांग ने किसानों की जिंदगी बदल दी है। समस्तीपुर सहित बिहार के अन्य जिलों में इसकी खेती से किसान उच्च मूल्य पर अपनी उपज बेच रहे हैं, जिससे उनकी आमदनी में इजाफा हुआ है। विश्वविद्यालय ने खरीफ सीजन 2025 में बिहार के किसानों को 130 क्विंटल बीज वितरित किए हैं, ताकि वे इस मांग का फायदा उठा सकें। इसके अलावा, 347 क्विंटल से अधिक बीज देश के अन्य राज्यों की सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं ने खरीदे हैं, जो स्थानीय किसानों से भी ऊंची कीमतों पर हल्दी खरीद रही हैं। यह न केवल पैदावार बढ़ाएगा, बल्कि किसानों को आर्थिक स्थिरता भी देगा।

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खेती की आसान तकनीक

हल्दी की खेती के लिए उपजाऊ दोमट मिट्टी और अच्छी जल निकासी जरूरी है। प्रति हेक्टेयर 15-20 क्विंटल ताजा गंधक डालें और बीज को 5-7 सेंटीमीटर गहराई पर बोएं। ड्रिप सिंचाई और जैविक खाद से पैदावार बढ़ेगी। कीट नियंत्रण के लिए नीम तेल का उपयोग करें। विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ. ए.के. मिश्रा के मुताबिक, 20-30 डिग्री सेल्सियस तापमान इस हल्दी के लिए आदर्श है। प्रशिक्षण शिविरों के जरिए ये तकनीकें किसानों तक पहुंच रही हैं।

स्वास्थ्य और बाजार का लाभ

कुर्कुमिन की उच्च मात्रा के कारण राजेंद्र सोनिया हल्दी आयुर्वेदिक दवाओं, सौंदर्य प्रसाधनों, और खाद्य उद्योग में मांग में है। यह प्रतिरक्षा बढ़ाने और सूजन कम करने में मदद करती है। बाजार में इसकी कीमत पारंपरिक हल्दी से 20-30% ज्यादा है, जो किसानों को अतिरिक्त मुनाफा देती है।

राजेंद्र सोनिया हल्दी तुम्हारी खेती को समृद्ध बना सकती है। विश्वविद्यालय से बीज लो और इसकी खेती शुरू करो। डॉ. पी.एस. पांडेय के विजन को अपनाओ और अपनी आय दोगुनी करो।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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