MSP से मुआवजा तक, राजगढ़ में किसानों का गुस्सा फूटा, आंदोलन तेज करने की चेतावनी!

मंगलवार को राजगढ़ में सैकड़ों किसान भारतीय किसान यूनियन (BKU) के बैनर तले कलेक्ट्रेट पर जमा हुए और सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की। खेतों में मेहनत करने वाले इन किसानों का गुस्सा सातवें आसमान पर था। उनका कहना था कि जिले की सभी पांच विधानसभा सीटों पर भाजपा के विधायक हैं, दो मंत्री और एक सांसद भी, फिर भी किसान अपने हक के लिए सड़कों पर उतरने को मजबूर हैं।

“सरकार ने हमें घुटनों पर ला दिया, अब हम घुटनों पर ही विरोध करेंगे,” एक किसान ने गुस्से में कहा। MSP, मुआवजा, खाद की किल्लत और नकली बीज जैसे मुद्दों पर सरकार को चेतावनी दी गई कि अगर मांगे न मानी गईं, तो आंदोलन और तेज होगा। आइए, इस प्रदर्शन की पूरी कहानी और किसानों की मांगों को देसी अंदाज में समझें।

MSP पर खरीद, भावान्तर नहीं, सही दाम चाहिए

किसानों ने सरकार की भावान्तर योजना को ठग्गू कहकर खारिज कर दिया। “यह योजना हमारा भला नहीं, बड़ी कंपनियों का पेट भर रही है,” एक किसान नेता ने कहा। सोयाबीन, गेहूं, चना—हर फसल की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर अनिवार्य हो, यह उनकी सबसे बड़ी मांग। अगर कोई व्यापारी MSP से कम दाम दे, तो उस पर सख्त कार्रवाई हो। हमारे गाँवों में देखा जाए तो MSP का बोर्ड तो लगता है, पर खरीद में धांधली आम है। किसान चाहते हैं कि सरकार पारदर्शी सिस्टम बनाए, ताकि मेहनत का सही दाम मिले। यह मांग तो जायज है, भाई—खेत में पसीना बहाने वाला किसान ही अनाज देता है, फिर उसका हक क्यों छीना जाए?

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मुआवजा, सैटेलाइट नहीं, जमीन की सच्चाई

पिछले साल अतिवृष्टि ने फसलों को चौपट कर दिया। किसानों का कहना है कि नुकसान का आकलन सैटेलाइट से नहीं, जमीन पर उतरकर होना चाहिए। “पटवारी खेत में आए, फसल देखे, तब मुआवजा तय हो,” एक बुजुर्ग किसान ने गुस्से में कहा। सैटेलाइट के औसत आंकड़े असल नुकसान नहीं दिखाते। कई बार तो एक खेत में 80% फसल खराब हो, पर मुआवजा 20% का मिले। किसान चाहते हैं कि पटवारी और कृषि अधिकारी मिलकर वास्तविक सर्वे करें। मध्य प्रदेश के खेतों में बारिश का कहर कोई नई बात नहीं, पर मुआवजा देर से और अधूरा मिलना किसानों का दर्द है।

बिजली की मार: स्मार्ट मीटर का विरोध

खेतों में दिन में कम से कम 12 घंटे बिजली चाहिए, लेकिन हकीकत में 4-6 घंटे ही मिलती है। ऊपर से फर्जी बिलों का झटका! “बिजली बिल 5000 का आया, जबकि पंप 2 घंटे चला,” एक किसान ने गुस्सा जताया। स्मार्ट मीटर योजना को किसान बोझ बता रहे हैं। उनकी मांग है कि इसे तुरंत बंद करो, और पुराने बिल रद्द हों। बिजली के बिना खेत सूखे, तो फसल कहाँ से आए? यह मांग हर उस किसान की पुकार है, जो रात-दिन खेत में मेहनत करता है।

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कृषि प्रधान MP, पर किसान उपेक्षित

“मध्य प्रदेश को कृषि प्रधान कहते हैं, पर किसान सबसे ज्यादा उपेक्षित है,” BKU के नेता ने कहा। मुआवजा फाइलों में, बिजली बिल फर्जी, और भावान्तर योजना कागजी। जमीनी हकीकत कुछ और है। राजगढ़ में सभी सीटों पर भाजपा, फिर भी किसान सड़क पर। यह विरोध सिर्फ गुस्सा नहीं, बल्कि हक की पुकार है। किसान कहते हैं, “हम अनाज देते हैं, देश खिलाते हैं, फिर हमारी सुनवाई क्यों नहीं?”

आंदोलन की चेतावनी: अब चुप नहीं रहेंगे

किसानों ने साफ कहा—मांगे न मानीं, तो आंदोलन और तेज होगा। “अब चुप नहीं बैठेंगे, सरकार को जमीनी सच्चाई समझनी होगी,” एक नेता ने हुंकार भरी। राजगढ़ का यह प्रदर्शन किसानों की तकलीफों का आईना है। अगर सरकार ने कदम न उठाए, तो यह आग पूरे प्रदेश में फैल सकती है।

राजगढ़ का यह आंदोलन हर किसान की आवाज है। MSP, वास्तविक मुआवजा, खाद-बीज की सख्ती, बिजली और बोनस—ये मांगें जायज हैं। सरकार के पास मौका है कि वह किसानों का भरोसा जीते, वरना सड़कों पर उतरने को तैयार ये किसान चुप नहीं रहेंगे। भाई, खेतों का दर्द सुनो, और हक की इस लड़ाई में साथ दो!

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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