किसान भाइयों, मक्का तो हमारे गाँवों की पुरानी दोस्त है, लेकिन आज हम बात करेंगे लाल मक्का की खेती की। ये लाल दानों वाला मक्का देखने में सुंदर, खाने में लाजवाब, और सेहत के लिए वरदान है। बाजार में इसकी माँग बढ़ रही है, खासकर ऑर्गेनिक खेती के लिए। गाँव में इसे उगाकर आप अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। ये फसल न सिर्फ आपके खेतों को सोना देगी, बल्कि पशुओं के लिए भी बढ़िया चारा बनती है। आइए, समझें कि लाल मक्का की खेती कैसे करें।
लाल मक्का का परिचय और फायदा
लाल मक्का आम पीले या सफेद मक्के से जुदा है। इसके दाने लाल-भूरे रंग के होते हैं, जो एंटीऑक्सिडेंट्स से भरे हैं। ये खून बढ़ाने, दिल को ताकत देने, और शरीर को चुस्त रखने में मदद करता है। बाजार में लोग इसे ऑर्गेनिक आटा, नाश्ता, और सेहतमंद खाने के लिए खरीदते हैं। ये खरीफ की फसल है, जो जून-जुलाई में बोई जाती है और 90-110 दिन में तैयार हो जाती है। एक हेक्टेयर से 40-50 क्विंटल दाने मिल सकते हैं। भाव 25-40 रुपये किलो तक जाता है, और ऑर्गेनिक हो तो 50 रुपये तक भी बिकता है। पौधे का बचा हिस्सा चारे के लिए बेस्ट है।
खेत तैयार करने का देसी ढंग
लाल मक्का को दोमट या बलुई मिट्टी पसंद है, जहाँ पानी जमा न हो। खेत को हल से 2-3 बार अच्छे से जोतें, ताकि मिट्टी ढीली और भुरभुरी हो जाए। प्रति हेक्टेयर 8-10 टन गोबर की सड़ी खाद डालें ये देसी खाद मिट्टी को ताकत देती है। अगर मिट्टी सख्त हो, तो थोड़ी रेत मिलाएँ। मिट्टी का pH 6-7.5 होना चाहिए। जून में बारिश की पहली बूँदों से पहले खेत तैयार करें। क्यारियाँ बनाएँ या मेड़ पर बुवाई करें, ताकि जल निकासी ठीक रहे। गर्मी और नमी इसके लिए जरूरी है। खेत में पुराना भूसा या पुआल डालें , ये नमी बनाए रखता है और खरपतवार को रोकता है।
बुवाई का सही तरीका और बीज
लाल मक्का की बुवाई जून से जुलाई में करें, जब बारिश शुरू हो। प्रति हेक्टेयर 20-25 किलो बीज चाहिए। ‘रेड मेज़’, ‘लाल शक्ति’, या लोकल हाइब्रिड किस्में चुनें-ये ज्यादा उपज देती हैं। बीज को बोने से पहले 12-24 घंटे पानी में भिगो दें, ताकि अंकुरण तेज हो। कतार से कतार 60 सेमी और पौधे से पौधे 20-25 सेमी की दूरी रखें। बीज को 3-5 सेमी गहरा बोएं। बैल से लाइन खींचकर या हाथ से क्यारियों में बो सकते हैं। बुवाई के बाद हल्का पानी दें। बीज गाँव की दुकानों, कृषि केंद्र, या ऑनलाइन इंडिया मार्ट से 200-300 रुपये किलो मिलते हैं। ताजा और प्रमाणित बीज लें, ताकि फसल शानदार हो।
देखभाल और खाद-पानी का इंतजाम
लाल मक्का को ज्यादा देखभाल की जरूरत नहीं, मगर थोड़ा ध्यान देना पड़ता है। बुवाई के 20-25 दिन बाद पहली गुड़ाई करें-खरपतवार हटाएँ, ताकि पौधे मजबूत हों। गोबर की खाद (8-10 टन) पहले डालें। 30 दिन बाद नीम की खली (2 टन) या वर्मी कम्पोस्ट (1-2 टन) डालें-ये ऑर्गेनिक तरीके से मिट्टी को पोषण देते हैं। बारिश पर भरोसा करें, लेकिन सूखा पड़े तो हफ्ते में एक बार हल्की सिंचाई करें। ड्रिप सिस्टम लगाएँ, तो पानी और खाद दोनों बचेंगे। कीट जैसे तना छेदक या मक्खी लगें, तो नीम का तेल (5 मिली प्रति लीटर पानी) छिड़कें। फफूंद से बचने के लिए गोमूत्र (10 लीटर पानी में 1 लीटर) का छिड़काव करें।
कटाई और कमाई का हिसाब
लाल मक्का 90-110 दिन में तैयार हो जाता है। जब भुट्टे के दाने सख्त और लाल-भूरे हो जाएँ, तो सुबह कटाई करें। भुट्टे तोड़ें और दानों को अलग करें। प्रति हेक्टेयर 40-50 क्विंटल उपज मिलती है। लागत 20,000-30,000 रुपये (बीज, खाद, मजदूरी) आती है। बाजार में 25-40 रुपये किलो के हिसाब से 1-2 लाख रुपये की कमाई हो सकती है। अगर ऑर्गेनिक तरीके से उगाएँ, तो 50 रुपये किलो तक बिकेगा। गाँव में बेचें या शहर की मंडी में भेजें-हर तरफ फायदा। बचे पौधे पशुओं के लिए शानदार चारा बनते हैं। एक हेक्टेयर से चारा और दाने मिलाकर सालाना 2.5-3 लाख तक का फायदा हो सकता है। ये खेती मेहनत का पूरा इनाम देती है।
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