अक्टूबर में खेती के लिए बेस्ट है सरसों की RH-761 वैरायटी, सस्ते में यहां मिलेंगे बीज

RH-761 Mustard Variety in Hindi: अक्टूबर का महीना आते ही किसान भाई रबी सीजन की तैयारी में जुट जाते हैं, और उनमें सबसे पहली फसल होती है सरसों। कम मेहनत, कम पानी और स्थिर बाजार मांग के कारण सरसों हमेशा से किसानों के लिए भरोसेमंद फसल रही है। अगर आप इस सीजन में अगेती और मजबूत किस्म की तलाश कर रहे हैं, तो RH-761 सरसों आपके लिए बिल्कुल सही चुनाव हो सकती है। यह किस्म चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (CCSHAU), हिसार द्वारा विकसित की गई है और अब हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और पंजाब के किसानों में तेजी से लोकप्रिय हो रही है।

RH-761 को खासतौर पर उन इलाकों के लिए तैयार किया गया है जहां सिंचाई सीमित है। यह कम पानी में भी बेहतर उत्पादन देती है, जबकि सिंचित खेतों में तो इसकी पैदावार और भी बढ़ जाती है। सरसों के तेल की मांग देशभर में लगातार बनी रहती है, क्योंकि यह न केवल भोजन में बल्कि आयुर्वेदिक और औषधीय उपयोग में भी अहम भूमिका निभाता है। यही कारण है कि RH-761 जैसी उन्नत हाइब्रिड किस्म किसान भाइयों के लिए अधिक लाभकारी साबित हो रही है।

RH-761 की खासियतें (RH-761 Mustard Variety in Hindi)

RH-761 को अगेती किस्मों में शामिल किया गया है, यानी यह जल्दी तैयार होती है और पाले को भी अच्छी तरह झेल लेती है। इसके दाने मोटे और चमकदार होते हैं, जिनका वजन और तेल की मात्रा दोनों ही अधिक होती हैं। यह किस्म कम सिंचाई वाले क्षेत्रों में आसानी से उगाई जा सकती है, जहाँ पारंपरिक किस्में ठीक प्रदर्शन नहीं कर पातीं। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने इसे विशेष रूप से ऐसे क्षेत्रों के लिए तैयार किया है जहाँ पानी की उपलब्धता सीमित होती है।

इस किस्म की औसत मैच्योरिटी अवधि 141 दिन है, जो चेक वैरायटीज से तुलनीय है। रिसर्च से पता चला है कि सूखे की स्थिति में भी इस किस्म की बीज उपज में केवल 22% तक की कमी आती है, जबकि पानी की हानि सिर्फ 4.2% और हार्वेस्ट इंडेक्स में मात्र 9.7% की गिरावट दर्ज होती है। इसकी लंबी फलियाँ (long siliqua) और रेसिम संरचना (long raceme) इसे अधिक दानेदार बनाती हैं, जिससे उत्पादन स्वतः बढ़ता है।

RH-761 को बायोटिक और एबायोटिक दोनों प्रकार के स्ट्रेस (जैसे रोग, कीट, सूखा और पाला) सहने की क्षमता दी गई है, जिससे यह फसल मौसम की अनिश्चितताओं में भी स्थिर उत्पादन देती है। यही कारण है कि उत्तर भारत के किसानों के बीच यह किस्म RH-725 के साथ सबसे ज्यादा अपनाई जा रही है।

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सरसों की खेती के आर्थिक फायदे

सरसों की खेती किसानों के लिए हमेशा से आर्थिक रूप से लाभकारी रही है। RH-761 जैसी उन्नत किस्मों के आने से यह फायदा और भी बढ़ गया है। यह फसल कम लागत में तैयार होती है और तेल की स्थिर मांग के कारण बाजार मूल्य भी अच्छा मिलता है। तेल निकालने के बाद बची खल (mustard cake) पशु चारे के रूप में बिक जाती है, जिससे किसानों को अतिरिक्त आय होती है।

हरियाणा और राजस्थान जैसे राज्यों में, जहां क्लस्टर फ्रंटियर लैबोरेटरी डेमॉन्स्ट्रेशन्स (CFLDs) के तहत RH-761 की खेती की गई, वहां उत्पादन में 20-25% की वृद्धि और आय में उल्लेखनीय सुधार दर्ज किया गया। 2015 से 2020 के बीच 5417 हेक्टेयर क्षेत्र में इस किस्म की सफल डेमॉन्स्ट्रेशन से यह साबित हो चुका है कि RH-761 छोटे किसानों के लिए भी मुनाफे की खेती है।

इसके अलावा, यह किस्म मिट्टी की उर्वरता को भी सुधारती है क्योंकि सरसों की जड़ों से मिट्टी में नाइट्रोजन फिक्सेशन बढ़ता है। तेल की गुणवत्ता भी बेहतर होती है, जिसमें 38-40% तक तेल कंटेंट पाया गया है, जो बाजार में प्रीमियम मूल्य दिलाता है।

RH-761 की खेती का वैज्ञानिक तरीका

RH-761 (RH-761 Mustard Variety in Hindi) की बुवाई का सबसे उपयुक्त समय मध्य सितंबर से मध्य अक्टूबर तक है। इस अवधि में बोई गई फसल ठंड शुरू होने से पहले अच्छी जड़ें जमा लेती है, जिससे उसकी वृद्धि तेज होती है। खेत की तैयारी के दौरान 3-4 जुताइयाँ करें और मिट्टी को भुरभुरा बनाएं। बुवाई पंक्ति दर पंक्ति करें, जिसमें पंक्तियों के बीच 30-45 सेंटीमीटर और पौधों के बीच 10-15 सेंटीमीटर की दूरी रखें। बीज दर प्रति हेक्टेयर 6 से 8 किलोग्राम पर्याप्त है।

बुवाई से पहले बीज को कार्बेन्डाजिम (2 ग्राम प्रति किलो बीज) या ट्राइकोडर्मा से उपचारित करें ताकि फफूंद और कवक रोगों से सुरक्षा मिल सके। खेत में 10 टन प्रति हेक्टेयर सड़ी गोबर खाद मिलाएँ, साथ ही नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश का संतुलित अनुपात (80:40:20 किग्रा/हेक्टेयर) अपनाएँ। आधी खाद बुवाई के समय और बाकी फूल आने पर डालें।

पहली सिंचाई बुवाई के 20-25 दिन बाद और दूसरी फूल आने के समय करें। अधिक पानी से बचें क्योंकि इससे जड़ें सड़ सकती हैं। खरपतवार नियंत्रण के लिए बुवाई के 20-25 दिन बाद पेंडीमेथालिन का छिड़काव करें। फफूंद या कीटों के प्रकोप के शुरुआती संकेत पर मैनकोजेब या नीम तेल आधारित जैविक स्प्रे उपयोगी रहेगा।

कटाई तब करें जब 70-80% फलियाँ पीली पड़ जाएँ। थ्रेशिंग के बाद बीजों को धूप में सुखाकर नमी 8% से कम रखें ताकि बीज सुरक्षित रहें।

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RH-761 से बंपर पैदावार

औसतन RH-761 से 25 से 27 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज मिलती है। अच्छी देखभाल और सिंचाई के साथ यह आंकड़ा 30 क्विंटल तक जा सकता है। दो एकड़ में खेती करने वाला किसान आसानी से 50 क्विंटल सरसों प्राप्त कर सकता है, जिससे उसे लगभग 1.2 से 1.5 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा मिल सकता है।

दाने मोटे होने के कारण तेल निकालने की प्रक्रिया आसान होती है और बाजार में ऊँचे दाम मिलते हैं। ठंड और पाले में भी यह फसल सुरक्षित रहती है, जिससे जोखिम न्यूनतम हो जाता है।

NSC से बीज खरीदेंत

RH-761 सरसों के बीज राष्ट्रीय बीज निगम (NSC) के ऑनलाइन पोर्टल पर उपलब्ध हैं। 2 किलोग्राम का पैकेट 30% छूट के बाद केवल ₹280 में खरीदा जा सकता है। किसान भाई nsc.gov.in पर जाकर आसानी से ऑर्डर कर सकते हैं और प्रमाणित बीज घर पर मंगवा सकते हैं। एक एकड़ के लिए लगभग 2 किलो बीज पर्याप्त होता है।

RH-761 से बदलें अपनी रबी खेती की दिशा

RH-761 अगेती सरसों (RH-761 Mustard Variety in Hindi) की ऐसी किस्म है जो कम पानी, कम लागत और ज्यादा मुनाफे का संतुलन प्रदान करती है। यह फसल बदलते मौसम की चुनौतियों को झेलते हुए स्थिर उत्पादन देती है और किसानों को आर्थिक मजबूती प्रदान करती है। सितंबर से अक्टूबर के बीच बुवाई कर सही प्रबंधन अपनाएँ और इस रबी सीजन में अपनी खेती को लाभ का केंद्र बनाएं।

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  • Shashikant

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