धान और मछली पालन एक साथ! जानिए खेती का ये जुगलबंदी फार्मूला और कमाएं डबल मुनाफा

भारत में धान की खेती किसानों की आजीविका का बड़ा आधार है। ग्रामीण इलाकों में चावल हर घर का मुख्य भोजन है, और खरीफ सीजन में धान की बुवाई जोरों पर रहती है। अब किसान पारंपरिक खेती से आगे बढ़कर कुछ नया कर रहे हैं। धान की खेती के साथ मछली पालन का यह देसी तरीका तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। यह प्रणाली पुरानी है, लेकिन अब इसका चलन बढ़ रहा है। एक ही खेत से धान और मछली की दोहरी फसल लेने से किसानों की कमाई दोगुनी हो रही है। यह छोटे और मझोले किसानों के लिए कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने का शानदार मौका है।

पानी का पूरा फायदा, दोगुना मुनाफा

धान की खेती में खेत 3 से 8 महीने तक पानी से भरे रहते हैं। इस पानी का सही इस्तेमाल करने के लिए किसान अब खेतों में मछली पाल रहे हैं। इससे जमीन और पानी दोनों का पूरा उपयोग होता है। धान के पुआल और खरपतवार मछलियों के लिए भोजन बनते हैं, जिससे खेती की लागत कम होती है। मछलियां खेत में कीटों और खरपतवार को भी नियंत्रित करती हैं, जिससे कीटनाशकों का खर्च बचता है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि यह प्रणाली मिट्टी की उर्वरता बढ़ाती है और फसल की गुणवत्ता सुधारती है। इससे किसानों को धान और मछली दोनों से अच्छी कीमत मिलती है।

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जलीय पौधों से सस्ता और पौष्टिक भोजन

धान के खेतों में जलीय पौधे जैसे अजोला, लेम्ना, वोल्फिया, और स्पाइरोडेला मछलियों के लिए बेहतरीन भोजन हैं। खासकर अजोला एक जैव उर्वरक है, जो मिट्टी में नाइट्रोजन, फास्फोरस, और पोटैशियम जैसे पोषक तत्व जोड़ता है। यह घास कार्प जैसी मछलियों के लिए प्रोटीन से भरपूर आहार है। अजोला को खेत के एक छोटे हिस्से में आसानी से उगाया जा सकता है। यह मछलियों को सस्ता और पौष्टिक भोजन देता है, साथ ही धान की फसल को भी पोषण देता है। कई किसानों ने इस तरीके को अपनाकर अपनी लागत कम की है और मुनाफा बढ़ाया है।

गोबर से मछली और खाद दोनों

ग्रामीण इलाकों में गाय का गोबर खाद के लिए इस्तेमाल होता है, और अब यह मछली पालन में भी काम आ रहा है। एक गाय सालाना 400-500 किलो गोबर और 3500-4000 लीटर मूत्र देती है। यह गोबर मछलियों के लिए भोजन का काम करता है और खेत के पानी की गु territoriality को सुधारता है। पांच-छह गायों का गोबर एक हेक्टेयर खेत में 3000-4000 किलो मछली पैदा कर सकता है। साथ ही, गायों से 9000 लीटर तक दूध भी मिलता है। इस तरह किसान मछली, दूध, और खाद तीनों से कमाई कर सकते हैं। यह देसी तरीका लागत कम करता है और मुनाफा बढ़ाता है।

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धान-मछली पालन के फायदे

यह एकीकृत प्रणाली कई तरह से फायदेमंद है। एक ही खेत से धान और मछली की दोहरी फसल मिलती है, जिससे आय दोगुनी होती है। पानी का सही उपयोग होने से बर्बादी रुकती है। अजोला और गोबर से खाद की बचत होती है और मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है। मछलियां खेत में कीटों और खरपतवार को नियंत्रित करती हैं, जिससे कीटनाशकों का खर्च कम होता है। इस प्रणाली से मिलने वाला चावल और मछलियां बाजार में अच्छी कीमत लाते हैं। यह खेती और पशुपालन के बीच संतुलन बनाता है, जिससे किसानों को स्थिर आय मिलती है।

खरीफ के लिए सलाह

खरीफ 2025 में धान-मछली पालन शुरू करने के लिए खेत में 1-1.5 फीट गहरा गड्ढा या छोटा तालाब बनाएं, जहां मछलियां रह सकें। घास कार्प, रोहू, या कतला जैसी मछलियां चुनें, जो धान के खेत में अच्छी तरह बढ़ती हैं। अजोला की खेती के लिए खेत के किनारे छोटा हिस्सा तैयार करें। गोबर और गौमूत्र का नियमित इस्तेमाल करें। खेत में पानी की गहराई 6-8 इंच रखें और जल निकासी का इंतजाम करें। नजदीकी कृषि या मत्स्य पालन केंद्र से मछली पालन की ट्रेनिंग और सब्सिडी की जानकारी लें। इस देसी तरीके से कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमाएं।

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  • Shashikant

    नमस्ते, मैं शशिकांत। मैं 2 साल से पत्रकारिता कर रहा हूं। मुझे खेती से सम्बंधित सभी विषय में विशेषज्ञता प्राप्‍त है। मैं आपको खेती-किसानी से जुड़ी एकदम सटीक ताजा खबरें बताऊंगा। मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको 'काम की खबर' दे सकूं। जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में बेहतर कर सके। ताजा खबरों के लिए आप Krishitak.com के साथ जुड़े रहिए।

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