किसान भाइयों, सर्दी इस बार जोरदार आई है। दिसंबर के आखिरी दिन और जनवरी-फरवरी में तापमान 0-2 डिग्री तक गिर रहा है। बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश के कई इलाकों में सुबह खेतों में सफेद चादर बिछ रही है – यानी पाला। मौसम विभाग ने कई जिलों में येलो और ऑरेंज अलर्ट भी जारी किया है। पाला एक रात में लाखों रुपये की फसल बर्बाद कर देता है, लेकिन अब डरने की जरूरत नहीं। अगर अभी से तैयारी कर लें तो पाला भी कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा।
पाला और शीतलहर में अंतर समझ लें
- शीतलहर → तेज ठंडी हवाएँ चलती हैं, तापमान कम रहता है, लेकिन पाला नहीं जमता।
- पाला → रात में हवा पूरी तरह रुक जाती है, ओस जमकर बर्फ बन जाती है, तापमान 0°C या नीचे। यह फसलों के लिए सबसे खतरनाक है।
कौन-सी फसलें सबसे ज्यादा प्रभावित होती हैं?
- बहुत ज्यादा संवेदनशील (2°C से नीचे नुकसान): टमाटर, शिमला मिर्च, बैंगन, भिंडी, पपीता, आम-अमरूद-लीची के नए पौधे, आलू, मटर, सरसों, अलसी, धनिया-सौंफ-जीरा, मसूर
- मध्यम संवेदनशील: चना, केला, फूलगोभी-पत्ता गोभी
- कम संवेदनशील: गेहूँ, जौ, ज्वार, गन्ना, अरहर
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अभी ये 8 (Cold Wave Tips) उपाय कर लें – 80-90% नुकसान रुक जाएगा
- हल्की सिंचाई – सबसे सस्ता और सबसे असरदार पाला पड़ने की रात को या एक दिन पहले शाम 4-5 बजे तक हल्की सिंचाई कर दो। पानी से मिट्टी का तापमान स्थिर रहता है, हवा में नमी बढ़ती है और पौधों की कोशिकाएँ जमने से बच जाती हैं। कृषि विश्वविद्यालयों के परीक्षण में यह उपाय अकेला 70-85% तक नुकसान रोक देता है।
- खेत में हल्का धुआँ करें रात 10-11 बजे से सुबह 5-6 बजे तक खेत के चारों कोनों और बीच-बीच में 10-12 जगह सूखी पत्तियाँ, भूसा, गोबर के कंडे या पुराने टायर जलाकर हल्का धुआँ करो। धुआँ बादल की तरह छा जाता है और तापमान 2-4 डिग्री ऊपर रखता है। बड़े खेतों में यह बहुत कारगर है।
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- सल्फर का छिड़काव – पौधे को अंदर से गर्मी दे सल्फर पौधे के अंदर ताप पैदा करता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाता है।
- घुलनशील सल्फर 80% → 2 ग्राम प्रति लीटर पानी
- सल्फर डस्ट → 6-8 किलो प्रति एकड़ हमेशा शाम 4 बजे के बाद स्प्रे करें। टमाटर, सरसों, मटर, आलू, गेहूँ – सबमें कमाल करता है।
- थायोयूरिया स्प्रे – ठंड सहने की ताकत बढ़ाए 1 ग्राम थायोयूरिया को 2 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। 15 दिन बाद दोबारा करें। यह पौधे की कोशिकाओं को ठंड से बचाता है और पत्तियाँ लंबे समय तक हरी-भरी रहती हैं।
- सब्जियों और नर्सरी को ढक दें शाम को पॉलीथिन शीट, पुराने बोरे, टाट, सूखी घास-पत्तियाँ, सरकंडे या प्लास्टिक की टोकरी से ढक दो। सुबह धूप निकलने पर हटा दो। लो-टनेल या पॉलीहाउस तो सबसे बेस्ट है।
- उत्तरी-पश्चिमी तरफ वायुरोधी दीवार जिस तरफ से ठंडी हवा आती है (उत्तर-पश्चिम), वहाँ टाट, बोरे, बाँस की चटाई या प्लास्टिक की अस्थायी दीवार लगा दो। यह ठंडी हवा को सीधे खेत में आने से रोकती है।
- मेड़ पर पेड़ लगाओ – हर साल का स्थायी इलाज शीशम, बबूल, जामुन, यूकेलिप्टस, सहजन या बाँस की दो कतारें लगा दो। 4-5 साल बाद ये पेड़ हर साल पाला का असर 50-60% तक कम कर देंगे।
- पाला पड़ने के बाद भी हार मत मानो अगर पाला पड़ गया और पत्तियाँ झुलस गईं तो:
- तुरंत हल्की सिंचाई करो
- 0:52:34 या 19:19:19 का 2 किलो प्रति एकड़ स्प्रे करो
- जिंक और बोरॉन भी मिला दो 10-15 दिन में पौधे नई पत्तियाँ निकाल लेंगे और अच्छी पैदावार दे सकते हैं।
रोज़ मौसम की खबर जरूर देखें
- DAMINI ऐप (बिजली + पाला चेतावनी)
- मेghदूत ऐप
- किसान सुविधा ऐप
- मौसम विभाग की वेबसाइट imd.gov.in जैसे ही पाले की चेतावनी आए, उसी दिन से उपाय शुरू कर दो।
ठंड आए या पाला पड़े – आपकी फसलें सुरक्षित रहेंगी। बस थोड़ी सी सावधानी, सस्ते उपाय और समय पर अमल। इस सर्दी में भी खेत हरे-भरे रहें, बालियाँ लहराएँ और घर अनाज से भरा रहे।
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