गोल्ड से भी कीमती है ये मसाला, इस फसल की खेती से किसान बनेंगे लखपति, हर बाजार में मची धूम

Saunf Ki Kheti Kaise Kare: आजकल खेती-बाड़ी में पुराने ढर्रे से हटकर कुछ नया करने का जमाना आ गया है। गाँव के किसान भाई अब पारंपरिक फसलों को छोड़कर ऐसी फसलें उगा रहे हैं, जो कम मेहनत में ज्यादा मुनाफा दें। ऐसा ही एक धांसू फसल है सौंफ, जो न सिर्फ सेहत के लिए फायदेमंद है, बल्कि बाजार में इसकी कीमत भी अच्छी मिलती है।

हमारे भारत के गाँवों में, खासकर राजस्थान के भरतपुर जैसे इलाकों में, सौंफ की खेती जोरों पर है। वहाँ के किसान भाई इसकी देसी क्वालिटी और खास स्वाद के लिए मशहूर हो रहे हैं। सौंफ की खेती न केवल पैसे कमाने का जरिया बन रही है, बल्कि गाँव की ताकत को भी बढ़ा रही है।

Table of Contents

सौंफ की खेती क्यों है खास

सौंफ का नाम सुनते ही मुँह में ठंडक और खुशबू का एहसास होता है। ये फसल इसलिए भी खास है क्योंकि इसे उगाने में ज्यादा पानी की जरूरत नहीं पड़ती। गाँव में जहाँ पानी की कमी रहती है, वहाँ ये किसी वरदान से कम नहीं। ऊपर से इसे जैविक खाद और देसी तरीकों से उगाया जा सकता है। इससे न सिर्फ खर्चा कम होता है, बल्कि सौंफ की क्वालिटी इतनी शानदार हो जाती है कि बाजार में हर कोई इसे हाथों-हाथ लेता है। भरतपुर के गाँव जैसे झील, ब्रह्मबाद, नावली वगैरह में किसान भाई बताते हैं कि सौंफ की खेती ने उनकी जिंदगी बदल दी। कम मेहनत और कम लागत में अच्छा मुनाफा मिल रहा है।

सौंफ का बाजार और फायदा

सौंफ की बात करें तो ये सिर्फ गाँव की मंडी तक सीमित नहीं है। ये तो बड़े-बड़े शहरों और विदेशों तक जा रही है। मसाला बनाने वाली कंपनियाँ, आयुर्वेदिक दवाइयाँ बनाने वाले और घर में खाने-पीने के शौकीन लोग—सब सौंफ के दीवाने हैं। गाँव का किसान अगर इसे सही तरीके से उगाए, तो उसे मोटा मुनाफा मिलना पक्का है। खास बात ये कि सौंफ को कीटनाशकों की ज्यादा जरूरत नहीं पड़ती। बस थोड़ी सी मेहनत और सही देखभाल से ये तैयार हो जाती है। भरतपुर के किसानों का कहना है कि सौंफ की फसल ने उनकी आमदनी को दोगुना कर दिया। गाँव की मिट्टी और मौसम भी इसके लिए एकदम मुफीद है।

सौंफ की खेती का आसान तरीका

अब बात करते हैं कि सौंफ की खेती कैसे शुरू करें। सबसे पहले तो खेत को अच्छे से जोत लें और गोबर की खाद डालकर मिट्टी तैयार करें। सौंफ की बुआई के लिए अक्टूबर-नवंबर का महीना सबसे सही रहता है, क्योंकि इस वक्त ठंड शुरू होती है और फसल को बढ़ने के लिए अच्छा मौसम मिलता है।

बीज को हल्का-हल्का छिड़कें और ऊपर से मिट्टी की पतली परत चढ़ा दें। पानी की बात करें तो शुरू में हल्की सिंचाई करें, फिर 10-15 दिन के गैप में पानी देते रहें। गाँव में जहाँ बरसात का पानी जमा हो, वहाँ भी इसे आसानी से उगाया जा सकता है। फसल तैयार होने में 4-5 महीने लगते हैं, और उसके बाद इसे काटकर सुखा लें। बस, तैयार है आपकी सौंफ बाजार के लिए!

गाँव के लिए सुनहरा मौका

सौंफ की खेती हमारे गाँव के किसानों के लिए किसी खजाने से कम नहीं। ये न सिर्फ पैसे देती है, बल्कि आत्मनिर्भर बनने का रास्ता भी दिखाती है। अगर थोड़ी सी नई तकनीक जैसे ड्रिप इरिगेशन या जैविक खेती के तरीके अपनाए जाएँ, तो और भी फायदा हो सकता है। भरतपुर के किसान भाई बताते हैं कि सही समय पर फसल बेचने से उन्हें अच्छी कीमत मिल जाती है। तो भाइयों, अगर आपके पास खेत है और कुछ नया करने का मन है, तो सौंफ की खेती जरूर आजमाएँ। इससे न सिर्फ आपकी जेब भरेगी, बल्कि गाँव का नाम भी ऊँचा होगा।

ये भी पढ़ें- किसानों का ग्रीन ATM है ये पौधा, एक बार लगा दें बिना मेहनत 150 साल तक होगी लगातार कमाई

Author

  • Shashikant

    नमस्ते, मैं शशिकांत। मैं 2 साल से पत्रकारिता कर रहा हूं। मुझे खेती से सम्बंधित सभी विषय में विशेषज्ञता प्राप्‍त है। मैं आपको खेती-किसानी से जुड़ी एकदम सटीक ताजा खबरें बताऊंगा। मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको 'काम की खबर' दे सकूं। जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में बेहतर कर सके। ताजा खबरों के लिए आप Krishitak.com के साथ जुड़े रहिए।

    View all posts

Leave a Comment