धान की रोपाई से पहले अपनाएं यह खेत तैयारी की ट्रिक, कम पानी में होगी रिकॉर्ड तोड़ पैदावार

Paddy Farming Tips: छत्तीसगढ़ को ‘धान का कटोरा’ यूं ही नहीं कहा जाता। यहां कभी 23,000 से ज्यादा धान की प्रजातियां थीं, लेकिन बदलते समय में इनकी संख्या कम हो रही है। अब वैज्ञानिक खेती और डायरेक्ट सीडेड राइस (DSR) तकनीक किसानों को कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने का रास्ता दिखा रही है। ये तकनीक पानी बचाती है, पर्यावरण के लिए अच्छी है, और पैदावार बढ़ाती है। आइए, इस तकनीक को समझें.

डीएसआर तकनीक की खासियत

पारंपरिक धान की खेती में पानी और मेहनत ज्यादा लगती है, लेकिन डीएसआर तकनीक इसे आसान बनाती है। इसमें रोपाई की जरूरत नहीं, बल्कि बीज सीधे खेत में बोए जाते हैं। सहायक संचालक कृषि डॉ. बीरेंद्र अनंत बताते हैं कि इस तकनीक से 30-35% पानी की बचत होती है, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कम होता है, और प्रति एकड़ 5 क्विंटल तक ज्यादा पैदावार मिल सकती है। ये तरीका छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए वरदान है, जहां पानी की कमी और लागत बढ़ना बड़ी चुनौती है।

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खेत की तैयारी कैसे करें?

डीएसआर तकनीक के लिए खेत को सही तरीके से तैयार करना जरूरी है। गेहूं की कटाई के बाद खेत को जोतकर समतल करें। इसके बाद ‘पलेवा’ करें, यानी खेत में पानी भरकर दोबारा जुताई करें। इससे मिट्टी नरम और बुवाई के लिए तैयार हो जाती है। डीएसआर मशीन से बुवाई करें, जिसमें प्रति एकड़ 8-10 किलोग्राम बीज का इस्तेमाल करें। पंक्तियों की दूरी 9 इंच और बीज की गहराई 1.5-2 इंच रखें। अच्छी क्वालिटी के बीज चुनें, ताकि अंकुरण बेहतर हो और फसल मजबूत आए।

खरपतवार से कैसे निपटें?

डीएसआर में खरपतवार की समस्या हो सकती है, लेकिन इसे समझदारी से रोका जा सकता है। बुवाई के तुरंत बाद पेंडीमेथालिन (30% EC) 1200-1500 मिली प्रति एकड़ को 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। ये छिड़काव 24 घंटे के अंदर करना जरूरी है, ताकि खरपतवार जड़ न पकड़ सकें। छिड़काव के समय हवा तेज न हो, वरना दवा बेकार जा सकती है। अगर खरपतवार फिर भी बढ़ें, तो कृषि विशेषज्ञों से सलाह लेकर दूसरा छिड़काव करें।

डीएसआर के फायदे

डीएसआर तकनीक न सिर्फ लागत कम करती है, बल्कि पर्यावरण को भी बचाती है। पारंपरिक तरीके में धान की रोपाई के लिए खेत में ज्यादा पानी चाहिए, लेकिन डीएसआर में कम पानी से काम चल जाता है। इससे छत्तीसगढ़ जैसे इलाकों में पानी की कमी की समस्या कम होगी। साथ ही, ये तकनीक मिट्टी की सेहत सुधारती है और अगली फसलों के लिए खेत को तैयार रखती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि डीएसआर से किसान प्रति एकड़ 10-15% लागत बचा सकते हैं और मुनाफा बढ़ा सकते हैं।

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  • Shashikant

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