कमाल का यंत्र! अब पौधों को खुद देगा खाद, किसान कहेंगे, वाह टेक्नोलॉजी!

automatic fertilizer system: बिहार के पूसा (समस्तीपुर) में डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने खेती को आसान बनाने वाला एक नया यंत्र बनाया है। ये ऑटोमेटिक यंत्र पौधों को उनकी जरूरत के हिसाब से यूरिया खाद जड़ों तक पहुँचाता है। सेंसर से लैस ये यंत्र खुद पता लगाता है कि कौन से पौधे को कितनी खाद चाहिए। किसान भाइयों को अब घंटों मेहनत नहीं करनी पड़ेगी। ये यंत्र समय, मेहनत और खाद, तीनों की बचत करेगा। जल्द ही ये खेतों में नजर आएगा।

सेंसर से समझदार

वैज्ञानिकों ने इस यंत्र को इतना स्मार्ट बनाया है कि ये खेत में घूमकर पौधों की हालत पढ़ लेता है। सेंसर की मदद से ये देखता है कि किस पौधे को यूरिया की कमी है। फिर बिना किसी की मदद के सही मात्रा में खाद जड़ों तक डाल देता है। पहले जहाँ किसान भाई घंटों खेत में खाद डालते थे, वो काम अब मिनटों में पूरा होगा। इसकी खास बात ये है कि ये खाद की बर्बादी रोकता है। जरूरत से ज्यादा खाद डालने की गलती अब नहीं होगी, जिससे मिट्टी की सेहत भी बचेगी।

आसान इस्तेमाल

इस यंत्र में दो तरीके दिए गए हैं। पहला है ऑटोमेटिक मोड, जिसमें ये खुद ही खेत में घूमकर खाद डालता है। दूसरा है रिमोट-कंट्रोल मोड, जिसमें किसान भाई इसे अपने हिसाब से चला सकते हैं। छोटे खेत हों या बड़े, ये यंत्र हर जगह काम आएगा। रिमोट से चलाने की सुविधा इसे और आसान बनाती है। वैज्ञानिकों ने इसे इस तरह डिज़ाइन किया है कि हर किसान भाई इसे बिना झंझट के इस्तेमाल कर सकें।

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खाद और मेहनत की बचत

यूरिया खाद का सही इस्तेमाल फसल को ताकत देता है, लेकिन ज्यादा खाद मिट्टी को नुकसान पहुँचाती है। ये यंत्र सेंसर से सटीक मात्रा में खाद डालता है, जिससे ना खाद बर्बाद होती है, ना ही मिट्टी खराब। किसान भाइयों का समय भी बचता है, जो खेती के दूसरे कामों में लगाया जा सकता है। इस यंत्र से खेती सस्ती और फायदेमंद हो जाएगी। वैज्ञानिकों का कहना है कि ये तकनीक छोटे और बड़े, दोनों तरह के किसानों के लिए वरदान साबित होगी।

वैज्ञानिकों का दावा जल्द बाजार में

इस यंत्र को बनाने वाले वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. पी. के. प्रणव ने बताया कि ये सेंसर आधारित स्मार्ट डिवाइस है। ये पौधों की जरूरत को समझकर सही मात्रा में यूरिया डालता है। चाहे खेत में कितने ही पौधे हों, ये हर एक का ध्यान रखता है। डॉ. प्रणव ने कहा कि यंत्र को रिमोट से चलाने की सुविधा इसे खास बनाती है। अभी ये रिसर्च के आखिरी दौर में है। इसका पेटेंट लेने की प्रक्रिया चल रही है। उम्मीद है कि अगले एक साल में ये यंत्र बाजार में आ जाएगा, और किसान भाई इसे अपने खेतों में इस्तेमाल कर सकेंगे।

खेती का भविष्य बदलने की तैयारी

पूसा के वैज्ञानिकों का ये यंत्र खेती की दुनिया में नई उम्मीद लाया है। सेंसर और ऑटोमेशन का इस्तेमाल बढ़ने से खेती में मेहनत कम होगी और फसल ज्यादा। ये तकनीक ना सिर्फ यूरिया डालने तक सीमित है, बल्कि भविष्य में ऐसी और मशीनें खेती को और आसान बना सकती हैं। जब ये यंत्र खेतों में उतरेगा, तो किसान भाइयों के लिए काम का बोझ कम होगा और मुनाफा बढ़ेगा। ये खेती के नए दौर की शुरुआत है।

डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा का ये ऑटोमेटिक यूरिया यंत्र खेती में क्रांति लाने को तैयार है। सेंसर से खाद डालने की ये तकनीक मेहनत, समय और पैसे बचाएगी। मिट्टी की सेहत सुधरेगी और फसल लहलहाएगी। अभी ये यंत्र रिसर्च में है, लेकिन जल्द ही खेतों में दिखेगा। किसान भाई अपने नजदीकी कृषि केंद्र से संपर्क में रहें, ताकि इस यंत्र के बाजार में आने की खबर तुरंत मिले। पूसा की ये खोज खेती को आसान और मुनाफा बढ़ाने वाली है।

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  • Shashikant

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