किसानों के लिए खुशखबरी, MSP में बड़ी बढ़ोतरी, शिवराज सिंह चौहान का लोकसभा में बड़ा ऐलान

आज लोकसभा के प्रश्नकाल में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों के लिए एक बड़ी खुशखबरी दी। उन्होंने धान, गेहूं, बाजरा, रागी जैसे प्रमुख फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में पिछले एक दशक में हुई बढ़ोतरी की विस्तृत जानकारी साझा की। यह कदम किसानों की आय बढ़ाने और उनकी मेहनत का सही मूल्य दिलाने की दिशा में उठाया गया है। पिछले 10 सालों में MSP में जो बदलाव आए, उसने खेती को मुनाफे का धंधा बनाया है। आइए जानते हैं कि इन फसलों के MSP में कितनी बढ़ोतरी हुई, इसका असर क्या होगा, और किसानों को क्या फायदा मिलेगा।

MSP में पिछले दशक की उछाल

श्री चौहान ने बताया कि पिछले दशक में MSP में भारी इजाफा हुआ है, जो किसानों के हित में एक क्रांतिकारी कदम है। धान का MSP, जो 2013-14 में 1310 रुपये प्रति क्विंटल था, अब बढ़कर 2300 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है, जो करीब 75% की वृद्धि दिखाता है। गेहूं का MSP 1400 रुपये से शुरू होकर अब 2425 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया, जिसमें 73% की बढ़ोतरी हुई।

बाजरा का MSP 1250 रुपये से बढ़कर 2625 रुपये और रागी का 1500 रुपये से 4290 रुपये प्रति क्विंटल हो गया, जो क्रमशः 110% और 186% की उछाल दर्शाता है। यह बढ़ोतरी किसानों को उनकी लागत से कहीं ज्यादा फायदा पहुंचाने के लिए की गई है, जो उनकी जिंदगी में खुशहाली ला रही है।

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मंत्री ने बताया कि यह बढ़ोतरी केंद्र सरकार की नीति का हिस्सा है, जिसमें MSP को उत्पादन लागत का कम से कम 1.5 गुना रखा जाता है। यह फैसला 2018-19 के बजट में लिया गया था, और पिछले दशक में इसे लागू करने में तेजी आई है। श्री चौहान ने कहा कि सरकार का मकसद किसानों को उनकी मेहनत का पूरा हक दिलाना और खेती को आत्मनिर्भर बनाना है। धान और गेहूं जैसे अनाजों पर जोर देने के साथ-साथ बाजरा और रागी जैसे पोषक अनाजों को बढ़ावा देना भी लक्ष्य है, ताकि सेहत और पर्यावरण दोनों का ख्याल रखा जा सके।

क्षेत्रीय असर और चुनौतियां

उत्तर प्रदेश, पंजाब, और हरियाणा जैसे धान और गेहूं उत्पादक राज्यों में यह बढ़ोतरी किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है। वहीं, राजस्थान और महाराष्ट्र में बाजरा और रागी की खेती को बढ़ावा मिल रहा है, जो सूखा सहने वाली फसलों के लिए फायदेमंद है। लेकिन चुनौती यह है कि सभी किसानों तक यह लाभ पहुंचे। कई जगहों पर मंडियों में खरीद की सुस्ती या भ्रष्टाचार की शिकायतें आती हैं, जिसे दूर करने की जिम्मेदारी सरकार पर है। बारिश और मौसम का असर भी पैदावार पर पड़ता है, इसलिए सही समय पर खेती की योजना बनाना जरूरी है।

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भविष्य में क्या संभावनाएं हैं

श्री चौहान ने भरोसा जताया कि आने वाले सालों में MSP को और मजबूत किया जाएगा। सरकार का लक्ष्य 2025 तक सभी प्रमुख फसलों को MSP कवरेज में लाना है, ताकि कोई किसान पीछे न रहे। इसके साथ ही इथेनॉल उत्पादन और पोषक अनाजों की मांग को देखते हुए बाजरा और रागी की खेती को बढ़ावा देने की योजना है। किसानों को नई तकनीक और बीज देने के लिए सब्सिडी भी दी जा रही है। अगर मौसम साथ दे और सरकार की योजनाएं सही से लागू हों, तो अगले दशक में किसानों की आय दोगुनी होने की उम्मीद है।

किसानों को सलाह है कि वे MSP का फायदा उठाने के लिए अपनी फसल को मंडी में पंजीकृत कराएं और सही समय पर बुवाई करें। बारिश के मौसम में जलभराव से बचें और जैविक खाद का इस्तेमाल करें, ताकि पैदावार बढ़े। सरकार के कृषि केंद्रों से मौसम की जानकारी और नई तकनीक सीखें। अपने अनुभव को नोट करें और साथी किसानों से सलाह लें, ताकि हर सीजन में मुनाफा बना रहे। यह समय खेती को नई ऊंचाई देने का है, और MSP इसका मजबूत आधार बनेगा।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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