Soyabean Procurement: केंद्र सरकार ने 11 फरवरी तक न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर किसानों से 14.73 लाख टन सोयाबीन की खरीद पूरी कर ली है। किसानों को इसके लिए 4,892 रुपये प्रति क्विंटल की दर से MSP दिया गया है। इस खरीद का आधे से अधिक हिस्सा महाराष्ट्र से है, जबकि मध्य प्रदेश और राजस्थान का स्थान दूसरे और तीसरे नंबर पर रहा।
राज्यवार खरीद के आंकड़े
नेफेड (NAFED) के आंकड़ों के मुताबिक, महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 8.36 लाख टन सोयाबीन खरीदी गई। मध्य प्रदेश में 3.88 लाख टन और राजस्थान में 98,866 टन सोयाबीन की खरीद हुई। तेलंगाना में 83,075 टन, गुजरात में 48,054 टन, और कर्नाटक में 18,282 टन सोयाबीन खरीदकर किसानों को MSP का लाभ दिया गया। माना जा रहा है कि अधिकांश राज्यों में खरीद प्रक्रिया समाप्त हो चुकी है।
उत्पादन और बाजार भाव
सरकार ने नवंबर में जारी पहले अनुमान के अनुसार, इस साल 133.60 लाख टन सोयाबीन उत्पादन का लक्ष्य रखा है, जो पिछले साल के 130.62 लाख टन से अधिक है। वर्तमान में, मध्य प्रदेश की मंडियों में सोयाबीन का भाव 3,700 से 4,700 रुपये प्रति क्विंटल के बीच चल रहा है।
सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SOPA) के मुताबिक, जनवरी के अंत तक 42.50 लाख टन सोयाबीन क्रश किया गया, जो पिछले साल की समान अवधि के 47 लाख टन से 10% कम है। इस समय तक किसानों, प्रोसेसिंग प्लांट्स और व्यापारियों के पास 57.40 लाख टन सोयाबीन का स्टॉक मौजूद है।
निर्यात और घरेलू मांग
जनवरी के अंत तक 7.96 लाख टन सोयाबीन मील का निर्यात हुआ, जो पिछले साल के 9.34 लाख टन से कम है। फ्रांस (1.27 लाख टन) और जर्मनी (1.03 लाख टन) भारतीय सोयाबीन मील के सबसे बड़े खरीदार रहे। घरेलू मांग की बात करें तो फीड सेक्टर में 22.50 लाख टन और खाद्य क्षेत्र में 2.85 लाख टन सोयाबीन मील की खपत हुई, जो पिछले साल की तुलना में कम है।
सरकार की एमएसपी पर सोयाबीन खरीद ने किसानों को आर्थिक सुरक्षा दी है। हालांकि, क्रशिंग और निर्यात में कमी से संकेत मिलता है कि बाजार में मांग-आपूर्ति का संतुलन बनाए रखने के लिए नीतिगत कदम जरूरी हैं। किसानों को सलाह है कि वे बाजार के रुझानों पर नजर रखें और सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ उठाएं।
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