Sunflower ki kheti: सूरजमुखी की खेती किसानों के लिए अत्यधिक लाभदायक हो सकती है। इसके बीजों से तेल निकाला जाता है, जो खाने और औद्योगिक उपयोग के लिए महत्वपूर्ण होता है। साथ ही, यह पशुओं के चारे और जैविक खाद के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। यदि आप सूरजमुखी की खेती करना चाहते हैं, तो यहां आपको इसकी संपूर्ण जानकारी दी जा रही है।
सूरजमुखी का तेल स्वास्थ्यवर्धक होता है और इसकी बाजार में हमेशा मांग बनी रहती है। यह विभिन्न जलवायु परिस्थितियों में उगाया जा सकता है और अन्य तिलहन फसलों की तुलना में इसकी खेती में कम लागत आती है। सूरजमुखी की जड़ें मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने में सहायक होती हैं।
जलवायु और मिट्टी
सूरजमुखी गर्म और शुष्क जलवायु में अच्छी तरह उगती है। इसके लिए 20°C से 30°C का तापमान उपयुक्त रहता है। दोमट और बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है, और इसका pH स्तर 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए। खेत में जल निकास की उचित व्यवस्था होनी चाहिए ताकि जलभराव न हो।
खेत की तैयारी
खेत की अच्छी तरह जुताई करें ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए। 10-15 टन गोबर की खाद या कंपोस्ट मिलाएं और खेत को समतल करें ताकि पानी का बहाव समान रूप से हो। खरपतवार को जुताई के समय ही हटा दें।
बीज बोने की विधि
अच्छी उपज के लिए उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का चयन करें। बुवाई का समय रबी सीजन में फरवरी-मार्च और खरीफ सीजन में जून-जुलाई होता है। बीज को 3-5 सेमी गहराई पर बोना चाहिए, और पंक्ति से पंक्ति की दूरी 45-60 सेमी तथा पौधे से पौधे की दूरी 20-30 सेमी होनी चाहिए। प्रति हेक्टेयर 4-5 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है।
बुवाई के तुरंत बाद पहली सिंचाई करें। फसल के प्रमुख चरणों जैसे अंकुरण, कली बनने, फूल आने और बीज बनने के समय सिंचाई करें। खेत में जलभराव से बचें।
खाद एवं उर्वरक
संतुलित पोषण से फसल की उपज और गुणवत्ता बढ़ती है। जैविक खाद के रूप में 10-15 टन गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर डालें। रासायनिक उर्वरकों में नाइट्रोजन 60 किग्रा, फॉस्फोरस 40 किग्रा और पोटाश 40 किग्रा प्रति हेक्टेयर डालें। नाइट्रोजन की आधी मात्रा बुवाई के समय और शेष आधी 30-35 दिन बाद डालें।
खरपतवार सूरजमुखी की वृद्धि को प्रभावित कर सकते हैं। बुवाई के 20-25 दिन बाद निराई-गुड़ाई करें। खरपतवारनाशी दवाओं का प्रयोग करें, जैसे कि पेंडीमिथालिन और इमाझेथापायर।
रोग और कीट प्रबंधन
लीफ स्पॉट, पाउडरी मिल्ड्यू और रस्ट रोग सूरजमुखी में आम हैं। इनसे बचाव के लिए मैंकोजेब, सल्फर आधारित फफूंदनाशक और कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का छिड़काव करें। कीटों में थ्रिप्स, एफिड्स और इल्ली से बचाव के लिए नीम तेल, इमिडाक्लोप्रिड और क्लोरपायरीफॉस का छिड़काव करें।
कटाई
सूरजमुखी की फसल 90-120 दिनों में पक जाती है। जब फूलों के पीछे की पत्तियां सूखने लगें और बीज काले हो जाएं, तब कटाई करें। कटाई के बाद बीजों को 8-10% नमी तक सुखाएं और सूखे स्थान पर स्टोर करें।
उपज और लाभ
सूरजमुखी की फसल 15-20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज दे सकती है। बाजार में सूरजमुखी के तेल की मांग अधिक होने के कारण यह किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है।
सूरजमुखी की खेती एक लाभकारी और सरल कृषि व्यवसाय है। उचित जल प्रबंधन, उर्वरक, कीट नियंत्रण और कटाई के सही समय पर ध्यान देकर किसान अपनी आय बढ़ा सकते हैं। सूरजमुखी के तेल की बढ़ती मांग को देखते हुए, यह फसल भविष्य में भी एक अच्छा विकल्प बनी रहेगी।
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