किसान भाइयों, आपके खेतों की मेहनत ही हर फसल को सुनहरा बनाती है। सूरजमुखी एक ऐसी फसल है, जो सूरज की तरह चमकती है और खेतों में सोना उगाती है। इसके बीज से तेल, चारा, और स्नैक्स बनते हैं, और फूल मधुमक्खियों को लुभाते हैं। अप्रैल का महीना सूरजमुखी की खेती के लिए बिल्कुल सही है, क्यूंकि ये गर्मी और धूप में तेजी से बढ़ती है। गाँव में इसे उगाकर आप कम मेहनत में अच्छी कमाई कर सकते हैं। आइए जानते हैं कि अप्रैल में सूरजमुखी की खेती कैसे करें।
सूरजमुखी का परिचय
सूरजमुखी एक खरीफ फसल है, जो 90-100 दिन में तैयार हो जाती है। इसके बड़े पीले फूल और बीज इसे खास बनाते हैं। बीज में 40-50% तेल होता है, जो बाजार में 100-150 रुपये लीटर बिकता है। अप्रैल में बुवाई करें, तो जुलाई तक फसल तैयार हो जाती है। ‘MSFH-8’, ‘KBSH-1’, और ‘सूर्या’ जैसी किस्में गर्मी में शानदार पैदावार देती हैं। एक हेक्टेयर से 15-20 क्विंटल बीज मिल सकते हैं। ये फसल कम पानी माँगती है और मिट्टी को भी फायदा देती है।
खेत को कैसे तैयार करें
सूरजमुखी के लिए दोमट या रेतीली मिट्टी अच्छी रहती है। अप्रैल की शुरुआत में खेत को हल से 2-3 बार जोतें, ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए। प्रति हेक्टेयर 5-7 टन गोबर की सड़ी खाद डालें। मिट्टी का pH 6-7.5 रखें। अगर मिट्टी सख्त हो, तो रेत मिलाकर ढीली करें। जल निकासी का ध्यान रखें, क्यूंकि ज्यादा पानी जड़ों को नुकसान पहुँचाता है। खेत को समतल करें, ताकि बीज एकसमान उगें। ये तरीका सस्ता और आसान है।
बुवाई के सही समय का रखे ध्यान
अप्रैल का महीना सूरजमुखी के लिए सबसे सही है, क्यूंकि इसे 25-35°C तापमान चाहिए। प्रति हेक्टेयर 5-6 किलो बीज लें। बीज को 12-24 घंटे पानी में भिगो दें, ताकि अंकुरण तेज हो। कतार से कतार 45-60 सेमी और पौधे से पौधे 20-30 सेमी की दूरी रखें। बीज को 4-5 सेमी गहरा बोएं। बैल से लाइन बनाकर या हाथ से क्यारियों में बुवाई करें। बुवाई के बाद हल्का पानी दें। 5-7 दिन में अंकुर निकल आएँगे। गर्मी में बारिश न हो, तो पहली सिंचाई जरूरी है।
बीज कहाँ से जुटाएँ
सूरजमुखी के बीज गाँव की दुकानों, कृषि केंद्र, या नर्सरी से 200-300 रुपये किलो मिलते हैं। सरकारी बीज भंडार से सस्ते में लें। ऑनलाइन इंडिया मार्ट पर भी उपलब्ध हैं। ‘MSFH-8’ और ‘KBSH-1’ जैसी हाइब्रिड किस्में ज्यादा फलती हैं। बीज ताजा और बिना टूटा हो। छोटे खेत के लिए 1-2 किलो से शुरू करें।
खाद और पानी, देखभाल
बुवाई से पहले प्रति हेक्टेयर 40 किलो नाइट्रोजन, 40 किलो फॉस्फोरस, और 20 किलो पोटाश डालें। गोबर की खाद पहले ही मिला दें। 25-30 दिन बाद 20 किलो नाइट्रोजन और डालें। सूरजमुखी को कम पानी चाहिए—10-15 दिन में एक बार हल्की सिंचाई करें। ड्रिप सिस्टम से पानी बचता है। फूल आने पर (45-50 दिन बाद) पानी कम करें, वरना बीज कम लगेंगे। गर्मी में जड़ों पर पुआल डालें, तो नमी बनी रहेगी।
खरपतवार फसल को कमजोर करते हैं, तो बुवाई के 20-25 दिन बाद हल्की गुड़ाई करें। कीट जैसे कटवर्म या एफिड्स लगें, तो नीम का तेल (5 मिली प्रति लीटर पानी) छिड़कें। फफूंद से बचने के लिए बीज को बुवाई से पहले थाइरम (3 ग्राम प्रति किलो) से उपचारित करें। फूलों को पक्षियों से बचाने के लिए खेत में ढोल या घंटी बाँधें। पत्तियाँ पीली पड़ें, तो जिंक सल्फेट (10 ग्राम प्रति लीटर) डालें। थोड़ी मेहनत से फसल चमकेगी।
कटाई और कमाई का हिसाब
सूरजमुखी 90-100 दिन में तैयार होती है। जब फूल पीले से भूरे हो जाएँ और बीज सख्त हों, तो जुलाई में कटाई करें। फूलों को काटकर 4-5 दिन धूप में सुखाएँ, फिर बीज निकालें। प्रति हेक्टेयर 15-20 क्विंटल बीज मिलते हैं। लागत 15,000-20,000 रुपये (बीज, खाद, मजदूरी) आती है। बाजार में बीज 4000-5000 रुपये प्रति क्विंटल बिकते हैं, यानी 60,000-1 लाख रुपये की कमाई। तेल निकालें, तो मुनाफा और बढ़ेगा। बचा हुआ चारा पशुओं को खिलाएँ सावधानियाँ
सूरजमुखी मिट्टी को ढीला करती है और अगली फसल को फायदा देती है। मधुमक्खियाँ इससे शहद बनाती हैं, जो बेच सकते हैं। मगर ज्यादा पानी और छाया से फूल कमजोर पड़ते हैं। सही समय पर कटाई करें, वरना बीज खराब हो सकते हैं। अप्रैल में शुरू करें, तो गर्मी आपकी दोस्त बनेगी।
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