7 अगस्त 2025 को भारत ने अपने महान कृषि वैज्ञानिक डॉ. एमएस स्वामीनाथन की 100वीं जयंती मनाई। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने देश को एक नया संदेश दिया कि 21वीं सदी का भारत अब सिर्फ खाद्यान्न आत्मनिर्भरता तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि हर भारतीय को पोषक आहार सुरक्षा देगा। गाँवों में देखा गया है कि स्वामीनाथन की हरित क्रांति ने भारत को भुखमरी से मुक्ति दिलाई, लेकिन आज की जरूरत सिर्फ भोजन की नहीं, बल्कि पौष्टिक भोजन की है। प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वामीनाथन की विरासत को आगे बढ़ाते हुए हमें ऐसी खेती को बढ़ावा देना होगा, जो स्वास्थ्य और समृद्धि दोनों दे। गाँवों में अनुभव है कि पौष्टिक भोजन की कमी से कई लोग कुपोषण का शिकार हैं।
हरित क्रांति का नायक
डॉ. एमएस स्वामीनाथन को भारत का हरित क्रांति का जनक माना जाता है। उनकी मेहनत से 1960 के दशक में भारत ने गेहूँ और चावल की पैदावार बढ़ाकर खाद्यान्न संकट को खत्म किया। गाँवों में देखा गया है कि उनके द्वारा विकसित उच्च उपज वाली किस्मों ने लाखों किसानों को नई उम्मीद दी। स्वामीनाथन ने हमेशा किसानों के कल्याण और टिकाऊ खेती पर जोर दिया। उनके प्रयासों से भारत खाद्यान्न में आत्मनिर्भर बना, लेकिन अब समय है कि हम पोषण की कमी को भी दूर करें। गाँवों में अनुभव है कि स्वामीनाथन की सोच आज भी प्रासंगिक है।
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पोषक आहार सुरक्षा का मतलब
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में कहा कि पोषक आहार सुरक्षा का मतलब है कि हर भारतीय को न सिर्फ पर्याप्त भोजन मिले, बल्कि उसमें प्रोटीन, विटामिन, और खनिज जैसे पोषक तत्व भी हों। गाँवों में देखा गया है कि कुपोषण, खासकर बच्चों और महिलाओं में, एक बड़ी समस्या है। PM ने जोर दिया कि हमें दलहन, मोटे अनाज, फल, और सब्जियों की खेती को बढ़ावा देना होगा। X पर चर्चा के अनुसार, मोटे अनाज जैसे बाजरा, ज्वार, और रागी को “श्री अन्न” के रूप में प्रचारित किया जा रहा है। गाँवों में अनुभव है कि ये फसलें कम पानी में उगती हैं और पोषण से भरपूर होती हैं।
भारत का नया लक्ष्य
प्रधानमंत्री ने स्वामीनाथन की 100वीं जयंती पर कहा कि पोषक आहार सुरक्षा 21वीं सदी के भारत की प्राथमिकता है। गाँवों में देखा गया है कि किसान अब पौष्टिक फसलों की ओर रुख कर रहे हैं, जैसे मक्का, सोयाबीन, और मूंग। सरकार की योजनाएँ, जैसे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन और PMFBY, किसानों को ऐसी फसलों के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं। गाँवों में अनुभव है कि इन योजनाओं से किसानों को आर्थिक सुरक्षा मिलती है। PM ने यह भी कहा कि जैविक खेती और स्थानीय बीजों का उपयोग पोषक आहार को बढ़ावा देगा। गाँवों में देखा गया है कि जैविक उत्पादों की मांग बाज़ार में तेजी से बढ़ रही है।
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किसानों के लिए प्रेरणा
स्वामीनाथन ने हमेशा किसानों को नई तकनीकों और टिकाऊ खेती के लिए प्रेरित किया। गाँवों में देखा गया है कि उनके द्वारा शुरू किए गए अनुसंधान केंद्र, जैसे चेन्नई का MSSRF, आज भी किसानों को नई जानकारी दे रहे हैं। PM ने कहा कि स्वामीनाथन की सोच को अपनाकर हमें कुपोषण को जड़ से खत्म करना होगा। गाँवों में अनुभव है कि मोटे अनाज और दलहन की खेती से न सिर्फ किसानों की आय बढ़ती है, बल्कि लोगों का स्वास्थ्य भी सुधरता है।
किसानों को सलाह है कि वे मोटे अनाज, दलहन, और जैविक खेती पर ध्यान दें। स्थानीय कृषि केंद्रों से संपर्क कर नई किस्मों और तकनीकों की जानकारी लेना चाहिए। PMFBY में नामांकन कर फसलों को प्राकृतिक आपदाओं से बचाएँ। गाँवों में अनुभव है कि सामुदायिक खेती और सहकारी समितियों से पौष्टिक फसलों को बाज़ार तक पहुँचाने में मदद मिलती है। स्वामीनाथन की 100वीं जयंती का संदेश यही है कि पोषक आहार सुरक्षा से भारत का भविष्य और मजबूत होगा।
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