Best Kharif Crops : किसान भाइयों, खरीफ सीजन जून-जुलाई से शुरू होता है और ये बारिश का मौसम आपके खेत के लिए बड़ा मौका लेकर आता है। अगर आप सही फसलें चुनते हैं और खेती का तरीका ठीक रखते हैं, तो बंपर पैदावार के साथ अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। गर्मी और नमी वाली फसलें इस मौसम में खूब जमती हैं। 2025 के खरीफ सीजन के लिए कौन-कौन सी फसलें बढ़िया हैं और उनकी तैयारी कैसे करनी है, चलिए पूरा हिसाब-किताब समझते हैं।
खेत को तैयार करने का देसी ढंग
खरीफ फसलों के लिए खेत को पहले से सँवार लीजिए। 1-2 बार गहरी जुताई करिए, ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए और जड़ें मजबूत बनें। 30-40 टन गोबर की सड़ी खाद या जैविक खाद डाल दीजिए, ये मिट्टी को ताकत देगा। बारिश का पानी खेत में जमा न हो, इसके लिए नालियाँ बनाइए ताकि जल निकासी सही रहे। बीज बोने से पहले उसे नीम तेल या फफूंदनाशक से ट्रीट कर लीजिए, इससे फसल बीमारियों से बचेगी। गर्मी खत्म होते ही ये तैयारी शुरू कर दीजिए, ताकि जून में बुवाई हो सके।
धान: खरीफ की सबसे बड़ी फसल

धान भारत में खरीफ की नंबर वन फसल है। गाँव-गाँव में इसे बोया जाता है, क्योंकि बारिश का पानी इसके लिए बेस्ट है। ये चावल देता है, जो हर घर की थाली में पहुँचता है। धान के लिए खेत में पानी जमा होने का इंतजाम रखिए। 50-60 किलो नाइट्रोजन, 30 किलो फास्फोरस और 20 किलो पोटाश प्रति एकड़ डालिए। सही देखभाल से एक एकड़ से 20-25 क्विंटल तक पैदावार हो सकती है। इसका दाम 20-30 रुपये किलो तक मिलता है, तो मुनाफा पक्का है।
मक्का: चारा और अनाज का दोस्त

मक्का खरीफ में बढ़िया जमता है। ये पशुओं के लिए चारा और इंसानों के लिए अनाज देता है। इसे कम पानी में भी उगा सकते हैं। खेत को जुताई के बाद 50 किलो नाइट्रोजन और 30 किलो फास्फोरस डालिए। बारिश के साथ हल्की सिंचाई का ध्यान रखिए। एक एकड़ से 15-20 क्विंटल मक्का मिल सकता है। बाजार में इसका चारा और दाना दोनों अच्छे दाम पर बिकता है। गाँव में पशुपालन के लिए ये बेस्ट है।
बाजरा: कम पानी का मसीहा

बाजरा सूखे इलाकों का साथी है। खरीफ में कम बारिश हो, तो भी ये लहलहाता है। इसे बोने के लिए खेत में गोबर खाद डालिए और हल्की जुताई करिए। ज्यादा पानी की जरूरत नहीं, बारिश ही काफी है। एक एकड़ से 10-15 क्विंटल तक पैदावार हो सकती है। इसका दाम 20-25 रुपये किलो तक मिलता है। गाँव में रोटी और चारे के लिए ये बढ़िया है।
ज्वार: पोषण से भरा अनाज

ज्वार भी खरीफ की मजबूत फसल है। ये सूखा सहन कर लेता है और पोषण से भरपूर होता है। खेत में 20-30 किलो नाइट्रोजन डालिए। बारिश के साथ थोड़ी नमी रखिए। एक एकड़ से 12-15 क्विंटल ज्वार मिल सकता है। ये पशुओं के चारे और इंसानों के खाने में काम आता है। बाजार में इसका दाम ठीक रहता है, तो कमाई का भरोसा है।
सोयाबीन: तेल और प्रोटीन का खजाना

सोयाबीन तेल और प्रोटीन का बढ़िया स्रोत है। खरीफ में इसे बोने के लिए खेत में सल्फर और जिंक डालिए। 30 किलो फास्फोरस भी मिलाइए। बारिश के साथ नमी का ध्यान रखिए। एक एकड़ से 10-12 क्विंटल तक पैदावार हो सकती है। इसका दाम 40-50 रुपये किलो तक जाता है। तेल निकालने वाली फैक्ट्रियों में ये खूब बिकता है।
मूंगफली: तिलहन का मुनाफा

मूंगफली खरीफ की तिलहनी फसल है। इसके लिए खेत में गोबर खाद और 20 किलो पोटाश डालिए। बारिश का पानी इसके लिए काफी है। एक एकड़ से 8-10 क्विंटल मूंगफली मिल सकती है। बाजार में 50-60 रुपये किलो तक बिकती है। इसका तेल और दाना दोनों कमाई का रास्ता खोलते हैं। गाँव में ये बढ़िया मुनाफा देती है।
गन्ना: साल भर की नकदी

गन्ना खरीफ में बोया जाता है और साल भर कमाई देता है। इसके लिए खेत में पानी का अच्छा इंतजाम रखिए। 60 किलो नाइट्रोजन और 30 किलो फास्फोरस डालिए। एक एकड़ से 30-40 टन गन्ना हो सकता है। चीनी मिलों में इसका दाम 300-350 रुपये क्विंटल तक मिलता है। ये नकदी फसल आपकी जेब को भारी कर सकती है।
कपास: रुई का धंधा

कपास टेक्सटाइल का बड़ा आधार है। खरीफ में इसे बोने के लिए 50 किलो नाइट्रोजन डालिए। बारिश के साथ हल्की सिंचाई करिए। एक एकड़ से 8-10 क्विंटल कपास मिल सकता है। इसका दाम 60-70 रुपये किलो तक जाता है। रुई और बीज दोनों बिकते हैं, तो डबल फायदा है।
उर्वरक का सही इंतजाम
फसलों को पोषण देने के लिए खाद का सही इस्तेमाल जरूरी है। धान और मक्का के लिए नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश संतुलित मात्रा में डालिए। 1 एकड़ में 50-60 किलो नाइट्रोजन, 30 किलो फास्फोरस और 20 किलो पोटाश ठीक रहता है। सोयाबीन, मूंग या अरहर जैसी दलहनी फसलों के लिए सल्फर और जिंक डालिए, ये उनकी सेहत बढ़ाता है। जैविक खेती पसंद है, तो नीम खली, जीवामृत या वर्मी कम्पोस्ट छिड़किए। ये सस्ता है और मिट्टी को सालों तक हरा-भरा रखता है।
सिंचाई और खरपतवार से बचाव
खरीफ में बारिश ही पानी का बड़ा जरिया है, मगर उसका सही प्रबंधन करिए। खेत में मल्चिंग कर लीजिए, यानी पुआल या सूखी घास बिछा दीजिए। इससे नमी बनी रहेगी और खरपतवार कम होंगे। खरपतवार को काबू करने के लिए हल से मिट्टी पलटिए या खुरपी से निराई करिए। अगर ज्यादा परेशानी हो, तो खरपतवारनाशक छिड़क सकते हैं। बारिश कम हो, तो हल्की सिंचाई का इंतजाम रखिए। ऐसा करने से फसल लहलहाएगी और पैदावार बढ़ेगी।
फसलों से मुनाफे का हिसाब
खरीफ फसलें आपके लिए मुनाफे का रास्ता खोलती हैं। धान का दाम 20-30 रुपये किलो तक मिलता है। मक्का चारे और अनाज से डबल फायदा देता है। बाजरा और ज्वार कम खर्च में अच्छी कमाई करते हैं। सोयाबीन और मूंगफली तेल के लिए बिकती हैं, इनके दाम ऊँचे रहते हैं। गन्ना चीनी मिलों में जाता है और कपास रुई से मुनाफा देता है। सही देखभाल और बाजार की समझ से आपकी जेब सालाना लाखों से भर सकती है।
तो भाइयों, खरीफ सीजन 2025 के लिए अभी से तैयारी शुरू कर दीजिए। धान, मक्का, सोयाबीन या जो फसल आपको पसंद हो, उसे चुनिए। खेत को सही से तैयार करिए, खाद और पानी का ध्यान रखिए। बारिश का मौसम आपके खेत को हरा-भरा करेगा और जेब को भरेगा।
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