बरसात में मिर्च, बैंगन और कद्दू की खेती करनी है? जानिए पौधशाला तैयार करने के आसान टिप्स

vegetable Farming in Monsoon: बरसात का मौसम कृषि के लिए खास महत्व रखता है, क्योंकि ये समय खेतों में नई जान डालता है और फसल प्रबंधन के लिए सुनहरा अवसर लेकर आता है। इस दौरान पौधशाला की तैयारी और रोगों से बचाव पर ध्यान देना जरूरी है, ताकि मिर्च, बैंगन, फूलगोभी और कद्दूवर्गीय सब्जियों की उपज में अच्छी बढ़ोतरी हो सके। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की सलाह के मुताबिक, ये समय इन सब्जियों की नर्सरी तैयार करने का बिल्कुल सही वक्त है। अगर किसान भाई कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखें, तो उनकी मेहनत रंग ला सकती है और पैदावार में इजाफा हो सकता है।

पौधशाला तैयार करने का सही तरीका

इस मौसम में मिर्च, बैंगन और फूलगोभी जैसी सब्जियों की पौधशाला तैयार करना सबसे उपयुक्त है, क्योंकि ये सितंबर तक तैयार हो सकती हैं। पौधशाला को कीट-प्रतिरोधी बनाने के लिए नाइलोन की जाली का इस्तेमाल करें, ताकि रोग फैलाने वाले कीट पौधों तक न पहुँच सकें। बीजों को बोने से पहले केप्टान @ 2 ग्राम/किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें, इससे बीजजनित रोगों का खतरा कम हो जाता है। अच्छी नर्सरी से मजबूत पौधे तैयार होंगे, जो मुख्य खेत में रोपाई के लिए तैयार रहेंगे।

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छायादार नेट से पौधों की सुरक्षा

नन्हे पौधों को सूरज की तीव्र धूप से बचाने के लिए छायादार नेट (Shade Net) का इस्तेमाल 6.5 फीट की ऊँचाई पर करना फायदेमंद होता है। ये नेट पौधों को गर्मी से बचाता है और उनकी ग्रोथ को बढ़ावा देता है। बरसात के मौसम में पौधों को नमी भी चाहिए, लेकिन ज्यादा पानी से बचाव जरूरी है। नेट के नीचे हल्की सिंचाई करें, ताकि मिट्टी नम रहे और जड़ें सड़ न जाएँ। ये तरीका खासकर मिर्च और बैंगन जैसे नाजुक पौधों के लिए कारगर है।

रोपाई और कद्दूवर्गीय सब्जियों की बुवाई

जिन किसानों की पौधशाला पहले से तैयार है, वे स्थानीय मौसम का ध्यान रखते हुए मुख्य खेत में रोपाई की तैयारी कर सकते हैं। अत्यधिक बारिश या गर्म हवा से बचें, क्योंकि ये पौधों को नुकसान पहुँचा सकते हैं। सावन का वक्त कद्दूवर्गीय सब्जियों की बुवाई के लिए आदर्श माना जाता है।

लौकी के लिए पूसा नवीन और पूसा समृद्धि, करेले के लिए पूसा विशेष और पूसा दो-मौसमी, सीताफल के लिए पूसा विश्वास और पूसा विकास, तुरई के लिए पूसा चिकनी धारीदार और पूसा नसदार, और खीरे के लिए पूसा उदय और पूसा बरखा जैसी उन्नत किस्में आजमा सकते हैं। इनके लिए जल निकास का खास ध्यान रखें, क्योंकि जलभराव से जड़ें सड़ सकती हैं और फसल खराब हो सकती है।

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रोग नियंत्रण और कीट प्रबंधन

बरसात में मिर्च के खेतों में अगर विषाणु जनित रोग के लक्षण दिखें, जैसे पौधों का मुरझाना, पत्तियों का सिकुड़ना या रंग बदलना, तो तुरंत संक्रमित पौधों को उखाड़कर मिट्टी में दबा दें। इसके बाद कीटनाशक इमिडाक्लोप्रिड @ 0.3 मि.ली./लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। ये दवा कीटों को भगाती है और रोग के फैलाव को रोकती है। बैंगन और फूलगोभी में भी इसी तरह सावधानी बरतें, ताकि फसल सुरक्षित रहे और पैदावार अच्छी हो।

बरसात का ये मौसम सब्जी उत्पादन के लिए सुनहरा है, लेकिन इसके साथ मेहनत और सावधानी भी जरूरी है। पौधशाला तैयार करना, छायादार नेट का इस्तेमाल, और रोग नियंत्रण पर ध्यान देना आपकी फसल को मजबूत बनाएगा। मिर्च, बैंगन, फूलगोभी और कद्दूवर्गीय सब्जियों से आप अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। तो देर न करें, आज से ही इन टिप्स को अपनाएँ और अपनी खेती को नई ऊँचाई दें।

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  • Shashikant

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