मानसून ने छत्तीसगढ़ में दस्तक दे दी है और धान की बुवाई का काम जोरों पर है। लेकिन कई इलाकों में पानी की कमी के कारण धान की खेती मुश्किल हो जाती है। ऐसे में छत्तीसगढ़ के कृषि विशेषज्ञों ने कम पानी में उगने वाली धान की नई वैरायटी सामने लाई हैं, जो 90 से 100 दिन में तैयार होकर अच्छी उपज देती हैं। VNR 2111, मंशा अभिनव, आरएक्स 100, और अभिनव वैरायटी 9001 सिनजेंटा जैसी प्रजातियाँ उन लोगों के लिए वरदान हैं, जिनके पास सिंचाई की सुविधा सीमित है। आइए जानते हैं इन वैरायटी की खासियत और इन्हें अपनाने के फायदे।
कम पानी, कम समय में अच्छी उपज
छत्तीसगढ़, जिसे धान का कटोरा कहा जाता है, में अब ऐसी धान की किस्में लोकप्रिय हो रही हैं, जो कम पानी में भी शानदार उत्पादन देती हैं। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, VNR 2111 और अभिनव वैरायटी 9001 सिनजेंटा जैसी प्रजातियाँ 90 से 100 दिन में पककर तैयार हो जाती हैं। इनका तना मजबूत होता है और पौधों की ऊँचाई 90-110 सेमी के बीच रहती है। ये वैरायटी बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट और ब्लास्ट जैसे रोगों के प्रति सहनशील हैं, जिससे रासायनिक दवाओं पर खर्च कम होता है। इनका दाना मध्यम पतला या मोटा होता है, जो बाजार में अच्छी माँग रखता है। कम पानी की जरूरत होने के कारण ये किस्में उन इलाकों के लिए आदर्श हैं, जहाँ सिंचाई की कमी है।
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सरगुजा में बढ़ रही माँग
छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग में इन वैरायटी की माँग तेजी से बढ़ रही है। भैयाथान, रामानुजनगंज, लखनपुर, और सीतापुर जैसे इलाकों में लोग इन धान की किस्मों को खूब अपना रहे हैं। इन वैरायटी की खास बात यह है कि इन्हें किसी खास मिट्टी की जरूरत नहीं होती। चाहे बलुई मिट्टी हो या दोमट, ये हर तरह की जमीन में अच्छा उत्पादन देती हैं। बाजार में इनके दानों की अच्छी कीमत मिलती है, जिससे लोग इन्हें अपनाने के लिए उत्साहित हैं। मानसून की बारिश के साथ इनकी बुवाई शुरू हो चुकी है, और कम सिंचाई की जरूरत होने से लागत भी कम आती है।
उपज और खासियत
VNR 2111 और सिनजेंटा 9001 जैसी वैरायटी की उपज सामान्य धान की तुलना में थोड़ी कम हो सकती है, लेकिन इनका जल्दी तैयार होना और कम पानी की जरूरत बड़ा फायदा है। इनसे प्रति एकड़ 25-30 क्विंटल तक उपज मिल सकती है। इनके दाने मध्यम लंबे और पतले होते हैं, जो चावल के रूप में बाजार में अच्छा दाम दिलाते हैं। मंशा अभिनव और आरएक्स 100 भी ऐसी ही विशेषताएँ रखते हैं, जो कम समय में पकने और रोग प्रतिरोधक होने के लिए जाने जाते हैं। इन वैरायटी में 12-20 कल्ले प्रति पौधा निकलते हैं, और बालियों में दानों की संख्या भी अच्छी होती है।
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कैसे शुरू करें खेती
इन वैरायटी की बुवाई के लिए मानसून का शुरुआती समय सबसे सही है। बीजों को प्रमाणित एजेंसियों से खरीदें, ताकि शुद्धता और अंकुरण दर अच्छी रहे। बुवाई से पहले बीजों को राइजोबियम या फॉस्फेट सॉल्यूबिलाइजिंग बैक्टीरिया (PSB) से उपचारित करें, इससे पौधों की वृद्धि बेहतर होती है। सरगुजा के कृषि विभाग कार्यालयों से इन वैरायटी के बीज और बुवाई की तकनीक की जानकारी ली जा सकती है। कम पानी की जरूरत होने के कारण ये वैरायटी उन इलाकों में भी कारगर हैं, जहाँ बारिश पर निर्भरता ज्यादा है।
छत्तीसगढ़ के लिए वरदान
छत्तीसगढ़ में धान की खेती राज्य की अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा है। VNR 2111, मंशा अभिनव, आरएक्स 100, और सिनजेंटा 9001 जैसी कम पानी वाली वैरायटी ने उन लोगों के लिए नई उम्मीद जगाई है, जो पानी की कमी के कारण धान की खेती से हिचकते थे। ये वैरायटी न सिर्फ लागत कम करती हैं, बल्कि कम समय में अच्छा मुनाफा भी देती हैं। अगर आप भी इन वैरायटी को अपनाना चाहते हैं, तो अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र या जिला कृषि कार्यालय से संपर्क करें। मानसून के इस मौसम में इन वैरायटी के साथ खेती को आसान और लाभकारी बनाएँ।
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