कभी एवोकाडो को भारत में उगने वाला विदेशी फल माना जाता था, लेकिन अब यह धारणा टूट चुकी है। केरल के वायनाड जिले में बसा अंबालावायल अब एवोकाडो की खेती के लिए देशभर में मशहूर हो रहा है। इसे हाल ही में आधिकारिक तौर पर ‘एवोकाडो सिटी’ का खिताब दिया गया है। केरल के कृषि मंत्री पी. प्रसाद ने अंबालावायल की एवोकाडो खेती और इसके मार्केटिंग की तारीफ की है, जिसने किसानों के लिए नई उम्मीद की किरण जगाई है। कम लागत और प्रति पौधा 5,000 से 50,000 रुपये तक की कमाई के साथ यह फल किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है।
जून-जुलाई में एवोकाडो का निर्यात चमकाएगा किस्मत
बटर फ्रूट के नाम से मशहूर एवोकाडो अंबालावायल के किसानों के लिए नया खजाना बन गया है। खासकर जून और जुलाई के महीनों में यहां से टनों एवोकाडो का निर्यात होता है, जो बड़े शहरों और विदेशी बाजारों तक पहुंचता है। क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र (RARS) के मुताबिक, एक 10 साल पुराना एवोकाडो का पेड़ एक सीजन में 400 फल दे सकता है। ये फल 30 से 40% फैट के साथ पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं और मेट्रो शहरों व खाड़ी देशों में इनकी भारी मांग है। कम लागत में वैज्ञानिक खेती अपनाकर किसान मोटा मुनाफा कमा रहे हैं, खासकर जब पारंपरिक फसलें जैसे धान या कॉफी नाकाम हो रही हैं।
एवोकाडो फेस्टिवल ने बढ़ाया जोश
वायनाड को एवोकाडो उत्पादन का ब्रांड बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। हाल ही में अंबालावायल में आयोजित दो दिवसीय एवोकाडो फेस्टिवल ने इसकी शुरुआत कर दी। अंबालावायल ग्राम पंचायत के उपाध्यक्ष के. शमीर ने बताया कि इस फेस्टिवल का मकसद किसानों को एवोकाडो की खेती के लिए प्रेरित करना है। करीब 500 किसानों ने इस आयोजन में हिस्सा लिया, जिसमें न केवल केरल बल्कि दूसरे राज्यों के किसान भी शामिल हुए। मेट्रो शहरों में एवोकाडो की बढ़ती मांग को देखते हुए यह खेती किसानों की आय दोगुनी करने का शानदार मौका दे रही है। फेस्टिवल ने किसानों में आत्मविश्वास जगाया और उन्हें नए रास्ते दिखाए।
ये भी पढ़ें- जूलियट टमाटर की खेती, कम खर्च में ज़बरदस्त मुनाफ़ा पाने का आसान तरीका
वैज्ञानिक खेती की ट्रेनिंग से बढ़ा हौसला
एवोकाडो फेस्टिवल में विशेषज्ञों ने किसानों को वैज्ञानिक खेती के तरीके सिखाए। क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र (RARS), कृषि विज्ञान केंद्र, वायनाड हिल फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी और अंबालावायल ग्राम पंचायत ने मिलकर इस आयोजन को सफल बनाया। किसानों को एवोकाडो की खेती की आर्थिक संभावनाओं, इसकी प्रोसेसिंग और मार्केटिंग के बारे में बताया गया। मातृभूमि की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एवोकाडो को सुखाकर पाउडर बनाने से इसका दाम कई गुना बढ़ जाता है। 100 ग्राम एवोकाडो पाउडर 600 रुपये तक बिकता है, जिसे न्यूट्रिशनल सप्लीमेंट्स और कॉस्मेटिक्स में इस्तेमाल किया जाता है। इस तरह की ट्रेनिंग ने किसानों को नई संभावनाओं से जोड़ा है।
एवोकाडो की खेती क्यों है खास
केरल का गर्म और नम जलवायु एवोकाडो की खेती के लिए आदर्श है। वायनाड में पहले से ही कॉफी, काली मिर्च, धान और केला जैसी फसलों की खेती होती है, लेकिन एवोकाडो ने अब इनका साथ पकड़ लिया है। एक परिपक्व एवोकाडो का पेड़ सालाना 500 से 1000 फल दे सकता है, जिनका वजन 300 ग्राम से 1 किलो तक होता है।
अंबालावायल के किसान सी.बी. विनायक ने बताया कि उनके 6 साल पुराने पेड़ से पहली फसल में 75 किलो फल मिले, जिसे उन्होंने 20 रुपये प्रति किलो बेचा। अब पाउडर और अन्य वैल्यू-एडेड प्रोडक्ट्स की मदद से मुनाफा और बढ़ सकता है। अगर आप भी इस खेती को शुरू करना चाहते हैं, तो अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क करें और वैज्ञानिक तरीकों की ट्रेनिंग लें।
ये भी पढ़ें- इस मशरूम की खेती से कम लागत में 20 दिन में शुरू होगी बंपर कमाई, जानें पूरी तकनीक