मध्यप्रदेश के खेतों में मेहनत करने वाले किसानों के लिए एक खुशखबरी है। डिंडोरी जिले की तीन खास फसलें – नागदमन मकुटकी, सिताही कुटकी, और बैंगनी अरहर – जल्द ही GI टैग की सौगात पा सकती हैं। यह खबर उन किसानों के लिए उम्मीद की किरण है, जो अपनी फसलों को बड़े बाजारों तक ले जाना चाहते हैं। GI टैग इन फसलों को न सिर्फ देश-विदेश में पहचान दिलाएगा, बल्कि मुनाफा भी बढ़ाएगा। मध्यप्रदेश सरकार और कृषि विभाग इस दिशा में तेजी से काम कर रहे हैं, ताकि खेती को और लाभकारी बनाया जा सके। यह लेख इन फसलों और GI टैग के फायदों की बात करता है।
GI टैग: फसलों की नई पहचान
GI टैग यानी भौगोलिक संकेत, किसी फसल या उत्पाद को उसकी खास जगह और गुणवत्ता के लिए दी जाने वाली मान्यता है। डिंडोरी की नागदमन मकुटकी, सिताही कुटकी, और बैंगनी अरहर को यह टैग मिलने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। कृषि विभाग के अनुसार, इन फसलों को परीक्षण के लिए भेजा गया है, और जल्द ही इन्हें यह खास दर्जा मिलने की उम्मीद है। यह टैग इन फसलों को वैश्विक बाजार में एक अलग पहचान देगा। मध्यप्रदेश के किसानों के लिए यह बड़ा मौका है, क्योंकि इससे उनकी फसलों की मांग और दाम दोनों बढ़ेंगे।
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डिंडोरी की फसलों का अनोखा गुण
डिंडोरी की मिट्टी और जलवायु ने इन फसलों को खास बनाया है। नागदमन मकुटकी और सिताही कुटकी पोषण से भरपूर छोटे अनाज हैं, जिनकी मांग स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोगों में बढ़ रही है। बैंगनी अरहर भी अपने अनोखे रंग और स्वाद के लिए जाना जाता है। ये फसलें न सिर्फ स्थानीय बाजारों में लोकप्रिय हैं, बल्कि इनकी खेती कम खर्च में अच्छा मुनाफा देती है। GI टैग मिलने से इन फसलों की गुणवत्ता को आधिकारिक मान्यता मिलेगी, जिससे खरीदारों का भरोसा और बढ़ेगा। यह टैग यह भी सुनिश्चित करता है कि फसल वास्तव में डिंडोरी से ही आई है।
किसानों को आर्थिक फायदा
GI टैग का सबसे बड़ा फायदा है किसानों की जेब पर। जब फसलों को वैश्विक पहचान मिलती है, तो उनकी मांग बढ़ती है और दाम भी अच्छे मिलते हैं। डिंडोरी के किसानों को अब तक इन फसलों के लिए स्थानीय बाजारों पर निर्भर रहना पड़ता था, लेकिन GI टैग के बाद ये फसलें बड़े शहरों और विदेशी बाजारों तक पहुंचेंगी। इससे न सिर्फ मुनाफा बढ़ेगा, बल्कि किसानों की माली हालत भी मजबूत होगी। मध्यप्रदेश सरकार भी किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए मेले और कार्यक्रम आयोजित कर रही है, जहां आधुनिक तकनीक और यंत्रों की जानकारी दी जा रही है।
मध्यप्रदेश सरकार खेती को नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है। हाल ही में मंदसौर और सीतामऊ में हुए कृषि उद्योग समागमों में किसानों को नए यंत्रों, जैसे हैप्पी सीडर, और आधुनिक तकनीकों से अवगत कराया गया। इन कार्यक्रमों में खेतों में नरवाई जलाने से रोकने और जैविक खेती को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया। डिंडोरी की फसलों को GI टैग दिलाने की प्रक्रिया भी इसी दिशा में एक बड़ा कदम है। सरकार का लक्ष्य है कि हर संभाग में किसान मेलों का आयोजन हो, ताकि खेती से जुड़े उद्योगों में निवेश बढ़े और किसानों को फायदा हो।
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