पद्मश्री किसान के अनुभव से जानें केले की खेती से बंपर कमाई का तरीका, यहां पढ़ें टिप्स

केले की खेती भारतीय कृषि में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है और यह न केवल किसानों के लिए अत्यधिक लाभदायक है, बल्कि देश की बढ़ती फलों की मांग को पूरा करने में भी सहायक साबित हो रही है। हाल के वर्षों में केले की खेती का विस्तार देश के नए क्षेत्रों में भी देखने को मिल रहा है, जिसका मुख्य कारण इसकी शानदार आय है। प्रति एकड़ 2.5 लाख से 3.5 लाख रुपये तक की कमाई संभव है, और अंतर-फसल (intercropping) के साथ यह और बढ़ सकती है।  इसकी खेती की योजना बनाने का। इस आर्टिकल में हम केले की खेती की बारीकियों, सही तरीकों, और मुनाफे के गणित को विस्तार से जानेंगे।

सही स्थान और पौधे का चयन: सफलता की नींव

केले की खेती के लिए सही स्थान का चुनाव बेहद जरूरी है। खेत समतल होना चाहिए और जलभराव की समस्या से मुक्त होना चाहिए, क्योंकि जलभराव केले के पौधों के लिए घातक होता है और जड़ों को सड़ा सकता है। दोमट या बलुई दोमट मिट्टी, जिसमें अच्छी जल निकासी हो और pH 5.5-7.0 हो, सबसे उपयुक्त है। पौधे के चयन में भी सावधानी बरतें। पद्मश्री किसान राम सरन वर्मा, बारबंकी से, कहते हैं कि पारंपरिक कंद या शकर्स से पौधे लगाने से बीमारियाँ जैसे पंचोर और वायरस फैल सकते हैं। इसके बजाय टिश्यू कल्चर पौधे चुनें, जो 100% वायरस-मुक्त और बीमारी-रहित होते हैं। छोटे पौधों को ग्रीन नेट हाउस में 25-30°C तापमान पर विकसित करें।

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रोपाई का सही समय और तरीका

पद्मश्री राम सरन वर्मा के अनुसार, केले की रोपाई का उचित समय जून से 20 जुलाई तक है, खासकर बरसात की शुरुआत में जब मिट्टी में नमी हो। खेत तैयार करते समय 15-20 टन प्रति हेक्टेयर गोबर की सड़ी खाद या वर्मीकम्पोस्ट मिलाएँ, जो मिट्टी की उर्वरता बढ़ाएगी। पौधे से पौधे की दूरी और पंक्ति से पंक्ति की दूरी 6 फुट रखें, ताकि पौधों को बढ़ने के लिए पर्याप्त जगह मिले और खेत में काम करना आसान हो। रोपाई के लिए 45x45x45 सेमी के गड्ढे बनाएँ और इनमें जैविक खाद के साथ थोड़ी मिट्टी भरें। पौधे को गड्ढे में इस तरह लगाएँ कि जड़ें फैलें और ऊपरी हिस्सा मिट्टी से ऊपर रहे।

ड्रिप सिंचाई: पैदावार बढ़ाने का कारगर तरीका

आज के समय में पानी की कमी एक बड़ी चुनौती है, और इसी को देखते हुए ड्रिप सिंचाई (Drip Irrigation) केले की खेती के लिए अनिवार्य हो गई है। महाराष्ट्र, तमिलनाडु, और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में किसान इसे बड़े पैमाने पर अपना रहे हैं। ड्रिप सिंचाई से पानी की 25-30% तक बचत होती है, जो बरसात में अतिरिक्त नमी को नियंत्रित करने में मदद करती है। यह उर्वरकों को जड़ों तक सीधे पहुँचाती है, जिससे इनपुट लागत में 15-20% की कमी आती है और पैदावार 10-15% बढ़ती है। प्रति पौधे 10-15 लीटर पानी रोजाना ड्रिप से दें, और बरसात में इसे कम करें। यह तकनीक पौधों को मजबूती देती है और फलों का आकार बेहतर बनाती है।

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खाद और पोषण प्रबंधन

केला एक लंबी अवधि की फसल है, इसलिए इसे अच्छी तरह पोषित करना जरूरी है। एक केले के पौधे को अपने जीवन चक्र में यूरिया 434 ग्राम, सिंगल सुपर फॉस्फेट (SSP) 625 ग्राम, और म्यूरेट ऑफ पोटाश (MOP) 500 ग्राम की जरूरत होती है। खाद को एक साथ न दें, बल्कि इसे स्प्लिट डोज में बाँटें। रोपाई के समय बेसल खाद के रूप में 100 ग्राम यूरिया और 125 ग्राम SSP डालें। पहले महीने से 4 महीने तक हर 15 दिन में 60 ग्राम यूरिया और 125 ग्राम SSP दें। इसके बाद हर महीने 100 ग्राम यूरिया और 100 ग्राम MOP की खुराक दें, यह पोषक तत्वों के बेहतर उपयोग को सुनिश्चित करता है, जिससे गुणवत्तापूर्ण केले मिलते हैं।

मुनाफे का गणित और चुनौतियाँ

केले की खेती, (Tissue Culture Banana) खासकर टिश्यू कल्चर पौधों, ड्रिप सिंचाई, और उचित खाद प्रबंधन के साथ प्रति एकड़ 3.5 लाख रुपये तक की शुद्ध आमदनी दे सकती है। प्रति एकड़ लागत लगभग 1.20 लाख रुपये है, जिसमें बीज, खाद, और श्रम शामिल हैं। अंतर-फसल जैसे अदरक या हल्दी उगाकर लागत कम की जा सकती है, जो आय को 4 लाख रुपये तक बढ़ा सकता है। बाजार में केले की कीमत 5-10 रुपये/किलोग्राम रहती है, और प्रति एकड़ 50-60 टन उत्पादन से मुनाफा सुनिश्चित होता है। हालांकि, जलभराव, कीट (जैसे थ्रिप्स), और बीमारियाँ चुनौती हो सकती हैं। इनसे बचने के लिए जल निकासी का इंतजाम करें, नीम तेल (2 मिली/लीटर) का छिड़काव करें, और कृषि विशेषज्ञों की सलाह लें।

केले की खेती का विस्तार नए क्षेत्रों में होगा, खासकर बिहार और उत्तर प्रदेश में, जहाँ बरसात का फायदा उठाया जा सकता है। 2030 तक भारत केले के निर्यात में अग्रणी बन सकता है, अगर वैज्ञानिक तरीके अपनाए जाएँ। सरकार की सब्सिडी, जैसे राष्ट्रीय बागवानी मिशन (NHM), से ड्रिप सिस्टम और टिश्यू कल्चर पौधों पर 50-70% छूट मिलती है। निष्कर्ष यह है कि केले की खेती सही योजना और तकनीक से किसानों के लिए समृद्धि का रास्ता है। बरसात इसे शुरू करने का सही मौका है आज से शुरू करें और अपने खेत को सोने की खान बनाएँ!

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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