Top 5 Maize Varieties 2025: किसान भाइयों, रबी फसलों की कटाई के बाद खेत खाली पड़े हैं। ऐसे में साठा धान की जगह मक्का की खेती आपके लिए सोने का सौदा हो सकती है। मक्का की फसल कम पानी में लहलहाती है और मुनाफा तगड़ा देती है। एथेनॉल, पशु चारा, और खाने-पीने की चीज़ों में मक्का की माँग आसमान छू रही है। बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, और कर्नाटक में किसान रबी सीजन में मक्का उगाकर लाखों कमा रहे हैं। खासकर उन इलाकों में, जहाँ साठा धान पर रोक है, मक्का किसानों की पहली पसंद बन रही है।
कृषि विज्ञान केंद्र, नियामतपुर के एक्सपर्ट डॉ. एनपी गुप्ता बताते हैं कि मक्का की खेती कम लागत में तैयार हो जाती है और कम सिंचाई वाले इलाकों में भी शानदार पैदावार देती है। उन्नत किस्मों की बुवाई से 80-110 दिनों में मंडी तक फसल पहुँच सकती है। आइए, मक्का की उन्नत किस्मों, खेती के गुर, और मुनाफे की राह को समझें।
मक्का की खेती क्यों है खास
मक्का की फसल पानी की बचत करती है और बाजार में इसकी माँग हर दिन बढ़ रही है। एथेनॉल बनाने से लेकर पशु चारा और खाने की चीज़ों तक, मक्का हर जगह छा रही है। मक्का की फसल 80-110 दिनों में तैयार हो जाती है, जिससे किसान जल्दी मंडी में बिक्री शुरू कर सकते हैं। यह फसल बदलते मौसम को आसानी से झेल लेती है, जिससे खराब होने का डर कम रहता है। कम सिंचाई वाले इलाकों, जैसे राजस्थान और मध्य प्रदेश, में भी मक्का लहलहाती है। उन्नत हाइब्रिड किस्मों ने मक्का को और मुनाफेदार बना दिया है।
गंगा-5
गंगा-5 मक्का की ऐसी किस्म है, जो कम पानी में भी शानदार पैदावार देती है। यह उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, और हरियाणा के किसानों के लिए वरदान है। यह किस्म 90-100 दिनों में तैयार हो जाती है और प्रति हेक्टेयर 50-55 क्विंटल फल देती है। यह किस्म मौसम के उतार-चढ़ाव को झेल लेती है और रोगों के खिलाफ मज़बूत है। गंगा-5 के दाने चमकदार और वज़नदार होते हैं, जिससे मंडी में अच्छा दाम मिलता है।
पार्वती
पार्वती हाइब्रिड मक्का उन किसानों के लिए कमाल की है, जो अगेती और पछेती दोनों समय बुवाई करना चाहते हैं। यह किस्म 90-100 दिनों में पककर तैयार हो जाती है और प्रति हेक्टेयर 45-50 क्विंटल की शानदार पैदावार देती है। राजस्थान, मध्य प्रदेश, और गुजरात के किसान इसे खूब पसंद करते हैं। यह किस्म कम पानी और गर्मी में भी लहलहाती है, जिससे रबी सीजन में बुवाई आसान हो जाती है। इसके दाने मंडी में 1,800-2,200 रुपये प्रति क्विंटल बिकते हैं।
पूसा हाइब्रिड-1
पूसा हाइब्रिड-1 मक्का की उन्नत किस्म है, जो सिर्फ 80-85 दिनों में तैयार हो जाती है। यह तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, और कर्नाटक के किसानों की पहली पसंद है। प्रति हेक्टेयर 55-60 क्विंटल की पैदावार के साथ यह किस्म मुनाफे का खजाना है। यह किस्म रबी सीजन के ठंडे मौसम में भी अच्छी पैदावार देती है और टर्किकम लीफ ब्लाइट जैसे रोगों से बची रहती है। इसके दाने पीले और आकर्षक होते हैं, जो मंडी में तगड़ा दाम दिलाते हैं।
शक्तिमान
शक्तिमान मक्का की वह किस्म है, जो ज़्यादा पैदावार के लिए मशहूर है। यह 90-110 दिनों में तैयार होती है और प्रति हेक्टेयर 60-70 क्विंटल फल देती है। मध्य प्रदेश और राजस्थान में किसान इसे खूब उगाते हैं। यह किस्म पशु चारा और एथेनॉल बनाने के लिए मुफीद है, जिससे इसकी माँग हमेशा बनी रहती है। शक्तिमान के दाने मज़बूत और भारी होते हैं, जो लंबे समय तक स्टोरेज में सुरक्षित रहते हैं।
शक्ति-1
शक्ति-1 मक्का की ऐसी किस्म है, जो स्वाद और पौष्टिकता के लिए जानी जाती है। यह 95 दिनों में तैयार हो जाती है और प्रति हेक्टेयर 55-60 क्विंटल पैदावार देती है। भारत के ज़्यादातर इलाकों में इसे खाने के लिए उगाया जाता है। यह किस्म रबी सीजन में कम पानी और ठंडे मौसम में भी लहलहाती है। शक्ति-1 के दाने खाने में लाजवाब होते हैं, जिससे इसकी माँग कभी कम नहीं होती।
मुनाफे की नींव
मक्का की खेती में सही शुरुआत मुनाफे की गारंटी देती है। रबी सीजन में बुवाई अक्टूबर-नवंबर में करें। दोमट या बलुई मिट्टी, जिसका पीएच 5.5-7.0 हो, इसके लिए मुफीद है। खेत की गहरी जुताई करें और 4-6 टन गोबर खाद डालें। बीज को 4-5 सेंटीमीटर गहराई पर बोएँ, 60×20 सेंटीमीटर की दूरी रखें। प्रति हेक्टेयर 20-25 किलो बीज काफी है। ड्रिप सिस्टम से 3-4 बार सिंचाई करें, खासकर फूल आने (50-55 दिन) और दाना बनने (75-80 दिन) के समय। बिहार के दरभंगा में एक किसान ने ड्रिप सिस्टम से 25 प्रतिशत ज़्यादा पैदावार पाई। थायमेथोक्सम 30% FS (10 मिली/किलो बीज) और कार्बेंडाजिम 50% WP (3 ग्राम/किलो बीज) से बीज उपचार करें। यह फसल को कीटों और फफूंद से बचाएगा।
रोग और कीटों से जंग
मक्का में टर्किकम लीफ ब्लाइट और बैक्टीरियल स्टॉक रॉट जैसे रोग परेशान कर सकते हैं। टर्किकम लीफ ब्लाइट के लिए मैनकोज़ेब (2-4 ग्राम/लीटर) का छिड़काव 10 दिन के अंतराल पर करें। बैक्टीरियल स्टॉक रॉट से बचने के लिए खेत में पानी जमा न होने दें और ब्लीचिंग पाउडर (4 किलो/एकड़) डालें। नीम तेल का छिड़काव फॉल आर्मीवर्म और स्टेम बोरर जैसे कीटों से बचाता है। खरपतवार के लिए बुवाई के 2-3 हफ्ते बाद FMC गिलार्डो (30 मिली/एकड़) का छिड़काव करें। नियमित निगरानी और जैविक उपाय फसल को स्वस्थ रखेंगे।
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