Top 5 Varieties of Urad: रबी फसलों का मौसम खत्म हो रहा है और फरवरी के अंत तक कई खेत खाली होने लगते हैं। ऐसे में किसान भाई मार्च के पहले हफ्ते तक उड़द की बुवाई करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। इससे गर्मी में खेत खाली नहीं रहेंगे और तीसरी फसल से कमाई का रास्ता खुलेगा। उड़द की बुवाई जितनी जल्दी करें, उतना बेहतर है। इसमें लागत कम लगती है, बस 25 किलो बीज प्रति हेक्टेयर काफी है और 12-15 क्विंटल तक पैदावार मिल सकती है। बुवाई से पहले बीज का उपचार जरूरी है, ताकि फफूंद और कीटों से बचाव हो। आइए, उड़द की 5 बेहतरीन किस्मों को समझते हैं।
इंदिरा उड़द प्रथम: 70-75 दिन में 12-13 क्विंटल
इंदिरा उड़द प्रथम जायद सीजन के लिए शानदार किस्म है। ये 70-75 दिनों में तैयार हो जाती है और 12-13 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार देती है। ये किस्म जल्दी पकने के साथ-साथ कीट-रोगों से भी कम परेशान होती है। मार्च में बुवाई के लिए ये बिल्कुल फिट है। इसकी पैदावार से गर्मियों में अच्छा मुनाफा मिलेगा।
केयू 96-3: 73 दिन में 8-10 क्विंटल
केयू 96-3 उड़द की एक और भरोसेमंद किस्म है। ये 73 दिनों में पककर तैयार हो जाती है और 8-10 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन देती है। ये किस्म उन किसानों के लिए अच्छी है, जो कम समय में ठीक-ठाक पैदावार चाहते हैं। बीज का उपचार करके बुवाई करें, तो सफेद मक्खी जैसे कीटों से बचाव होगा। ये आपके खेत को खाली नहीं छोड़ेगी।
शेखर-3 (केयू 309): 66-84 दिन में 10 क्विंटल
शेखर-3, जिसे केयू 309 भी कहते हैं, उड़द की एक उन्नत किस्म है। ये 66-84 दिनों में तैयार हो जाती है और 10 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार देती है। ये जल्दी पकने वाली और रोगों से लड़ने में माहिर है। मार्च में बुवाई के लिए ये बढ़िया विकल्प है। ये किस्म गर्मियों की कमाई का रास्ता खोलती है।
प्रताप उड़द-1: ढाई महीने में 10+ क्विंटल
प्रताप उड़द-1 भी ढाई महीने यानी 75-80 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। ये 10 क्विंटल से ज्यादा उत्पादन देती है। इसकी खासियत है कि ये कम लागत में अच्छी पैदावार देती है। बीज को इमिडाक्लोप्रिड 48% या थायमेथॉक्सम 70% से उपचारित करें, ताकि कीट शुरू से ही दूर रहें। ये किस्म किसानों की जेब भरने में मददगार है।
IPU 02-43: 75 दिन में 11 क्विंटल
IPU 02-43 उड़द की एक और उन्नत किस्म है, जो ढाई महीने यानी करीब 75 दिनों में तैयार हो जाती है। ये 11 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार देती है। ये रोग प्रतिरोधी है और मार्च की बुवाई के लिए मुफीद है। बीज का उपचार जरूरी है, ताकि सफेद मक्खी जैसे कीट नुकसान न करें। ये किस्म गर्मियों में अच्छा साथ देगी।
बुवाई और खेत की तैयारी का तरीका
मार्च में उड़द की बुवाई के लिए खेत को मिट्टी पलटने वाले हल से जोतें। फिर डिस्क हैरो से भुरभुरा करें। 25 किलो बीज प्रति हेक्टेयर को 2 ग्राम फफूंदनाशक (जैसे कार्बेन्डाजिम) से उपचारित करें। कतार से कतार 30 सेमी और पौधे से पौधे 10 सेमी की दूरी रखें। गोबर की खाद 2-3 टन प्रति एकड़ डालें। 20 किलो नाइट्रोजन और 40 किलो फॉस्फोरस बुवाई के वक्त दें। गर्मियों में 10-12 दिन पर पानी दें।
बंपर कमाई का मौका
उड़द की इन किस्मों से 8-15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार मिल सकती है। गर्मियों में इसका भाव 70-90 रुपये प्रति किलो तक जाता है, जिससे प्रति एकड़ 50-70 हजार रुपये की कमाई हो सकती है। लागत 10-15 हजार रुपये के आसपास आती है। ये फसल मेहनत का पूरा फल देती है।
ये भी पढ़ें- फसलों के लिए वरदान है ‘जीवामृत’, जानें इसे बनाने और इस्तेमाल करने का सही तरीका