बाजरे की टॉप किस्में, जिन्हें अप्रैल से मई, जून, जुलाई तक बोई जा सकती है, कम लागत में तगड़ा मुनाफा

किसान भाइयों, बाजरा एक ऐसा अनाज है, जो कम पानी, कम मेहनत में उग जाता है, और पोषण से भरपूर होने के साथ-साथ अच्छी कमाई देता है। इसे श्रीअन्न भी कहते हैं, क्योंकि इसमें प्रोटीन, फाइबर, आयरन होता है। अप्रैल से जुलाई तक का समय खरीफ और ग्रीष्मकालीन बाजरे की बुआई के लिए सही है। सही किस्म चुनें, तो पैदावार बढ़ेगी, और मुनाफा भी दोगुना होगा। बाजार में इसकी कीमत 20-30 रुपये किलो तक रहती है, और चारा भी पशुओं के लिए शानदार होता है। तो चलिए, जानते हैं कि अप्रैल से जुलाई तक बोई जा सकने वाली टॉप बाजरे की किस्में कौन-कौन सी हैं।

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बुआई का सही समय और तैयारी

बाजरे की खेती गर्म, शुष्क जलवायु में अच्छी होती है, 25-35 डिग्री तापमान इसके लिए बेस्ट है। अप्रैल-मई में ग्रीष्मकालीन बुआई शुरू करें, खासकर सिंचित इलाकों में। जून-जुलाई में खरीफ के लिए मानसून की पहली बारिश के साथ बोएँ। खेत की दो-तीन बार जुताई करें, मिट्टी भुरभुरी बनाएँ। प्रति एकड़ 5-6 टन गोबर की खाद डालें, 20-25 किलो यूरिया, 15 किलो फॉस्फोरस मिलाएँ। दोमट, रेतीली मिट्टी इसके लिए सही है, पानी की निकासी का ध्यान रखें। सही समय पर बुआई करें, तो पैदावार दमदार होगी।

टॉप बाजरे की किस्में

यहाँ कुछ बेहतरीन बाजरे की किस्में हैं, जो अप्रैल से जुलाई तक बोई जा सकती हैं। ये कम समय में तैयार होती हैं, और पैदावार भी शानदार देती हैं।

1. HHB 67 (हाइब्रिड)

ये हाइब्रिड किस्म 60-65 दिन में तैयार हो जाती है, अप्रैल-मई में ग्रीष्मकालीन बुआई के लिए बेस्ट है। प्रति हेक्टेयर 22-25 क्विंटल तक उपज देती है। सूखा, जोगिया रोग सहन कर लेती है। बीज की मात्रा 4 किलो प्रति हेक्टेयर रखें। राजस्थान, हरियाणा, गुजरात में लोकप्रिय है, जून-जुलाई में भी बोई जा सकती है।

2. RHB 177 (हाइब्रिड)

ये किस्म 75-80 दिन में पकती है, जून-जुलाई में खरीफ के लिए सही है। 25-30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार देती है। मृदु-रोमिल रोग से बचाव करती है, कम पानी में भी अच्छी उपज देती है। पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश में उगाई जाती है। अप्रैल में सिंचाई उपलब्ध हो, तो शुरू कर सकते हैं।

3. Pusa Composite 701

ये किस्म 80-85 दिन में तैयार होती है, अप्रैल से जुलाई तक बुआई के लिए उपयुक्त है। 20-25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज देती है। सूखा सहन करने में माहिर है, दाने बड़े, चारा भी अच्छा मिलता है। बीज 4-5 किलो प्रति हेक्टेयर लें। महाराष्ट्र, कर्नाटक में खूब बोई जाती है।

4. GHB 558 (हाइब्रिड)

ये हाइब्रिड किस्म 70-75 दिन में पकती है, जून-जुलाई में मानसून के साथ बुआई करें। 25-28 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार देती है। रोग प्रतिरोधी है, दाने भूरे, चारे की मात्रा भी ज्यादा होती है। गुजरात, राजस्थान में लोकप्रिय है, अप्रैल-मई में भी आजमाई जा सकती है।

5. NBH 5767 (हाइब्रिड)

ये किस्म 65-70 दिन में तैयार हो जाती है, अप्रैल से जुलाई तक बोई जा सकती है। 23-27 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज देती है। कम पानी, गर्मी सहन कर लेती है, असिता रोग से बचाव करती है। उत्तर भारत के सूखे इलाकों में शानदार है। बीज 4 किलो प्रति हेक्टेयर काफी है।

देखभाल के आसान टिप्स

बाजरे को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं, शुरू में मिट्टी नम रखें, हर 10-15 दिन में हल्की सिंचाई करें। मानसून में बारिश पर्याप्त हो, तो पानी कम दें। 20-25 दिन बाद पहली गुड़ाई करें, खरपतवार हटाएँ। कीट जैसे तना छेदक दिखें, तो नीम का तेल (5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी) छिड़कें। फूल आने पर 10-15 किलो यूरिया डालें, दाने मोटे होंगे। सही देखभाल से पैदावार बढ़ेगी।

कमाई कैसे होगी जबरदस्त

बाजरे का दाना 20-30 रुपये किलो बिकता है, एक एकड़ से 8-10 क्विंटल मिले, तो 20-30 हजार रुपये की कमाई होगी। चारा 5-10 रुपये किलो बिकता है, इससे अतिरिक्त 10-15 हजार मिल सकते हैं। लागत 10-12 हजार रुपये निकालकर 20-30 हजार मुनाफा बचता है। बेकरी, पशु आहार कंपनियों से संपर्क करें, दाम बढ़ेगा। एक हेक्टेयर से 50-70 हजार तक की कमाई संभव है।

सावधानियाँ और सुझाव

खेत में पानी न जमे, जड़ें कमजोर हो सकती हैं। बीज को बाविस्टिन (2 ग्राम प्रति किलो) से उपचारित करें, अंकुरण बेहतर होगा। जुलाई के बाद बुआई से बचें, पैदावार कम होगी। छोटे स्तर से शुरू करें, 1-2 एकड़ में आजमाएँ। कृषि केंद्र से सलाह लें, अच्छे बीज लें। सरकार की सब्सिडी योजनाएँ चेक करें, लागत कम होगी।

अप्रैल से जुलाई तक बाजरे की इन टॉप किस्मों को बोएँ, कम मेहनत में बंपर पैदावार पाएँ। ये किस्में सूखा सहन करती हैं, रोगों से लड़ती हैं, और मुनाफा बढ़ाती हैं। अपने खेत में आजमाएँ, सही देखभाल करें, और देखें कैसे बाजरा आपकी मेहनत को सोने में बदलता है। मेहनत करें, तरीका सही रखें, फिर कमाई अपने आप आएगी।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र पिछले तिन साल से पत्रकारिता कर रहा हूँ मै ugc नेट क्वालीफाई हूँ भूगोल विषय से मै एक विषय प्रवक्ता हूँ , मुझे कृषि सम्बन्धित लेख लिखने में बहुत रूचि है मैंने सम्भावना संस्थान हिमाचल प्रदेश से कोर्स किया हुआ है |

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