Triple Super Phosphate Uses: रबी की फसलें अब खेतों में कल्ले फूटने लगी हैं। गेहूँ, चना, सरसों, आलू, सब्जियाँ – हर फसल को इस समय सबसे ज्यादा जरूरत होती है मजबूत जड़ों की और भरपूर फूल-फल की। उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि विभाग ने इस बार जो संदेश दिया है, वो हर किसान को ध्यान से पढ़ना चाहिए – “TSP (ट्रिपल सुपर फॉस्फेट) का प्रयोग अपनी फसलों में जरूर करें।” ये कोई नई बात नहीं, लेकिन आज भी लाखों किसान सिर्फ यूरिया और डीएपी पर ही निर्भर रहते हैं और फॉस्फोरस की कमी से फसल कमजोर पड़ जाती है। आज हम बात करेंगे TSP की – क्यों इसे “सुपर” कहा जाता है, कैसे ये जड़ों को ताकत देता है।
TSP क्या है और इसमें ऐसा क्या खास है?
TSP यानी ट्रिपल सुपर फॉस्फेट। इसमें 46 प्रतिशत पानी में घुलनशील फॉस्फोरस (P₂O₅) और 12-15 प्रतिशत कैल्शियम होता है। डीएपी में जहाँ 46% फॉस्फोरस के साथ 18% नाइट्रोजन भी मिलता है, वहीं TSP शुद्ध फॉस्फोरस का राजा है। जब खेत में फॉस्फोरस की कमी होती है, तो पौधे की जड़ें कमजोर रह जाती हैं, कल्ले कम निकलते हैं, फूल झड़ जाते हैं और दाने हल्के रह जाते हैं। TSP ये सारी कमियाँ एक झटके में दूर कर देता है। उत्तर भारत की ज्यादातर मिट्टियों में फॉस्फोरस की कमी है – मिट्टी जाँच रिपोर्ट में अगर Available P₂O₅ 20 किलो प्रति हेक्टेयर से कम है, तो TSP जरूर डालें।
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TSP कैसे काम करता है
बोने के समय या कल्ले फूटने तक TSP डालने से जड़ें तेजी से फैलती हैं, पौधा मजबूत खड़ा होता है। फॉस्फोरस पौधे में ऊर्जा का वाहक है (ATP बनाता है), जिससे फूलों की संख्या बढ़ती है, फल का आकार बड़ा होता है और दाने भारी भरते हैं। गेहूँ में कल्ले ज्यादा, सरसों में दाने भरे-भरे, आलू-गन्ना में कंद भारी, सब्जियों में फल ज्यादा – ये सब TSP की देन है। कैल्शियम भी मिलता है, जिससे मिट्टी का पीएच सुधरता है और फसल में रोग कम लगते हैं।
किन फसलों में और कितना डालें
गेहूँ, जौ, चना, मसूर, सरसोन, राई – 50-60 किलो प्रति एकड़ (125-150 किलो प्रति हेक्टेयर) बोने के समय अंतिम जुताई में। आलू – 80-100 किलो प्रति एकड़ कूंड में। गन्ना – 100-120 किलो प्रति एकड़ बेसल डोज में। सब्जियाँ (टमाटर, बैंगन, मिर्च, भिंडी) – 60-80 किलो प्रति एकड़। दलहनी फसलें (चना, मसूर, मटर) – 50 किलो प्रति एकड़ ही काफी, क्योंकि ये खुद नाइट्रोजन बनाती हैं।
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डालने का सही तरीका
बोने से पहले अंतिम जुताई में छिटकवाँ या ड्रिल से डालें। अगर डीएपी पहले से डाल चुके हैं और अभी भी जड़ें कमजोर लग रही हैं, तो कल्ले फूटने पर TSP की आधी मात्रा ऊपरी ड्रेसिंग में डाल सकते हैं। पानी के साथ घुलकर ये जल्दी जड़ों तक पहुँचता है।
TSP के फायदे – एक नजर में
- फॉस्फोरस 46% – सबसे ज्यादा और शुद्ध
- जड़ों का तेज विकास, पौधा सूखा और ठंड सहन करे
- फूल-फल और दाने भरपूर, पैदावार 10-15% तक बढ़े
- कैल्शियम मिलने से मिट्टी का पीएच सुधरे
- दलहनी फसलों के लिए विशेष लाभ – नाइट्रोजन फिक्सेशन बढ़े
- लंबे समय तक मिट्टी में उपलब्ध रहे
उत्तर प्रदेश सरकार की अपील
प्रसार शिक्षा एवं प्रशिक्षण ब्यूरो, कृषि विभाग उत्तर प्रदेश ने साफ कहा है – “किसान भाइयों से अपील है कि ट्रिपल सुपर फॉस्फेट (TSP) का प्रयोग अपनी फसलों में अवश्य करें, ताकि सम्पूर्ण विकास एवं भरणक के अनुकूल उत्पादन प्राप्त कर सकें।” ये सिर्फ सलाह नहीं, बल्कि लाखों किसानों का अनुभव है।
भाइयों, इस रबी सीजन में यूरिया के साथ-साथ TSP जरूर डालें। 10-15 किलो अतिरिक्त गेहूँ, 2-3 क्विंटल ज्यादा सरसों, भारी-भरकम आलू – सब कुछ इसी एक बोरी से संभव है। अपने नजदीकी कृषि केंद्र, सहकारी समिति या पीएसीएस से TSP आज ही लाएँ। आपकी फसल हरी-भरी और भारी-भरकम हो, यही दुआ है।
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