Tur Dal Price: भारत दुनिया में सबसे बड़ा दलहन उत्पादक देश होने के बावजूद, अरहर (तुअर) दाल की घरेलू मांग को पूरा करने में असमर्थ है। 2022-23 में वैश्विक उत्पादन का 79% हिस्सा भारत का था, लेकिन फिर भी हमें 2024-25 में 8.14 लाख मीट्रिक टन तुअर दाल का आयात करना पड़ा। आखिर ऐसा क्यों है? आइए इस समस्या को विस्तार से समझते हैं।
भारत में अरहर दाल की खपत और उत्पादन का अंतर
भारत में दालें प्रोटीन का प्रमुख स्रोत हैं, खासकर शाकाहारी आबादी के लिए। हालांकि, घरेलू उत्पादन और मांग के बीच लगभग 10 लाख मीट्रिक टन का अंतर है। वार्षिक मांग 45 लाख मीट्रिक टन है, जबकि घरेलू उत्पादन 35 लाख मीट्रिक टन (2024-25) ही हो पाया है। इस कारण हमें आयात का सहारा लेना पड़ता है और कीमतों में तेजी से वृद्धि हो रही है।
अरहर दाल की कीमतों में बढ़ोतरी
जनवरी 2023 में थोक मूल्य 9953.97 रुपये प्रति क्विंटल था, जो जनवरी 2025 में बढ़कर 13,527.8 रुपये प्रति क्विंटल हो गया। खुदरा कीमतें भी बढ़कर 200 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई हैं। यह वृद्धि 36% से अधिक दर्शाती है, जो उपभोक्ताओं के लिए चिंता का विषय है।
मौसम में बदलाव, फसल की बीमारियाँ और कृषि भूमि का घटता क्षेत्र इसके प्रमुख कारण हैं। अनियमित वर्षा और सूखे की वजह से उत्पादन प्रभावित हो रहा है। साथ ही, विल्ट और फ्यूजेरियम जैसी बीमारियाँ फसल को नुकसान पहुँचा रही हैं। किसानों का अन्य फसलों की ओर झुकाव भी अरहर उत्पादन में कमी का कारण बन रहा है। इसके अलावा, सरकार की नीतियों में बदलाव और समर्थन मूल्य की कमी ने भी किसानों को अरहर उत्पादन से दूर किया है।
भारत में प्रमुख अरहर उत्पादक राज्य
भारत में महाराष्ट्र और कर्नाटक अरहर उत्पादन में अग्रणी हैं। इनके अलावा मध्य प्रदेश, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश भी प्रमुख उत्पादक राज्य हैं। इन राज्यों में उपयुक्त जलवायु और मिट्टी अरहर की खेती के लिए अनुकूल मानी जाती है।
म्यांमार, मलावी, तंजानिया और केन्या भारत के प्रमुख आयातक देश हैं। 2023-24 में भारत ने 4.40 लाख मीट्रिक टन तुअर दाल आयात की थी, जो 2024-25 में बढ़कर 8.14 लाख मीट्रिक टन हो गई, यानी 85% की वृद्धि हुई।
सरकार द्वारा उठाए गए कदम
सरकार ने दालों की बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए विभिन्न कदम उठाए हैं। इसमें दालों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढ़ोतरी, भंडारण नीति में सुधार, और आयात शुल्क को नियंत्रित करना शामिल है। साथ ही, दलहन उत्पादन बढ़ाने के लिए विशेष कृषि योजनाएँ चलाई जा रही हैं, जिनमें किसानों को उन्नत बीज और तकनीकी सहायता प्रदान की जा रही है।
उत्पादन बढ़ाने के लिए उन्नत बीजों का उपयोग और बेहतर सिंचाई तकनीकों को अपनाना जरूरी है। कृषि नीति में सुधार कर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) बढ़ाने और किसानों को आधुनिक खेती तकनीकों की जानकारी देने की आवश्यकता है। इसके अलावा, भंडारण सुविधाओं में सुधार करके आयात निर्भरता कम की जा सकती है। सरकार को चाहिए कि वह दलहन किसानों को अधिक सब्सिडी और वित्तीय सहायता प्रदान करे ताकि उत्पादन को प्रोत्साहित किया जा सके।
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