गन्ने की फसल कटाई के बाद चीनी मिलों में सप्लाई का इंतजार तो सबसे लंबा लगता है, खासकर जब पर्ची न मिले तो गन्ना सूखने लगे। लेकिन उत्तर प्रदेश के 45 लाख गन्ना उगाने वालों के लिए अच्छी खबर है। राज्य के गन्ना एवं चीनी आयुक्त ने बताया कि इस पेराई सत्र 2025-26 में गन्ना पर्चियां सिर्फ एसएमएस के जरिए मोबाइल पर भेजी जा रही हैं, ठीक पिछले साल की तरह। इससे किसानों को तुरंत पर्ची मिलेगी, और वे बिना देरी के गन्ना भेज सकेंगे। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि स्मार्ट गन्ना किसान पोर्टल पर आपका मोबाइल नंबर सही दर्ज हो। अगर नहीं है, तो गन्ना पर्यवेक्षक से अपडेट करा लें।
SMS पर्ची व्यवस्था
गन्ना विकास विभाग की ये पहल किसानों की सुविधा के लिए है। आयुक्त ने साफ कहा कि पर्चियां अब कागज पर नहीं, बल्कि सीधे आपके फोन पर आएंगी। पिछले सत्र में भी यही हुआ था, और अब इसे और बेहतर बनाने की कोशिश हो रही है। एसएमएस डिलीवरी 95 प्रतिशत से ऊपर पहुंच गई है, लेकिन 100 प्रतिशत के लिए थोड़ी सजगता चाहिए। ये सिस्टम पूरी तरह पारदर्शी है, जहां सर्वर से पर्ची जारी होते ही आपके मोबाइल पर आ जाएगी। सोचिए, मिल के बाहर घंटों लाइन में न लगनी पड़े, बस फोन चेक करें और गाड़ी लोड करके निकल पड़ें। उत्तर प्रदेश जैसे बड़े गन्ना उत्पादक राज्य में ये बदलाव तो जैसे किसानों के लिए वरदान है, जहां हर साल करोड़ों टन गन्ना मिलों तक पहुंचता है।
पर्ची न मिले तो क्या करें?
कभी-कभी एसएमएस न पहुंचने की वजह से परेशानी होती है, लेकिन अब विभाग ने सलाह दी है कि इसे आसानी से ठीक किया जा सकता है। सबसे पहले, स्मार्ट गन्ना किसान ऐप या पोर्टल पर अपना नंबर चेक करें। अगर गलत है, तो नजदीकी गन्ना पर्यवेक्षक से कहकर सही करवा लें – ये मिनटों का काम है। फिर, मोबाइल को हमेशा नेटवर्क एरिया में रखें, रिचार्ज भरा रहने दें, और काल बारिंग का ऑप्शन न चुनें। एसएमएस इनबॉक्स को खाली रखें, फोन चार्ज करके चालू रखें, और डू नॉट डिस्टर्ब सर्विस बिल्कुल न ऑन करें। इन बातों का ध्यान रखा तो पर्ची रीयल टाइम में मिलेगी, और आप ताजे गन्ने की सप्लाई कर सकेंगे। विभाग का कहना है कि ये छोटे बदलाव आपकी फसल को सूखने से बचाएंगे, और मिलों में देरी न होने से दाम भी बेहतर मिलेंगे।
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क्यों है ये व्यवस्था किसानों के हित में?
इस एसएमएस सिस्टम का सबसे बड़ा फायदा तो समय की बचत है। पहले पर्ची के लिए दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते थे, लेकिन अब घर बैठे फोन पर सब कुछ। इससे गन्ना सूखने का खतरा कम हो जाता है, जो किसानों को लाखों का नुकसान बचाता है। साथ ही, ये पारदर्शिता लाता है – कोई बिचौलिया नहीं, सीधा विभाग से कनेक्ट। आयुक्त ने कहा कि इससे किसान तुरंत सप्लाई कर पाएंगे, और मिलें भी सुचारू रूप से चलेंगी। गन्ना उत्पादन में उत्तर प्रदेश अग्रणी राज्य है, और ऐसी तकनीकी मदद से छोटे किसान भी मजबूत होंगे। कई किसान भाई बता रहे हैं कि पिछले सत्र में ये सिस्टम काम आया, और इस बार और सुधार होगा। कुल मिलाकर, ये योजना आपकी मेहनत का पूरा फल दिलाने में मदद करेगी।
जागरूकता अभियान से कोई न छूटे
गन्ना आयुक्त ने सभी जिलाधिकारियों और गन्ना अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं कि वे किसानों को इस एसएमएस व्यवस्था के बारे में अच्छे से जागरूक करें। गांव-गांव में मीटिंग्स होंगी, पंपलेट बंटेंगे, और पर्यवेक्षक घर-घर पहुंचकर नंबर चेक करवाएंगे। मकसद ये है कि कोई किसान सप्लाई में पिछड़ न जाए। विभाग का मानना है कि जागरूकता से ही 100 प्रतिशत डिलीवरी संभव है। अगर आपके इलाके में कोई कार्यक्रम हो रहा है, तो जरूर शामिल हों। ये न सिर्फ पर्ची के लिए, बल्कि गन्ना खेती की नई जानकारियों के लिए भी फायदेमंद होगा।
गन्ने का समर्थन मूल्य बढ़ा
इस अच्छी खबर के साथ एक और खुशी वाली बात – योगी आदित्यनाथ सरकार ने गन्ने के समर्थन मूल्य में ऐतिहासिक बढ़ोतरी की है। 2025-26 पेराई सत्र से अगैती प्रजाति का गन्ना 370 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 400 रुपये हो गया है। इसी तरह, सामान्य प्रजाति का 360 से 390 रुपये प्रति क्विंटल। ये बढ़ोतरी किसानों की आय सीधे प्रभावित करेगी, खासकर जब उत्पादन अच्छा हो। सरकार का ये फैसला गन्ना किसानों को मजबूत बनाने का संकेत है, और मिलों के साथ तालमेल बढ़ाएगा।
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