उत्तर प्रदेश में गन्ने पर नई बीमारी का खतरा, तुरंत कर लें ये काम, वरना हो जाएगा बड़ा नुकसान

उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें गहरी हो रही हैं। प्रदेश में गन्ना उत्पादन का क्षेत्रफल 29.51 लाख हेक्टेयर है, और औसत उत्पादकता 832 कुन्टल प्रति हेक्टेयर है। लेकिन इस बार कुछ जिलों में भारी जलभराव ने गन्ने की फसल को नई मुसीबत में डाल दिया है। गन्ने की पत्तियां लाल पड़ने लगी हैं, जो कृषि विशेषज्ञों के अनुसार बैक्टीरियल रॉट नामक नई बीमारी का संकेत है। यह बीमारी पहली बार कई क्षेत्रों में देखी जा रही है और किसानों के लिए गंभीर चुनौती बन गई है।

लालिमा का रहस्य, बीमारी की पहचान

कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि बैक्टीरियल रॉट के मुख्य लक्षणों में गन्ने की पत्तियों पर पीलापन और लाल धब्बे शामिल हैं। अगर गन्ने की पोरी को बीच से काटा जाए, तो अंदर लाल-लाल निशान दिखाई देते हैं, लेकिन सिरके जैसी गंध नहीं आती, जो इसे अन्य बीमारियों से अलग करता है। यह बीमारी धीरे-धीरे फैलती है और समय पर नियंत्रण न होने पर पूरे खेत को बर्बाद कर सकती है। मौसम में नमी और जलभराव इसकी वृद्धि को बढ़ावा दे रहा है, जो किसानों के लिए खतरे की घंटी है।

विशेषज्ञों ने किसानों को सलाह दी है कि जैसे ही खेत में बैक्टीरियल रॉट के लक्षण दिखें, प्रभावित गन्ने के पौधों को तुरंत खोदकर जला दें, ताकि बीमारी फैलने से रोकी जा सके। इसके बाद पूरे खेत में कॉपर ऑक्सिक्लोराइड (COC) या कॉपर हाइड्रोक्साइड का छिड़काव करें। सही मात्रा 2 ग्राम प्रति लीटर पानी है—उदाहरण के लिए, 20 लीटर की टंकी में 40 ग्राम दवा मिलाएं। पहला छिड़काव करने के 15 दिन बाद दूसरा छिड़काव जरूरी है। यह उपाय बीमारी को शुरुआती दौर में नियंत्रित कर सकता है।

ये भी पढ़ें- गन्ना किसान रहें सावधान, यह नया विदेशी कीट फसल को सुखाकर कर देगा चौपट

मौसम में नमी और ठंडक का मेल है, जो गन्ने की फसल के लिए अनुकूल हो सकता है, लेकिन जलभराव ने इसे जोखिम में डाल दिया है। बारिश के बाद खेतों में पानी जमा होना इस बीमारी को बढ़ावा दे रहा है। किसानों को सलाह दी जाती है कि खेतों की जल निकासी का इंतजाम करें और पौधों के आसपास कीचड़ हटाएं। सुबह की हल्की ओस का फायदा उठाकर छिड़काव करें, ताकि दवा का असर बेहतर हो और फसल सुरक्षित रहे।

समय की अहमियत: फसल बचाने का मौका

कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि समय पर सावधानी बरतने से बैक्टीरियल रॉट को रोकना संभव है। प्रभावित पौधों को जलाना और सही छिड़काव से खेत फिर से हरा-भरा हो सकता है। अगर यह बीमारी नियंत्रित न हुई, तो गन्ने की पैदावार में भारी कमी आ सकती है, जो किसानों की आर्थिक हालत को प्रभावित करेगा। सितंबर का यह मौसम खेतों की देखभाल के लिए महत्वपूर्ण है, इसलिए देर न करें और तुरंत कार्रवाई करें।

ये भी पढ़ें- गन्ना किसानों के लिए गुलाबी चिकटा और काउन मिलीबग की पहचान व प्रबंधन, फसल को कीटों से बचाएँ

उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों के लिए यह बीमारी एक नई परीक्षा है। भारी जलभराव और नमी ने पहले ही फसल को कमजोर किया है, और अब बैक्टीरियल रॉट ने मुश्किलें बढ़ा दी हैं। स्थानीय किसानों का कहना है कि अगर सरकार और विशेषज्ञ समय पर मदद करें, तो नुकसान को कम किया जा सकता है। यह संकट उन्हें प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए जागरूक और सतर्क बनाता है।

बैक्टीरियल रॉट से निपटने के लिए लंबे समय तक फायदा पाने के लिए किसानों को प्रशिक्षण और बेहतर जल प्रबंधन की जरूरत है। अगर सरकार जल निकासी की व्यवस्था और जैविक उपायों पर सब्सिडी दे, तो यह बीमारी नियंत्रित हो सकती है। आने वाले समय में गन्ने की ऐसी किस्में विकसित हो सकती हैं, जो रोग प्रतिरोधक हों। यह कदम न सिर्फ फसल बचाएगा, बल्कि किसानों की आजीविका को भी मजबूती देगा।

खेतों का नया जीवन

बैक्टीरियल रॉट से अपनी फसल को बचाएं और अपनी मेहनत को मुनाफे में बदलें। प्रभावित पौधों को हटाएं, कॉपर ऑक्सिक्लोराइड का छिड़काव करें, और खेतों की जल निकासी सुनिश्चित करें। यह कदम आपके गन्ने को लालिमा से बचाएगा और खेतों को फिर से हरा-भरा बनाएगा। तो देर न करें, आज से ही अपने खेतों की रक्षा शुरू करें!

ये भी पढ़ें- उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों के लिए खुशखबरी, अब आएंगी 243 नई किस्में, मुनाफा होगा कई गुना

Author

  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

    View all posts

Leave a Comment