Variety of mango: भारत में आम को फलों का राजा कहते हैं, और सच में ये ऐसा फल है जो हर किसी की जुबान पर चढ़ जाए। इसका मीठा स्वाद तो लाजवाब है ही, साथ में सेहत के लिए भी ये बड़ा फायदेमंद है। आम में ढेर सारा विटामिन A, C और E होता है, जो आँखों को ताकत देता है, चमड़ी को चमकाता है और शरीर को चुस्त रखता है।
हमारे देश में आम की इतनी किस्में हैं कि गिनते-गिनते थक जाइए। कुछ तो ऐसी हैं जो साल भर फल देती हैं। अगर आप भी अपने खेत या बाग में आम का पेड़ लगाने का सोच रहे हैं, तो ये लेख आपके लिए ही है। चलिए, जानते हैं कि कौन सी किस्में हैं खास और कैसे करनी है इनकी खेती।
साल भर फल देने वाली आम की किस्में
हमारे गाँव-खेतों में कई ऐसी आम की किस्में हैं जो बारहों महीने फल दे सकती हैं, बशर्ते उनकी देखभाल सही हो। अमरुपाली, आल्फांसो, केसर, दशहरी, बंगनपल्ली, राटौल और मल्लिका जैसी किस्में इस काम के लिए बेस्ट हैं। इनमें से कुछ के बारे में थोड़ा जान लीजिए।
आम्रपाली
अमरुपाली एक ऐसी किस्म है जो छोटी-सी दिखती है, पर स्वाद में बड़ी-बड़ी किस्मों को मात देती है। इसका रंग लाल-सा होता है और मिठास ऐसी कि खाते ही मन खुश हो जाए। खास बात ये है कि ये पेड़ ज्यादा जगह नहीं माँगता, गमले में भी उग जाता है। गाँव में छोटी जगह वाले भाइयों के लिए ये बढ़िया है।
आल्फांसो
आल्फांसो, जिसे हापुस भी कहते हैं, महाराष्ट्र का बादशाह है। इसका गूदा इतना नरम और रसदार होता है कि मुँह में रखते ही घुल जाए। खुशबू ऐसी कि दूर से ही पता चल जाए कि हापुस पास में है। ये थोड़ा महंगा जरूर है, पर स्वाद के आगे सब फीका।

केसर
केसर गुजरात का गहना है। इसका रंग पीला-पीला और स्वाद ऐसा कि एक बार खाइए तो बार-बार खाने का मन करे। इसे रखने में भी दिक्कत नहीं, लंबे दिन तक ताजा रहता है। हमारे गाँव में जो भाई लंबे समय तक आम बेचना चाहते हैं, उनके लिए ये बेस्ट है।
दशहरी
दशहरी तो उत्तर प्रदेश का नामी आम है। इसका स्वाद और सुगंध गाँव की मिट्टी की तरह गहरा है। ये जल्दी खराब भी नहीं होता, तो बाज़ार में ले जाने के लिए भी अच्छा है।
बंगनपल्ली
बंगनपल्ली दक्षिण का सितारा है। बड़ा-सा, चमकदार पीला और हल्की मिठास वाला ये आम खाने में बड़ा मज़ेदार लगता है। गर्म इलाकों में ये खूब फल देता है।
अपने इलाके के हिसाब से चुनें आम
हर गाँव-हर राज्य की मिट्टी और मौसम अलग होता है, तो आम की किस्म भी उसी हिसाब से चुननी पड़ती है। उत्तर प्रदेश में दशहरी, चौसा और लंगड़ा खूब जमता है। महाराष्ट्र में आल्फांसो का जलवा है। गुजरात में केसर सबको पसंद आता है। बिहार के भाइयों के लिए मलदहिया बढ़िया है, तो पश्चिम बंगाल में हिमसागर और लंगड़ा चलता है। आंध्र और तमिलनाडु में बंगनपल्ली और नीलम की बात ही अलग है। केरल में मुवत्तुपुझा और प्रियूर का स्वाद लाजवाब है। अपने खेत की मिट्टी और पानी देखकर ही पेड़ लगाइए, ताकि फल भी खूब आए।
आम की खेती का देसी तरीका
अब बात करते हैं कि अपने खेत में आम कैसे उगाएँ, वो भी ऐसा कि साल भर फल मिले। सबसे पहले तो सही किस्म चुनिए। गर्म जगह पर आल्फांसो और केसर अच्छा है, ठंडी जगह पर दशहरी और लंगड़ा जमेगा। पेड़ लगाने का सही वक्त मानसून की शुरुआत है, जब मिट्टी गीली हो।
मिट्टी ऐसी होनी चाहिए जिसमें पानी जमा न हो, दोमट मिट्टी बेस्ट है। पेड़ छोटा हो तो शुरू में हर 4-5 दिन में पानी दीजिए। गर्मी में हफ्ते में एक बार और सर्दी में 15 दिन में एक बार पानी काफी है। कीटों से बचने के लिए नीम का तेल या गोमूत्र का छिड़काव कर सकते हैं। खाद के लिए गोबर की सड़ी खाद डालिए, थोड़ा नीम की खली भी मिला दीजिए। इससे पेड़ मजबूत होगा और फल भी अच्छे आएँगे। जब फल आने लगें, तो उन्हें पूरा पकने से पहले तोड़ लीजिए और छाँव में रखिए, ताकि ताजगी बनी रहे।
एक बात और, पेड़ की कटाई-छँटाई भी जरूरी है। सूखी टहनियों को हटाते रहिए, ताकि पेड़ की ताकत फल देने में लगे। अगर ये सब सही से करेंगे, तो साल भर आम की बहार रहेगी।
छोटे खेत वालों के लिए खास टिप्स
अगर आपके पास बड़ा खेत नहीं है, तो परेशान मत होइए। अमरुपाली जैसी किस्म गमले में भी उगती है। बस उसे धूप वाली जगह रखिए और पानी का ध्यान रखिए। गमले में नीचे कंकड़ डाल दीजिए, ताकि पानी जमा न हो। थोड़ी मेहनत से छोटी जगह में भी बड़ी फसल ले सकते हैं।
आम से कमाई का रास्ता
सही देखभाल करें, तो आम सिर्फ खाने के लिए ही नहीं, बेचने के लिए भी बढ़िया है। गाँव में बाज़ार तक ले जाइए या शहर में भेजिए, अच्छा दाम मिलेगा। खासकर आल्फांसो और केसर जैसे आम तो बाज़ार में हाथों-हाथ बिक जाते हैं। थोड़ी मेहनत से साल भर आम की मिठास भी मिलेगी और जेब में पैसे भी आएँगे।
तो भाइयों, देर मत करिए। अपने खेत की मिट्टी देखिए, मौसम समझिए और सही आम का पेड़ लगाइए। साल भर ताजे आम खाइए और दूसरों को भी खिलाइए। खेती में मेहनत का फल मीठा होता है, और आम से मीठा क्या होगा!
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