अब नहीं उछलेंगी आलू, टमाटर, प्याज की कीमतें शहरों के पास बनेंगे आधुनिक सब्जी क्लस्टर!

राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (NHB) ने क्लस्टर डिवेलपमेंट प्रोग्राम (CDP) के संशोधित दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जो बागवानी क्षेत्र में नई संभावनाएं खोल रहे हैं। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करना, आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करना, और घरेलू बाजार में कीमतों के उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करना है। इसके लिए बोर्ड ने कार्यान्वयन एजेंसियों की नियुक्ति के लिए इच्छुक अभिरुचि (EoI) भी आमंत्रित की है।

चयनित एजेंसियों को दो प्रमुख क्षेत्रों – उच्च मूल्य वाली बहु-फसली बागवानी क्लस्टर और शहरी क्षेत्रों के आसपास सब्जी क्लस्टर – के विकास की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। साल 2021 में शुरू हुई पायलट परियोजना के अनुभवों के आधार पर इस योजना को फिर से डिजाइन किया गया है, ताकि बागवानी क्लस्टर वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी बन सकें। इस लेख में इस कार्यक्रम की खासियत और किसानों के लिए इसके फायदे बताए गए हैं।

शहरी सब्जी क्लस्टर से आपूर्ति श्रृंखला होगी मजबूत

शहरी इलाकों जैसे दिल्ली-एनसीआर, मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरु, हैदराबाद, पुणे, और चेन्नई में टमाटर, प्याज, और आलू जैसी सब्जियों की कीमतों में अक्सर भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है। इसका कारण है किसानों और उपभोक्ताओं के बीच सीधे जुड़ाव का अभाव। इससे फसल की योजना, मांग-आपूर्ति का अनुमान, और बेहतर खेती के तरीकों का पालन नहीं हो पाता। बिचौलियों की अधिकता, ऊंची वितरण लागत, और बर्बादी के कारण आपूर्ति श्रृंखला कमजोर रहती है। इसे मजबूत करने के लिए सरकार ने केंद्रीय क्षेत्र योजना के तहत अगले पांच सालों में 2000 करोड़ रुपये का निवेश प्रस्तावित किया है।

इस योजना के तहत शहरी केंद्रों के 50 से 100 किलोमीटर के दायरे में सब्जी उत्पादन और आपूर्ति को बढ़ावा दिया जाएगा। ये दूरी शहर की जनसंख्या के आधार पर तय होगी – 10 लाख से कम आबादी के लिए 50 किलोमीटर, 10 से 15 लाख के लिए 80 किलोमीटर, और 15 लाख से अधिक के लिए 100 किलोमीटर। परियोजना में ये सुनिश्चित किया जाएगा कि कुल वार्षिक आपूर्ति का कम से कम 50 प्रतिशत उत्पादन क्लस्टर के भीतर के किसानों से आए। टमाटर, प्याज, और आलू के साथ कम से कम 10 अन्य बागवानी फसलों को शामिल करना जरूरी होगा, हालांकि और फसलें भी जोड़ी जा सकती हैं।

हाई-वैल्यू क्लस्टर का चयन चुनौती मोड में

शहरी सब्जी क्लस्टर पहले से चिन्हित हैं, लेकिन उच्च मूल्य वाली बहु-फसली बागवानी क्लस्टर को चुनौती मोड के तहत चुना जाएगा। इसका मतलब है कि राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड पहले से कोई क्लस्टर तय नहीं करेगा। इच्छुक संस्थाओं को खुद क्लस्टर चुनने होंगे और उनकी व्यवहार्यता व संभावनाओं को साबित करना होगा।

ये परियोजनाएं उन क्षेत्रों के लिए भी प्रस्तावित की जा सकती हैं, जहां अभी चिन्हित फसलें नहीं उगाई जातीं, जिन्हें इंड्यूस्ड क्लस्टर कहा जाता है। इन क्लस्टरों में उत्पादन, कटाई के बाद प्रबंधन, विपणन, और निर्यात जैसे बागवानी मूल्य श्रृंखला के सभी चरणों में विशेषज्ञता विकसित की जाएगी। हाई-वैल्यू क्लस्टर की मुख्य फसल का वार्षिक फार्म गेट मूल्य कम से कम 100 करोड़ रुपये होना चाहिए, जिसे रकबा, उत्पादकता, और कीमत के आधार पर गणना की जाएगी।

विशेषज्ञों की चिंता और सुझाव

कुछ कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि हाई-वैल्यू क्लस्टर के लिए 100 करोड़ रुपये की शर्त कई फसलों और क्षेत्रों के लिए रुकावट बन सकती है। कई फसलें नए इलाकों में उगाई जा सकती हैं, और किसान एक-दूसरे के नवाचारों से प्रेरित होकर बदलाव लाते हैं। विशेषज्ञों का सुझाव है कि इस योजना को नवाचार को बढ़ावा देना चाहिए, न कि सीमाएं तय करनी चाहिए।

हालांकि, दिशा-निर्देशों में भविष्य में कृषि मंत्रालय की नीतियों के आधार पर बदलाव किए जा सकते हैं। इसके लिए एक गाइडलाइन एंड कॉस्ट नॉर्म कमेटी बनाई गई है, जिसके अध्यक्ष कृषि मंत्रालय के हॉर्टिकल्चर प्रभारी अतिरिक्त सचिव होंगे, और NHB के प्रबंध निदेशक इसके सदस्य सचिव होंगे। कमेटी में कृषि और खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय के अधिकारी और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के डिप्टी डायरेक्टर जनरल (हॉर्टिकल्चर) भी शामिल होंगे।

उत्पादन में आगे, आपूर्ति श्रृंखला में चुनौती

भारत ने बागवानी उत्पादन में शानदार प्रदर्शन किया है। साल 2023-24 में कुल 352.23 मिलियन टन उत्पादन हुआ, जिसमें 58 प्रतिशत सब्जियां और 32 प्रतिशत फल थे। लेकिन आपूर्ति श्रृंखला में कमियां इस सफलता को पूरी तरह नहीं दर्शा पातीं। कमजोर ढांचे, बिचौलियों की अधिकता, और बर्बादी के कारण कीमतों में अस्थिरता बनी रहती है। क्लस्टर डिवेलपमेंट प्रोग्राम इन कमियों को दूर करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। ये योजना न सिर्फ कटाई के बाद के नुकसान को कम करेगी, बल्कि किसानों को उनकी उपज का सही दाम दिलाने और उपभोक्ताओं को स्थिर कीमतों पर ताजी फसल उपलब्ध कराने में भी मदद करेगी।

किसानों के लिए सुनहरा अवसर

क्लस्टर डिवेलपमेंट प्रोग्राम बागवानी क्षेत्र में क्रांति लाने की क्षमता रखता है। शहरी सब्जी क्लस्टर शहरों में ताजी और सस्ती सब्जियों की आपूर्ति सुनिश्चित करेंगे, जबकि हाई-वैल्यू क्लस्टर निर्यात और ब्रांडिंग को बढ़ावा देंगे। ये योजना छोटे और मझोले किसानों के लिए खास तौर पर फायदेमंद है, क्योंकि ये उन्हें बेहतर बाजार, तकनीक, और संसाधनों तक पहुंच देगी। किसानों को इस योजना का लाभ उठाने के लिए अपने स्थानीय कृषि विभाग या NHB के कार्यालयों से संपर्क करना चाहिए। सही समय पर सही कदम उठाकर बागवानी की खेती को और लाभकारी बनाया जा सकता है।

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  • Rahul Maurya

    मेरा नाम राहुल है। मैं उत्तर प्रदेश से हूं और मैंने संभावना इंस्टीट्यूट से पत्रकारिता में शिक्षा प्राप्त की है। मैं Krishitak.com का संस्थापक और प्रमुख लेखक हूं। पिछले 3 वर्षों से मैं खेती-किसानी, कृषि योजनाएं, और ग्रामीण भारत से जुड़े विषयों पर लेखन कर रहा हूं।

    Krishitak.com के माध्यम से मेरा उद्देश्य है कि देशभर के किसानों तक सटीक, व्यावहारिक और नई कृषि जानकारी आसान भाषा में पहुँचे। मेरी कोशिश रहती है कि हर लेख पाठकों के लिए ज्ञानवर्धक और उपयोगी साबित हो, जिससे वे खेती में आधुनिकता और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ सकें।

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