Watermelon Farming Tips : तरबूज (Watermelon) की खेती गर्मियों में गाँवों के किसानों के लिए मिठास और मुनाफे का जरिया है, लेकिन रोग और कीट कई बार मेहनत पर पानी फेर देते हैं। “तरबूज में फ्यूजेरियम विल्ट का उपचार”, “तरबूज के फलों में दरार क्यों आती है?” और “तरबूज की फसल में लाल कीड़े का नियंत्रण” जैसे सवाल अक्सर परेशान करते हैं। फ्यूजेरियम विल्ट, एन्थ्रेक्नोज और फल मक्खी जैसे रोग-कीट फसल को कमजोर करते हैं और पैदावार घटाते हैं। सही समय पर सही कदम उठाएँ, तो तरबूज की मिठास खेत से बाजार तक बरकरार रहेगी। आइए, इन समस्याओं के समाधानों को आसान भाषा में समझते हैं।
तरबूज में फ्यूजेरियम विल्ट का उपचार
फ्यूजेरियम विल्ट तरबूज की फसल का बड़ा दुश्मन है। इसके लक्षण हैं पौधे का मुरझाना और तने का अंदरूनी हिस्सा भूरा हो जाना। ये मिट्टी में रहने वाला फंगस है, जो जड़ों को सड़ाता है। इसका उपचार बुवाई से पहले शुरू करें। बीज को 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम प्रति किलो से उपचारित करें। खेत में 5 किलो ट्राइकोडर्मा को गोबर की सड़ी खाद में मिलाकर आखिरी जुताई में डालें। ये फंगस को काबू करता है। प्रभावित पौधों को उखाड़कर जला दें। ये उपाय पौधों को मुरझाने से बचाता है।
एन्थ्रेक्नोज – फलों पर धब्बों का इलाज
एन्थ्रेक्नोज रोग फलों को निशाना बनाता है। इसके लक्षण हैं फलों पर गहरे भूरे धब्बे, जो सड़न में बदल जाते हैं। नमी और गर्मी में ये तेजी से फैलता है। इसका इलाज है मैन्कोजेब 2 ग्राम या एजोक्सीस्ट्रोबिन 1 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना। 7-10 दिन बाद दोबारा डालें। प्रभावित फलों को तोड़कर नष्ट करें। साफ मौसम में सुबह या शाम को स्प्रे करें। ये तरीका फसल की गुणवत्ता बचाता है।
तरबूज के फलों में दरार क्यों आती है? – कारण और समाधान
कई बार किसानों को शिकायत रहती है कि “तरबूज के फलों में दरार क्यों आती है?” इसका कारण अनियमित सिंचाई या कैल्शियम की कमी है। जब पानी कभी ज्यादा, कभी कम मिलता है, तो फल तेजी से बढ़ता है और फट जाता है। इसका समाधान है ड्रिप इरिगेशन। इससे पानी बूँद-बूँद जड़ों तक जाता है और दरार की समस्या कम होती है। कैल्शियम नाइट्रेट 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर हर 15 दिन में छिड़कें। ये फल के छिलके को मजबूत करता है।
तरबूज की फसल में लाल कीड़े का नियंत्रण – फल मक्खी
“तरबूज की फसल में लाल कीड़े का नियंत्रण” फल मक्खी (Fruit Fly) से जुड़ा है। ये लाल कीड़ा फलों में छेद करता है, जिससे अंदर सड़न शुरू हो जाती है। इसके लक्षण हैं फल पर छोटे छेद और गूदा खराब होना। इसका नियंत्रण फेरोमोन ट्रैप से करें। प्रति एकड़ 5 ट्रैप लगाएँ, जो मक्खियों को फँसाते हैं। जैविक उपाय है नीम आधारित कीटनाशक। 5 मिली नीम तेल को 1 लीटर पानी में मिलाकर छिड़कें। प्रभावित फलों को तोड़कर नष्ट करें। ये तरीका फसल को सुरक्षित रखता है।
खेती की तैयारी और देखभाल
तरबूज की बुवाई से पहले खेत को मिट्टी पलटने वाले हल से जोतें। 5-6 टन गोबर की खाद प्रति एकड़ डालें। बीज को 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम से उपचारित करें। 7-10 दिन पर हल्की सिंचाई करें। ड्रिप सिस्टम से पानी दें। फूल आने पर कैल्शियम नाइट्रेट का छिड़काव करें। फ्यूजेरियम के लक्षण दिखें, तो ट्राइकोडर्मा डालें। फलों पर धब्बे या छेद दिखें, तो तुरंत दवा या ट्रैप लगाएँ। किसान कहते हैं कि फसल को थोड़ा ध्यान दो, तो वो दोगुना लौटाती है। ये सावधानियाँ रोग-कीटों से बचाती हैं।
बंपर पैदावार का मौका
इन उपायों से तरबूज की फसल मजबूत रहती है। प्रति एकड़ 100-120 क्विंटल तक उपज मिल सकती है। गर्मियों में भाव 10-15 रुपये प्रति किलो रहता है, जिससे 1-1.5 लाख रुपये की कमाई हो सकती है। लागत 20-25 हजार रुपये के आसपास आती है। ये देसी और आसान समाधान खेती को फायदे का सौदा बनाते हैं।
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