जैन पोटैटो को समझें
जैन पोटैटो जमीन के ऊपर बेल पर छोटे-छोटे कंद के रूप में उगता है। ये गोल, भूरे या हल्के हरे रंग का होता है और आकार में छोटे आलू जैसा दिखता है। गाँव में इसे उगाना इसलिए आसान है, क्यूंकि ये ज्यादा देखभाल नहीं माँगता और तेजी से बढ़ता है। भारत के गर्म इलाकों जैसे पश्चिमी घाट, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और झारखंड में ये खूब होता है। इसे उगाने से न सिर्फ खाने को ताजा सब्जी मिलती है, बल्कि बाज़ार में बेचकर थोड़ी कमाई भी हो सकती है। ये पोटैशियम से भरपूर है, जो दिल और मांसपेशियों के लिए अच्छा है।
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खेत को तैयार करें
जैन पोटैटो की खेती के लिए खेत में ऐसी जगह चुनें जहाँ धूप अच्छी पड़े और हवा चलती रहे। ये बेल पर उगता है, तो इसे सहारा चाहिए। दोमट या रेतीली मिट्टी इसके लिए बढ़िया है, मगर पानी जमा न हो। खेत को जोत लें और उसमें 5-7 किलो गोबर की खाद प्रति वर्ग मीटर डाल दें। मिट्टी को भुरभुरा करने के लिए हल चलाएं। अगर खेत में बांस या लकड़ी का सहारा लगा दें, तो बेल आसानी से चढ़ेगी। बारिश का मौसम (जून-जुलाई) शुरू होने से पहले खेत तैयार कर लें, ताकि पौधे को नमी मिले।
पौधा कैसे लगाएं
जैन पोटैटो को इसके छोटे कंद या बीज से उगाया जाता है। नर्सरी से कंद लें या पिछले साल के कंद इस्तेमाल करें। कंद को 2-3 इंच गहरा मिट्टी में दबाएं और ऊपर से हल्की मिट्टी डाल दें। पौधों के बीच 2-3 फीट की दूरी रखें, ताकि बेल फैल सके। अगर बीज से शुरू करना हो, तो उन्हें 24 घंटे पानी में भिगो दें, फिर बो दें। बोने के बाद हल्का पानी छिड़कें। बारिश शुरू होने पर इसे लगाना सबसे अच्छा है, क्यूंकि नमी से बेल तेजी से बढ़ती है। एक हफ्ते में अंकुर निकल आते हैं।
पानी और देखभाल का तरीका
पहले महीने में जैन पोटैटो को हफ्ते में 2-3 बार पानी दें, मगर मिट्टी को गीला न रखें। बारिश हो तो पानी कम करें। बेल को सहारे पर चढ़ने में मदद करें, ताकि कंद हवा में लटक सकें। खरपतवार को हाथ से निकालें। कीड़ों से बचाने के लिए नीम का तेल पानी में मिलाकर छिड़कें। हर 2-3 महीने में गोबर की खाद या वर्मी कंपोस्ट डालें, इससे बेल हरी-भरी रहेगी। गर्मी में हल्की छाया का इंतजाम करें, ताकि पौधा झुलस न जाए।
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कटाई कब और कैसे करें
जैन पोटैटो 6-8 महीने में तैयार हो जाता है। जब कंद 2-4 इंच के हो जाएँ और बेल की पत्तियाँ पीली पड़ने लगें, तो कटाई शुरू करें। कंद को हाथ से तोड़ लें या कैंची से काट लें। एक बेल से 5-10 किलो तक कंद मिल सकते हैं। इसे ताजा खाएं या छाया में सुखाकर रखें। बाज़ार में ये 50-80 रुपये किलो तक बिकता है, तो छोटे खेत से भी अच्छी कमाई हो सकती है। बचे हुए कंद अगले साल के लिए बीज बन सकते हैं।
इसका बीज कहाँ से मिलेगा
जैन पोटैटो का बीज या कंद ढूंढना थोड़ा मुश्किल हो सकता है, मगर कुछ जगहों से इसे आसानी से लिया जा सकता है। अपने नजदीकी नर्सरी में जाकर देखें, क्यूंकि कई नर्सरियाँ इसे रखती हैं। अगर वहाँ न मिले, तो सरकारी बागवानी केंद्र या कृषि विभाग से संपर्क करें, वहाँ से सस्ते में कंद या पौधे मिल सकते हैं। ऑनलाइन भी ऑर्डर कर सकते हैं – वेबसाइट्स जैसे नर्सरी लाइव, उगाओ.कॉम या ट्रस्ट बास्केट पर ये 50-100 रुपये में मिल जाता है।
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