अब समय है थोड़ा प्रकृति को समझने का,जानिए एग्रोकोलॉजी क्या है? खेती का कुदरती तरीका

What is the goal of agroecology? : मान्यवर किसान भाइयों, हमारे यहाँ खेती को आसान और फायदेमंद बनाने का एक नया तरीका सुनाई दे रहा है, जिसे एग्रोकोलॉजी कहते हैं। आसान भाषा में कहें तो ये खेती का वो ढंग है, जो प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर काम करता है। इसमें मिट्टी, पानी, पौधों और कीटों को एक-दूसरे का दोस्त बनाया जाता है, ताकि फसल बढ़िया हो और खर्च कम हो। मार्च का महीना चल रहा है, और अभी इसकी शुरुआत समझने का सही वक्त है। आइए, अपनी सहज भाषा में जानें कि एग्रोकोलॉजी क्या है और ये किसानों के लिए कितना फायदेमंद है।

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एग्रोकोलॉजी की खासियत और उसका मतलब

एग्रोकोलॉजी यानी खेती का विज्ञान, जो कुदरत के नियमों को अपनाता है। अपने इलाके में ये रसायनिक खाद और कीटनाशकों पर कम निर्भर करता है। इसमें फसल चक्र, जैविक खाद, और मिट्टी की सेहत पर जोर होता है। मसलन, मूँग के बाद गेहूँ बोना या गोबर की खाद डालना। ये तरीका मिट्टी को जिंदा रखता है, पानी बचाता है और फसल को बीमारियों से लड़ने की ताकत देता है। हमारे यहाँ ये पुराने जमाने की समझ और नई सोच का मेल है। इससे खेती लंबे समय तक चलती है और प्रकृति को नुकसान नहीं पहुँचता। ये खेतों का कुदरती दोस्त है।

किसानों के लिए फायदे का सीधा हिसाब किताब

एग्रोकोलॉजी से किसानों को ढेर सारा फायदा मिलता है। अपने आसपास इसे अपनाने से रसायनिक खाद का खर्च 30-40% तक कम हो सकता है। मिट्टी की ताकत बढ़ती है, तो फसल की पैदावार 20-25% उछाल लेती है। मसलन, एक बीघे से 2-3 क्विंटल ज्यादा अनाज निकल सकता है, यानी 5-7 हज़ार रुपये का फायदा। पानी की बचत होती है, क्यूँकि जैविक खाद मिट्टी में नमी रोकती है। कीटों का हमला कम होता है, तो कीटनाशक का पैसा भी बचता है। हमारे यहाँ ये तरीका सूखे और बाढ़ में भी फसल को बचाने में मदद करता है। ये मेहनत को मुनाफे में बदलने का जुगाड़ है।

कैसे काम करता है ये ढंग

एग्रोकोलॉजी में कई पुराने और सिद्ध तरीके शामिल हैं। खेतों में अलग-अलग फसलें एक साथ बोई जाती हैं, जैसे मक्का के साथ मूँग। इससे मिट्टी को पोषण मिलता है और कीट कम परेशान करते हैं। अपने इलाके में गोबर, पत्तियों और फसल के अवशेषों से खाद बनाएँ। पेड़ और झाड़ियाँ लगाएँ, जो हवा और पानी को संतुलित रखें। पानी के लिए ड्रिप या बूँद-बूँद सिंचाई अपनाएँ। हमारे यहाँ ये तरीके मिट्टी को हवा देते हैं और जड़ों को ताकत। फसल की बर्बादी कम होती है और खेत सालों तक लहलहाते हैं। ये प्रकृति के साथ कदम मिलाकर चलने का ढंग है।

लंबे समय का फायदा और आसानी

एग्रोकोलॉजी का सबसे बड़ा फायदा ये है कि ये खेती को सालों तक फायदेमंद बनाए रखता है। अपने आसपास इसे शुरू करने से मिट्टी बंजर नहीं होती। बारिश कम हो या ज्यादा, फसल पर असर कम पड़ता है। शुरू में थोड़ी मेहनत लगती है, लेकिन बाद में खर्च घटता है और मुनाफा बढ़ता है। हमारे यहाँ किसान भाई इसे छोटे पैमाने पर आजमाकर देख सकते हैं। सरकार और कृषि केंद्र भी इसके लिए ट्रेनिंग और मदद देते हैं। ये तरीका आने वाली पीढ़ियों के लिए भी खेतों को हरा-भरा छोड़ता है।

एग्रोकोलॉजी से खेती को नई ताकत दें

अपने इलाके में एग्रोकोलॉजी इसलिए खास है, क्यूँकि ये कुदरत और किसान का साथ जोड़ता है। मार्च में इसकी शुरुआत करें, तो सालभर फायदा दिखेगा। इससे अनाज और सब्जियाँ स्वाद में भी बढ़िया होती हैं। तो भाइयों, एग्रोकोलॉजी को अपनाएँ, खेती को नई ताकत दें और मेहनत का फल ढेर सारा पाएँ। ये देसी नुस्खा आपकी खेती को हरा सोना बना देगा!

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र पिछले तिन साल से पत्रकारिता कर रहा हूँ मै ugc नेट क्वालीफाई हूँ भूगोल विषय से मै एक विषय प्रवक्ता हूँ , मुझे कृषि सम्बन्धित लेख लिखने में बहुत रूचि है मैंने सम्भावना संस्थान हिमाचल प्रदेश से कोर्स किया हुआ है |

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