गेहूं की 4 उन्नत किस्में, कम सिंचाई में भी देंगी बंपर उपज और मुनाफा

उत्तर प्रदेश में धान की कटाई शुरू हो चुकी है, और अब किसान गेहूं की बुवाई की तैयारी में जुटे हैं। गेहूं की खेती किसानों के लिए कम लागत में अच्छा मुनाफा कमाने का शानदार तरीका है। बाजार में गेहूं की मांग हमेशा बनी रहती है, चाहे वो आटा बनाने के लिए हो या अन्य उपयोगों के लिए। लेकिन सही किस्म का चयन न करने से पैदावार कम हो सकती है और नुकसान हो सकता है। इसलिए, कम सिंचाई में भी बंपर पैदावार देने वाली किस्मों पर ध्यान दें। आइए जानते हैं ऐसी चार खास किस्मों के बारे में, जो किसानों को मालामाल बना सकती हैं।

पूसा तेजस

पूसा तेजस गेहूं की एक ऐसी किस्म है, जो उच्च पैदावार और रोग प्रतिरोधी क्षमता के लिए जानी जाती है। ये किस्म प्रति हेक्टेयर 65 से 75 क्विंटल तक का उत्पादन दे सकती है। काले और भूरे रतुआ जैसे रोगों से ये आसानी से लड़ लेती है। इसके दाने बड़े, चमकदार और लंबे होते हैं, जो बाजार में अच्छा दाम दिलाते हैं। बुवाई के 115 से 125 दिन बाद ये फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है। एक पौधे में 10 से 12 कल्ले निकलते हैं, जो पैदावार को कई गुना बढ़ा देते हैं। कम पानी वाले इलाकों में ये किस्म किसानों की पहली पसंद बन रही है।

GW 322

GW 322 गेहूं की किस्म मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के किसानों के बीच खूब लोकप्रिय है। ये प्रति हेक्टेयर 60 से 65 क्विंटल तक पैदावार देती है। इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि ये सूखे की स्थिति को आसानी से सहन कर लेती है और सिर्फ 3 से 4 सिंचाइयों में ही अच्छी फसल दे देती है। कई सामान्य बीमारियों के प्रति भी ये प्रतिरोधी है। बुवाई के 115 से 120 दिन बाद ये तैयार हो जाती है। अगर आपके खेत में पानी की कमी रहती है, तो ये किस्म आपके लिए बिल्कुल सही है।

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HD 4728

HD 4728, जिसे पूसा मालवी के नाम से भी जाना जाता है, अक्टूबर-नवंबर में समय पर बुवाई के लिए सबसे उपयुक्त है। मध्य भारत के मौसम के लिए ये खास तौर पर तैयार की गई है। प्रति हेक्टेयर 55 से 57 क्विंटल तक पैदावार मिल सकती है, और ये सिर्फ 3 से 4 सिंचाइयों में ही पक जाती है। 120 दिन में फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसकी मजबूत जड़ें और रोग प्रतिरोधी क्षमता इसे किसानों के लिए विश्वसनीय बनाती है।

श्रीराम 11

श्रीराम 11 गेहूं की किस्म देर से बुवाई करने वाले किसानों की जान है। ये सिर्फ 3 महीने में तैयार हो जाती है और प्रति एकड़ औसतन 22 क्विंटल पैदावार देती है। इसके दाने चमकदार होते हैं, जो बाजार में अच्छी कीमत पाते हैं। अगर बुवाई में थोड़ी देरी हो गई हो, तो ये किस्म नुकसान से बचाती है। कम पानी और कम देखभाल में भी ये अच्छा प्रदर्शन करती है।

गेहूं की इन किस्मों को चुनते समय अपने इलाके के मौसम और मिट्टी का ध्यान रखें। बीज अच्छी गुणवत्ता के लें और बुवाई से पहले उपचार करें। कम सिंचाई वाली किस्में चुनकर पानी की बचत करें और मुनाफा बढ़ाएं। सही देखभाल से ये किस्में आपके खेत को सोने की फसल दे सकती हैं।

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  • Rahul

    मेरा नाम राहुल है। मैं उत्तर प्रदेश से हूं और संभावना इंस्टीट्यूट से पत्रकारिता में शिक्षा प्राप्त की है। मैं krishitak.com पर लेखक हूं, जहां मैं खेती-किसानी, कृषि योजनाओं पर केंद्रित आर्टिकल लिखता हूं। अपनी रुचि और विशेषज्ञता के साथ, मैं पाठकों को लेटेस्ट और उपयोगी जानकारी प्रदान करने का प्रयास करता हूं।

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