उत्तर प्रदेश के फूलों की खेती करने वाले किसानों के लिए बड़ी खबर है। योगी सरकार ने फूलों की बिक्री को आसान करने के लिए मंडी शुल्क को पूरी तरह खत्म कर दिया है। अब मंडी के बाहर फूल बेचने पर किसानों को एक भी पैसा टैक्स नहीं देना होगा। पहले फूलों की बिक्री पर एक फीसदी मंडी शुल्क और आधा फीसदी यूजर चार्ज लगता था, जिससे मंडी को हर साल 25 से 30 लाख रुपये की कमाई होती थी। यह ऐतिहासिक फैसला मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई उत्तर प्रदेश राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद की 171वीं बैठक में लिया गया।
किसानों की जेब में आएगा ज्यादा पैसा
उत्तर प्रदेश के गाँवों में हज़ारों छोटे और सीमांत किसान फूलों की खेती करते हैं। गेंदे के फूल मंदिरों में, गुलाब शादियों में, और चमेली गाँव की हवा को महकाने के लिए उगाए जाते हैं। लेकिन पहले मंडी में फूल बेचने पर 1.5 फीसदी शुल्क देना पड़ता था, जिसमें एक फीसदी मंडी टैक्स और आधा फीसदी यूजर चार्ज शामिल था। इस शुल्क से मंडी को हर साल 25 से 30 लाख रुपये की आय होती थी।
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अब सरकार ने फूलों को खास कृषि उत्पाद की सूची से हटाकर सामान्य श्रेणी में डाल दिया है। इसका मतलब है कि गाँव के बाजार, हाट, या सीधे ग्राहकों को फूल बेचने पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। इससे किसानों की मेहनत का पूरा दाम उनकी जेब में आएगा।
मंडी में भी घटा शुल्क
मंडी में फूल बेचने वाले किसानों के लिए भी राहत है। पहले मंडी में 1.5% शुल्क देना पड़ता था, लेकिन अब सिर्फ़ एक फीसदी शुल्क लगेगा। आधा फीसदी यूजर चार्ज को पूरी तरह हटा दिया गया है। यह कदम छोटे व्यापारियों और मौसमी फूलों की खेती करने वाले किसानों के लिए बड़ी सौगात है। गाँवों के उन किसानों को खास फायदा होगा, जो त्योहारों या शादी के सीज़न में फूल बेचते हैं। अब उनकी कमाई बढ़ेगी और खेती का काम और रुचिकर बनेगा।
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