अब लहसुन की खेती में होगा धांसू उत्पाद, CITH लहसुन-1 से मोटी कलियाँ और शानदार उपज, घर बैठे ऑर्डर करें

CITH Garlic-1 Lehsun Ki Kheti: लहसुन की खेती हमेशा से खास रही है। ये रसोई का स्वाद बढ़ाता है और बाजार में अच्छी कमाई भी देता है। लेकिन कई बार छोटी कलियाँ और रोगों की समस्या किसानों को परेशान करती है। अब ICAR के सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ टेम्परेट होर्टिकल्चर ने CITH लहसुन-1 नाम की एक नई किस्म पेश की है, जो मोटी कलियाँ देती है और रोगों से लड़ने में माहिर है। ये किस्म ठंडे इलाकों के लिए बनाई गई है और प्रति हेक्टेयर 400-500 क्विंटल तक उपज दे सकती है। अगर आप लहसुन की खेती से ज्यादा मुनाफा चाहते हैं, तो ये आपके लिए सुनहरा मौका है। आइए, इस किस्म की पूरी जानकारी लें, ताकि गाँव के किसान इसे आसानी से अपना सकें।

CITH लहसुन-1 की खासियतें

CITH लहसुन-1 एक लॉन्ग डे किस्म है, जो खासतौर पर ठंडे और पहाड़ी इलाकों के लिए तैयार की गई है। इसकी कलियाँ मोटी और चमकदार होती हैं, जिनका औसत वजन 4.5 ग्राम तक होता है। ये बाजार में ज्यादा कीमत लाती हैं, क्योंकि ग्राहक मोटी और स्वादिष्ट लहसुन पसंद करते हैं। ये किस्म फोलियर रोगों जैसे पर्पल ब्लॉच और स्टेम फाइटियम ब्लाइट से बचाव करती है, जिससे दवाओं का खर्च कम होता है। इसके बल्ब का आकार मध्यम से बड़ा होता है, और प्रति बल्ब 15-20 कलियाँ मिलती हैं। गाँवों में जहाँ रोगों की समस्या आम है, वहाँ ये किस्म कम मेहनत में ज्यादा फायदा देती है। साथ ही, ये लंबे समय तक स्टोरेज में रह सकती है, जिससे किसान सही समय पर बेचकर मुनाफा कमा सकते हैं।

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लहसुन की खेती का महत्व

लहसुन सिर्फ मसाला नहीं, बल्कि सेहत का खजाना है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो इम्यूनिटी बढ़ाते हैं। भारत में लहसुन की माँग हमेशा बनी रहती है, लेकिन पुरानी किस्मों में कम उपज और रोगों की समस्या रहती है। CITH लहसुन-1 इस कमी को पूरा करती है। ये किस्म 210 से 245 दिनों में तैयार हो जाती है, जो मिट्टी और मौसम पर निर्भर करता है। ठंडे इलाकों में ये 400-500 क्विंटल प्रति हेक्टेयर दे सकती है, जो पुरानी किस्मों से 20-30 प्रतिशत ज्यादा है। गाँवों में किसान इसकी खेती से न सिर्फ घरेलू जरूरतें पूरी कर रहे हैं, बल्कि बाजार में अच्छा मुनाफा भी कमा रहे हैं।

खेत और मिट्टी की सही तैयारी

लहसुन की फसल के लिए मिट्टी का सही होना बहुत जरूरी है। CITH लहसुन-1 दोमट मिट्टी में सबसे अच्छी उगती है, जिसका pH 6.0 से 7.5 हो। खेत की दो-तीन बार जुताई करें, ताकि मिट्टी भुरभुरी और खरपतवार मुक्त हो। पहली जुताई गहरी करें, फिर डिस्क हैरो या कल्टीवेटर से मिट्टी को बारीक करें। अगर खेत में पानी रुकता है, तो ऊँचे बेड बनाएँ। बुआई से पहले 15-20 टन गोबर की खाद डालें, जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़े। गाँवों में कई किसान जैविक खाद का इस्तेमाल करते हैं, जो इस किस्म के लिए बहुत फायदेमंद है। सही मिट्टी तैयार करने से फसल की जड़ें मजबूत होती हैं और उपज बढ़ती है।

बुआई का समय और तरीका

CITH लहसुन-1 की बुआई का सही समय अक्टूबर के अंत से नवंबर का मध्य है। गर्म इलाकों में सितंबर के अंत में भी बो सकते हैं। बीज के लिए स्वस्थ और मोटी कलियाँ चुनें। प्रति हेक्टेयर 400-500 किलो कलियाँ चाहिए। बुआई डिबलिंग विधि से करें, जिसमें कलियों को 5-7 सेंटीमीटर गहराई पर बोया जाता है। पंक्ति से पंक्ति 15-20 सेंटीमीटर और कलिका से कलिका 10 सेंटीमीटर का फासला रखें। इससे पौधे अच्छे से बढ़ते हैं और रोग कम लगते हैं। बुआई से पहले कलियों को थिरम या बेनोमिल से उपचारित करें, ताकि डैम्पिंग ऑफ जैसी बीमारियाँ न हों। गाँवों में किसान ड्रिप इरिगेशन से बुआई करते हैं, जो पानी बचाता है।

खाद, सिंचाई और उर्वरक का सही इस्तेमाल

लहसुन को पोषक तत्वों की जरूरत होती है, और CITH लहसुन-1 सही खाद से और बेहतर देती है। बुआई से पहले 15 टन गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट डालें। रासायनिक खाद के लिए प्रति हेक्टेयर 100 किलो नाइट्रोजन, 50 किलो फॉस्फोरस और 50 किलो पोटाश दें। नाइट्रोजन को तीन बार में डालें – बुआई के समय, 30 दिन बाद और फूल आने पर। ज्यादा नाइट्रोजन से कलियाँ छोटी हो सकती हैं, इसलिए संतुलन रखें। जैविक खेती करने वाले किसान नीम की खली या बायो-फर्टिलाइजर का इस्तेमाल कर सकते हैं। ये तरीके मिट्टी को लंबे समय तक उपजाऊ रखते हैं।

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लहसुन कम पानी वाली फसल है, लेकिन सही सिंचाई से उपज बढ़ती है। बुआई के बाद पहली सिंचाई हल्की करें, फिर हर 10-12 दिन में पानी दें। सर्दियों में कम और वसंत में फूल-बल्ब बनने पर नियमित सिंचाई करें। ज्यादा पानी से जड़ सड़न का खतरा रहता है, इसलिए जल निकासी का ध्यान रखें। ड्रिप इरिगेशन से 30-40 प्रतिशत पानी बचता है। गाँवों में जहाँ पानी की कमी है, वहाँ ये किस्म अच्छा काम करती है। कुल 6-8 सिंचाई काफी हैं।

रोग और कीटों से बचाव

CITH लहसुन-1 की सबसे बड़ी ताकत इसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता है। ये पर्पल ब्लॉच और स्टेम फाइटियम ब्लाइट जैसे रोगों से बचाव करती है। फिर भी, थ्रिप्स और माइट्स कीटों के लिए नीम का तेल या जैविक कीटनाशक छिड़कें। अगर फ्यूजेरियम बल्ब रॉट दिखे, तो कार्बेन्डाजिम का इस्तेमाल करें। बीज उपचार से रोग 50 प्रतिशत तक कम हो जाते हैं। गाँवों में कई किसान जैविक तरीकों को अपनाकर रसायनों से बचते हैं, और ये किस्म इसके लिए बिल्कुल उपयुक्त है।

लहसुन की कटाई तब करें, जब 40-50 प्रतिशत पत्तियाँ पीली पड़ जाएँ। ये 210-245 दिन बाद होता है। बल्बों को सुखाकर अच्छे से स्टोर करें, ताकि 6-8 महीने तक चलें। CITH लहसुन-1 की मोटी कलियाँ बाजार में 100-150 रुपये प्रति किलो तक बिकती हैं। गाँवों में एफपीओ या कोऑपरेटिव के जरिए बेचने से ज्यादा मुनाफा होता है। उपज 400-500 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो सकती है।

NSC से बीज कैसे प्राप्त करें

राष्ट्रीय बीज निगम (NSC) 1963 से किसानों को सत्यापित बीज दे रहा है। ये भारत सरकार की मिनी रत्न कंपनी है, जो 80 फसलों की 621 किस्में उपलब्ध कराती है। NSC का मुख्यालय नई दिल्ली में है, और इसके 48 क्षेत्रीय कार्यालय, 11 क्षेत्रीय दफ्तर और 5 फार्म हैं। CITH लहसुन-1 का 500 ग्राम बीज पैक सिर्फ 165 रुपये में मिलता है। इसे ऑनलाइन स्टोर से ऑर्डर करें – बीज चुनें, कार्ट में डालें और पेमेंट करें। डिलीवरी पूरे देश में होती है। अगर ऑनलाइन नहीं कर सकते, तो नजदीकी NSC डीलर या कृषि केंद्र से संपर्क करें। ये बीज शुद्ध और सत्यापित हैं, जो अच्छी उपज की गारंटी देते हैं।

CITH लहसुन-1 लहसुन की खेती को नया आयाम दे रही है। मोटी कलियाँ, रोग प्रतिरोध और उच्च उपज इसे गाँव के किसानों के लिए वरदान बनाती है। सही मिट्टी, बुआई और देखभाल से आपका खेत लहसुन से लहलहा सकता है। NSC से बीज लेकर इस रबी सीजन में खेती शुरू करें और मुनाफा कमाएँ। खेती में कामयाबी के लिए शुभकामनाएँ!

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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