April Mein Makke Ki Kheti : मक्का, जिसे खाद्यान्न फसलों की रानी कहा जाता है, भारत में एक प्रमुख फसल है। ये न सिर्फ इंसानों के लिए भोजन का स्रोत है, बल्कि पशु आहार, तेल और स्टार्च जैसे उत्पादों में भी काम आती है। अप्रैल का महीना मक्के की खेती के लिए खास हो सकता है, खासकर जायद (गर्मी) मौसम में। इस समय सही जानकारी और तैयारी के साथ खेती करें, तो किसान भाई अच्छी पैदावार और मुनाफा कमा सकते हैं। आइए जानते हैं कि अप्रैल में मक्के की खेती कैसे करें, क्या ध्यान रखें और इसके फायदे क्या हैं।
अप्रैल में मक्के की खेती क्यों खास?
अप्रैल में मक्का बोने का सबसे बड़ा फायदा ये है कि ये जायद मौसम की फसल है। इस समय तापमान बढ़ता है, जो मक्के की बढ़वार के लिए जरूरी होता है। रबी फसल की कटाई के बाद खेत खाली हो जाते हैं, और अप्रैल से जून तक मक्का तैयार हो सकता है। इसकी माँग बाज़ार में हमेशा बनी रहती है, जिससे अच्छी कमाई की उम्मीद रहती है। रबी मक्का की कटाई भी अप्रैल-मई में होती है, तो इस समय नई बुवाई के साथ पुरानी फसल का प्रबंधन भी चलता है।
मक्के की खेती के लिए सही जलवायु और मिट्टी
मक्का गर्म मौसम की फसल है। अप्रैल में तापमान 25-35 डिग्री सेल्सियस तक रहता है, जो इसके अंकुरण और बढ़वार के लिए ठीक है। लेकिन अगर पाला पड़ जाए, तो फसल को नुकसान हो सकता है। मिट्टी की बात करें, तो दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है, जिसमें पानी का निकास अच्छा हो और जैविक तत्व ज्यादा हों। मिट्टी का pH 6.0 से 7.0 के बीच होना चाहिए। जलभराव वाली जमीन से बचें, वरना जड़ें सड़ सकती हैं।
अप्रैल में बुवाई का सही समय और तरीका
अप्रैल में मक्के की बुवाई जायद फसल के लिए मार्च के अंत से अप्रैल के मध्य तक शुरू कर सकते हैं। अगर देर हो जाए, तो जल्दी पकने वाली किस्में चुनें। खेती शुरू करने से पहले खेत की गहरी जुताई करें और पुरानी फसल के अवशेष हटाएँ। इसके बाद प्रति हेक्टेयर 20-25 किलो बीज लें और इन्हें 4-5 सेमी गहराई पर बोएँ। पंक्ति से पंक्ति की दूरी 60 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 20-25 सेमी रखें। बुवाई से पहले बीज को थायरम या कार्बेन्डाजिम (2 ग्राम प्रति किलो बीज) से उपचारित करें, ताकि कीट और बीमारी से बचाव हो सके। खेत में 10-15 टन गोबर की खाद डालकर मिट्टी को तैयार करें।
मक्के की उन्नत किस्में
अप्रैल में खेती के लिए कुछ अच्छी किस्में हैं, जो जल्दी तैयार होती हैं और अच्छी पैदावार देती हैं। यहाँ एक टेबल में जानकारी दी गई है:
किस्म का नाम | तैयार होने का समय | औसत पैदावार (क्विंटल/हेक्टेयर) | खासियत |
---|---|---|---|
JH-10655 | 85-90 दिन | 65-70 | रोग प्रतिरोधी |
HQPM-1 | 90-95 दिन | 60-65 | झुलस रोग सहनशील |
J-1006 | 80-85 दिन | 55-60 | कीट प्रतिरोधी |
पूसा HM-4 | 85-90 दिन | 60-65 | उच्च गुणवत्ता |
इन किस्मों को अपने मौसम और मिट्टी के हिसाब से चुनें। ये सभी किस्में अप्रैल की गर्मी में अच्छा प्रदर्शन करती हैं।
खाद और पानी का प्रबंधन
मक्के को सही पोषण और पानी की जरूरत होती है। अप्रैल में गर्मी बढ़ने से पानी की माँग ज्यादा रहती है। बुवाई के समय प्रति हेक्टेयर 120 किलो नाइट्रोजन, 60 किलो फास्फोरस और 40 किलो पोटाश डालें। नाइट्रोजन की आधी मात्रा बुवाई के समय दें, बाकी दो बार—पौधे घुटने की ऊँचाई पर हों और मंजरी बनते समय—डालें। पहली सिंचाई बुवाई के 3-4 दिन बाद करें, फिर हर 8-10 दिन में पानी दें। गर्मी में नमी बनाए रखें, लेकिन जलभराव से बचें। खरपतवार को काबू करने के लिए बुवाई के 20-25 दिन बाद निराई-गुड़ाई करें। अगर जरूरत हो, तो एट्राज़ीन (1 किलो प्रति हेक्टेयर) का छिड़काव करें।
कीट और रोग से बचाव
अप्रैल में मक्के में कुछ कीट और रोग परेशान कर सकते हैं। तना छेदक और सफेद मक्खी जैसे कीटों से बचाव के लिए इमिडाक्लोप्रिड (0.2 मिली प्रति लीटर पानी) का छिड़काव करें। झुलस रोग और भूरी जालेदार फफूंदी से बचने के लिए मेंकोज़ेब (2 ग्राम प्रति लीटर पानी) का इस्तेमाल करें। समय पर निगरानी करते रहें, ताकि नुकसान कम हो। सही देखभाल से फसल को इन खतरों से बचाया जा सकता है।
अप्रैल में मक्के की खेती के फायदे
अप्रैल में मक्के की खेती के कई फायदे हैं। ये फसल 80-95 दिन में तैयार हो जाती है, जिससे जल्दी कमाई शुरू हो सकती है। धान की तुलना में इसमें 70-80% कम पानी लगता है। बाज़ार में पशु आहार और उद्योगों के लिए इसकी माँग हमेशा बनी रहती है, जिससे अच्छी कीमत मिलती है। साथ ही, मक्का मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखता है, जो अगली फसल के लिए फायदेमंद है।
सावधानियाँ
अप्रैल में मक्के की खेती करते वक्त कुछ बातों का ध्यान रखें। अगर तापमान 40 डिग्री से ऊपर चला जाए, तो दाने छोटे रह सकते हैं। समय पर सिंचाई न हो, तो पैदावार कम हो सकती है। खेत में जलभराव होने से जड़ें सड़ सकती हैं, इसलिए पानी का निकास अच्छा रखें। इन बातों का ध्यान रखकर फसल को नुकसान से बचाया जा सकता है।
कटाई और मुनाफा
अप्रैल में बोया गया मक्का जून के अंत तक पक जाता है। जब भुट्टे की भूसी सूख जाए और दाने सख्त हो जाएँ, तो कटाई शुरू करें। जायद मक्का की औसत पैदावार 50-70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हो सकती है। बाज़ार में मक्के का भाव 2000-2500 रुपये प्रति क्विंटल रहता है, जिससे प्रति हेक्टेयर 1-1.5 लाख रुपये तक की कमाई हो सकती है। सही समय पर कटाई और बिक्री से मुनाफा बढ़ाया जा सकता है।
अप्रैल में मक्के की खेती किसानों के लिए एक सुनहरा मौका है। सही किस्म, खाद, पानी और देखभाल से अच्छी पैदावार ली जा सकती है। ये न सिर्फ आपकी जेब भरता है, बल्कि मिट्टी को भी स्वस्थ रखता है। तो इस बार अप्रैल में मक्के की खेती का प्लान बनाएँ और बंपर मुनाफा कमाएँ। अगर कोई सवाल हो, तो अपने नज़दीकी कृषि केंद्र से सलाह जरूर लें।
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