बैगन के फसल में लगे व्हाइट फ्लाई, माइट्स और तना छेदक से बचाव के टिप्स

बैंगन की खेती से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं, लेकिन कीटों के प्रकोप से यह फसल प्रभावित हो सकती है। वर्तमान में, राजनांदगांव जिले के किसानों को बैंगन की खेती में कीटों की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। कृषि विभाग ने किसानों को कीट प्रबंधन के लिए कई उपाय सुझाए हैं, जिससे वे अपनी फसल को इन हानिकारक कीटों से बचा सकते हैं।

बैंगन की खेती में होने वाले प्रमुख कीट और उनसे बचाव 

व्हाइट फ्लाई (Whitefly)

यह छोटे सफेद रंग के कीट होते हैं जो पत्तियों के नीचे पाए जाते हैं। पौधों की पत्तियों का रस चूसते हैं, जिससे पत्तियां पीली और कमजोर हो जाती हैं। अधिक प्रकोप होने पर पौधों की वृद्धि रुक जाती है। रोकथाम के लिए नीम तेल का छिड़काव करें। प्रति एकड़ 200-250 लीटर पानी में 150 मिलीलीटर लेम्ब्डा-साइलोथ्रिन 4.9 सी.एस मिलाकर छिड़काव करें।

रेड स्पाइडर माइट (Red Spider Mite)

यह छोटे लाल रंग के कीट होते हैं जो पत्तियों के निचले भाग में रहते हैं। यह पत्तियों को नुकसान पहुंचाकर पौधे को कमजोर बना देते हैं। रोकथाम के लिए स्पैरो साइफन नामक दवा का उपयोग करें। माइटीसाइड का छिड़काव करें।

थ्रिप्स (Thrips)

ये बहुत छोटे आकार के कीट होते हैं जो पत्तियों के किनारों को नुकसान पहुंचाते हैं। पत्तियां सिकुड़ने लगती हैं और विकास रुक जाता है। रोकथाम के लिए जैविक पद्धतियों में नीम तेल या ट्राइकोडर्मा का छिड़काव फायदेमंद होता है। केमिकल उपायों में डाइमेथोएट 30% ईसी का छिड़काव किया जा सकता है।

फल छेदक कीट (Fruit Borer)

यह कीट बैंगन के फल को नुकसान पहुंचाते हैं। फल में छेद कर देते हैं जिससे बैंगन सड़ने लगते हैं। रोकथाम के लिए खेत में फेरोमोन ट्रैप लगाएं। प्रति 15 लीटर पानी में 5 मिलीलीटर फलूंबेंड़ामाइड 480 एस.सी मिलाकर छिड़काव करें।

तना छेदक कीट (Stem Borer)

यह कीट पौधे के तने में छेद कर देते हैं जिससे पौधा कमजोर हो जाता है। अधिक प्रकोप होने पर पौधा मर सकता है। रोकथाम के लिए प्रभावित पौधों को तुरंत खेत से हटा दें। जैविक नियंत्रण के लिए बेसिलस थुरिंजिएन्सिस (Bt) का छिड़काव करें। इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल का छिड़काव करें।

कीटों से बचाव के प्राकृतिक तरीके

कीटनाशक दवाओं के साथ-साथ जैविक उपाय भी कारगर हैं। नीम का तेल या गोमूत्र का छिड़काव करने से कीटों का प्रकोप कम होता है। खेत में खरपतवार न रखें और फसल चक्र अपनाएँ। मतलब, हर साल एक ही खेत में बैंगन न लगाएँ, बल्कि अलग-अलग फसलें उगाएँ। इससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहेगी और कीटों का खतरा भी कम होगा।

किसानों के लिए अंतिम सलाह

फसल की रोजाना निगरानी करें और कीटों के शुरुआती लक्षण (जैसे पत्तों पर सफेद धब्बे या मकड़ी के जाले) दिखते ही एक्सपर्ट की सलाह लें। सरकारी कृषि केंद्रों पर मुफ्त में कीट नियंत्रण की जानकारी मिलती है। ध्यान रखें, केमिकल दवाओं का छिड़काव सही मात्रा में ही करें, वरना फसल को नुकसान हो सकता है।

बैंगन की फसल को कीटों से बचाना आसान है, बशर्ते समय पर सही कदम उठाए जाएँ। कृषि विशेषज्ञों के बताए उपायों को अपनाकर किसान न केवल फसल बचा सकते हैं, बल्कि मुनाफा भी दोगुना कर सकते हैं।

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  • Shashikant

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