Best Wheat Varieties For MP Farmers: मध्य प्रदेश में गेहूँ की खेती किसानों की रीढ़ है, और रबी 2025 सीजन में बंपर पैदावार के लिए राज्य कृषि विभाग ने कई उन्नत किस्मों की सिफारिश की है। यहाँ गेहूँ का रकबा 90 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है, और उत्पादन उत्तर प्रदेश के बाद दूसरे नंबर पर है। लेकिन जलवायु परिवर्तन, रोग और मिट्टी की समस्या से किसान परेशान हैं। अच्छी खबर यह है कि ICAR और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों ने ऐसी किस्में विकसित की हैं जो कम पानी, रोग प्रतिरोध और उच्च उपज देती हैं।
शरबती गेहूँ 9 लाख हेक्टेयर, ड्यूरम 16 लाख हेक्टेयर और सामान्य गेहूँ 75 लाख हेक्टेयर में बोया जाता है। MSP ₹2,585/क्विंटल और राज्य बोनस ₹115 कुल ₹2,700/क्विंटल भाव मिलेगा, जो किसानों को उत्साहित कर रहा है। आइए, रबी 2025 के लिए टॉप किस्मों की पूरी डिटेल जानें, जिसमें उपज, क्षेत्र, बुवाई, खाद, पानी, रोग नियंत्रण और मुनाफे की बातें शामिल हैं। ये किस्में मध्य प्रदेश के इंदौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर और उज्जैन संभागों के किसानों के लिए बेस्ट हैं।
किस्मों का चुनाव
मध्य प्रदेश में गेहूँ की उपज औसतन 30-35 क्विंटल/हेक्टेयर है, लेकिन नई किस्मों से 50-70 क्विंटल तक पहुँच सकती है। राज्य कृषि विभाग ने टॉप 5 किस्मों की सिफारिश की है। पूसा तेजस (HI-8759), एक ड्यूरम किस्म, उच्चतम 70 क्विंटल/हेक्टेयर क्षमता वाली है, औसत 57 क्विंटल। यह मालवा क्षेत्र के सूखा-प्रवण इलाकों में कम पानी में अच्छी फसल देती है। पूसा अनमोल (HI-8737) 65 क्विंटल क्षमता वाली है, औसत 53 क्विंटल, और इसके दाने चमकदार सुनहरे होते हैं, जो बाजार में 200-300 रुपये प्रति क्विंटल ज्यादा भाव दिलाते हैं।
पूसा मालवी (HD-4728) 68 क्विंटल क्षमता वाली है, औसत 54 क्विंटल, और यह रस्ट रोगों से मजबूत है। JW-3382 68 क्विंटल क्षमता वाली है, औसत 59 क्विंटल, जो देर बुवाई में भी शानदार है। राज-4238 55 क्विंटल क्षमता वाली है, औसत 45.5 क्विंटल, और छोटे किसानों के लिए आसान। ये किस्में ICAR की 2023-24 ट्रायल में चेक वैरायटी से 15-20% बेहतर साबित हुईं। मध्य प्रदेश में गेहूँ का रकबा 2025-26 में 5% बढ़ने की उम्मीद है, क्योंकि MSP और बोनस से किसान उत्साहित हैं। इंदौर और उज्जैन जैसे क्षेत्रों में ड्यूरम किस्में ज्यादा बोई जा रही हैं, क्योंकि तेल निकालने और प्रोसेसिंग में इनकी डिमांड बढ़ रही है।
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शरबती गेहूँ
मध्य प्रदेश में शरबती गेहूँ 9 लाख हेक्टेयर में बोया जाता है, और यहाँ की शरबती किस्में अपनी मिठास और मुलायम रोटी के लिए मशहूर हैं। C-306 शरबती की सबसे पुरानी और लोकप्रिय किस्म है, जो 50-55 क्विंटल/हेक्टेयर उपज देती है। इसके दाने सुनहरे और बड़े होते हैं, और बाजार में 250-400 रुपये प्रति क्विंटल ज्यादा भाव मिलता है। सुजाता (HI-617) 55 क्विंटल उपज वाली है, जो रस्ट और काला दाना रोगों से मजबूत है। JWS-17 52 क्विंटल उपज वाली है, और देर बुवाई में भी अच्छी फसल देती है। अमर (HW 2004) 50 क्विंटल उपज वाली है, जो कम पानी में भी चलती है।
अमृता (HI 1500) 54 क्विंटल उपज वाली है, और इसके दाने चमकदार होते हैं। हर्षिता (HI 1531) 56 क्विंटल उपज वाली है, जो पाला सहन करने वाली है। HD 2987 53 क्विंटल उपज वाली है, और JW-3173 51 क्विंटल उपज वाली है। ये किस्में सीहोर, विदिशा, रायसेन और भोपाल जैसे जिलों में शानदार हैं। शरबती गेहूँ का GI टैग होने से ब्रांडिंग का फायदा मिलता है, और आटा मिलों में इसकी डिमांड बढ़ रही है। 2025 में MSP ₹2,700/क्विंटल होने से शरबती किसानों को 3-3.5 लाख/हेक्टेयर मुनाफा हो सकता है।
ड्यूरम गेहूँ उच्च उपज का स्रोत
मध्य प्रदेश में ड्यूरम गेहूँ 16 लाख हेक्टेयर में बोया जाता है, और यह तेल निकालने और प्रोसेसिंग के लिए बेस्ट है। पूसा अनमोल (HI-8737) 65 क्विंटल क्षमता वाली है, औसत 53 क्विंटल, और इसके दाने कठोर होते हैं। पूसा मालवी (HD-4728) 68 क्विंटल क्षमता वाली है, औसत 54 क्विंटल, जो रस्ट से मुक्त है। पूसा तेजस (HI-8759) 70 क्विंटल क्षमता वाली है, औसत 57 क्विंटल, और कम पानी में 50 क्विंटल देती है। मालवश्री (HI-8381) 60 क्विंटल क्षमता वाली है, औसत 48 क्विंटल। मालव शक्ति (HI-8498) 62 क्विंटल क्षमता वाली है, औसत 50 क्विंटल। मालव रत्न (HD-4672) 58 क्विंटल क्षमता वाली है, औसत 46 क्विंटल। MPO-1215 55 क्विंटल क्षमता वाली है।
पूसा मंगल (HI-8713) 64 क्विंटल क्षमता वाली है, औसत 52 क्विंटल। पूसा पोषण (HI-8663) 66 क्विंटल क्षमता वाली है, औसत 54 क्विंटल, और जिंक से भरपूर है। JW-1255 59 क्विंटल क्षमता वाली है, और JW-1106 57 क्विंटल क्षमता वाली है। ये किस्में जबलपुर, ग्वालियर और उज्जैन संभागों में लोकप्रिय हैं। ड्यूरम गेहूँ का तेल निकालने में 40% तेल मिलता है, जो किसानों को 20% ज्यादा मुनाफा देता है। 2025 में बोनस से भाव ₹2,700/क्विंटल होने से ड्यूरम किसानों को 3.5-4 लाख/हेक्टेयर कमाई हो सकती है। ICAR के ट्रायल में ये किस्में 15% बेहतर साबित हुईं।
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सामान्य गेहूँ भरोसेमंद विकल्प
मध्य प्रदेश में सामान्य गेहूँ 75 लाख हेक्टेयर में बोया जाता है, और यहाँ की किस्में बहुमुखी हैं। लोक-1 50 क्विंटल उपज वाली है, जो छोटे किसानों के लिए आसान है। GW-322 55 क्विंटल उपज वाली है, औसत 45 क्विंटल। GW-273 52 क्विंटल उपज वाली है। GW-366 54 क्विंटल उपज वाली है। GW-173 58 क्विंटल उपज वाली है, देर बुवाई में बेस्ट। MP-1203 56 क्विंटल उपज वाली है। RVW-4106 53 क्विंटल उपज वाली है। GW-451 51 क्विंटल उपज वाली है। GW-3288 59 क्विंटल उपज वाली है। JW-3211 57 क्विंटल उपज वाली है। GW-3382 68 क्विंटल क्षमता वाली है, औसत 59 क्विंटल। JW-1358 55 क्विंटल उपज वाली है।
ये किस्में भोपाल, इंदौर और ग्वालियर संभागों में शानदार हैं। सामान्य गेहूँ MSP पर आसानी से बिकता है, और 2025 में बोनस से 2.5-3 लाख/हेक्टेयर मुनाफा हो सकता है। ICAR की 2024 ट्रायल में GW-3382 20% बेहतर रही।
बुवाई और खेत तैयारी
मध्य प्रदेश में गेहूँ की बुवाई 15 अक्टूबर से 10 दिसंबर तक होती है। समय पर बुवाई से 20% ज्यादा उपज मिलती है। प्रति हेक्टेयर 100 किलो बीज बोएँ। खेत को 2-3 बार जोतें, मिट्टी भुरभुरी करें। बीज को थायरम (3 ग्राम/किलो) से उपचारित करें। पंक्तियों के बीच 20-22 सेंटीमीटर दूरी रखें। मिट्टी का pH 6.5-7.5 हो। ICAR की सलाह है कि बुवाई के समय मिट्टी में नमी हो। देर बुवाई में GW-173 या JW-3382 चुनें। मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में 15 नवंबर तक बोने से 60 क्विंटल उपज मिलती है।
खाद और सिंचाई
खाद में 120 किलो नाइट्रोजन, 60 किलो फॉस्फोरस और 40 किलो पोटाश डालें। आधा नाइट्रोजन बुवाई पर, बाकी पहली सिंचाई और दाना भरने पर। जिंक 25 किलो/हेक्टेयर डालें। 4-5 सिंचाइयाँ दें पहली 20-25 दिन बाद, फिर बूटिंग, फूल आने और दाना भरने पर। कम पानी वाली किस्मों में 3 पानी काफी हैं। मध्य प्रदेश में जहाँ पानी की कमी है, ड्यूरम किस्में 50 क्विंटल दे सकती हैं। ICAR के अनुसार, संतुलित खाद से उपज 15% बढ़ती है।
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रोग नियंत्रण
मध्य प्रदेश में रस्ट और काला दाना रोग आम हैं। शरबती में C-306 रस्ट रोधी है। ड्यूरम में पूसा तेजस 23 रोगों से मुक्त है। सामान्य में GW-3382 मजबूत है। पत्तियों पर धब्बे दिखें तो मैंकोजेब (0.2%) छिड़कें। एफिड के लिए इमिडाक्लोप्रिड (0.3 मिली/लीटर) इस्तेमाल करें। फसल चक्र अपनाएँ गेहूँ के बाद दाल बोएँ। ICAR के ट्रायल में ये किस्में 20% कम नुकसान देती हैं।
उपज और मुनाफा
मध्य प्रदेश में गेहूँ की औसत उपज 35 क्विंटल/हेक्टेयर है, लेकिन नई किस्मों से 50-70 क्विंटल पहुँच सकती है। 2025-26 में MSP ₹2,585 + बोनस ₹115 = ₹2,700/क्विंटल। 60 क्विंटल उपज से 1.62 लाख कमाई, लागत घटाकर 1.2 लाख मुनाफा। शरबती में 300-400 रुपये ज्यादा भाव। ICAR के अनुसार, ये किस्में उत्पादकता 20% बढ़ाएँगी। मध्य प्रदेश में गेहूँ उत्पादन 2.1 करोड़ टन है, और 2025 में 5% वृद्धि की उम्मीद है।
रबी 2025 में नई किस्में अपनाएँ
मध्य प्रदेश के किसान रबी 2025 में पूसा तेजस, JW-3382, C-306 जैसी किस्में बोकर बंपर फसल पा सकते हैं। MSP और बोनस से मुनाफा बढ़ेगा। स्थानीय कृषि केंद्र से बीज लें और सलाह लें। ये किस्में जलवायु परिवर्तन से लड़ने में मदद करेंगी।
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