Dragon fruit farming: ड्रैगन फ्रूट, जिसे लोग पिताया भी कहते हैं, एक ऐसा फल है जो देखने में जितना अनोखा है, खाने में उतना ही मज़ेदार। बाहर से गुलाबी या पीला, अंदर से सफेद या लाल, और छोटे-छोटे काले बीजों वाला ये फल अब भारत में भी खूब पसंद किया जा रहा है। सेहत के लिए भी ये बड़ा फायदेमंद है। अच्छी बात ये है कि अब हमारे गाँवों में भी इसकी खेती शुरू हो गई है, जिससे आप अच्छी कमाई कर सकते हैं। अगर आप अपने खेत में कुछ नया आजमाना चाहते हैं, तो ये लेख आपके लिए ही है। चलिए, ड्रैगन फ्रूट की खेती का देसी तरीका समझते हैं।
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Toggleड्रैगन फ्रूट है क्या?
ये फल कैक्टस की फैमिली से आता है, जो पहले मध्य और दक्षिण अमेरिका में उगता था। अब हमारे यहाँ भी खूब हो रहा है। इसका स्वाद हल्का-सा मीठा होता है, और इसमें ढेर सारा पोषण भरा है। बाहर से गुलाबी, पीला या लाल छिलका और अंदर सफेद या लाल गूदा, बस देखते ही खाने का मन करे। गाँव में इसे बेचो तो अच्छा दाम मिलेगा।
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कहाँ और कैसे उगेगा ये फल?
ड्रैगन फ्रूट को गर्म और थोड़ी नमी वाली जगह पसंद है। 20 से 35 डिग्री तापमान इसके लिए बेस्ट है। सर्दी और पाला इसे बरदाश्त नहीं होता। कम बारिश वाले इलाके इसके लिए ठीक हैं, पर गर्मी में पानी का इंतजाम रखिए। मिट्टी की बात करें तो रेतीली-दोमट मिट्टी इसके लिए बढ़िया है। पानी ज्यादा रुके नहीं, वरना जड़ें सड़ जाएँगी। मिट्टी का pH 5.5 से 7.5 के बीच हो, तो पौधा खूब फलेगा।

ड्रैगन फ्रूट की खास किस्में
इस फल की तीन बड़ी किस्में हैं। पहली है हाइलोसेरियस उन्डेटस, जिसका छिलका गुलाबी और गूदा सफेद होता है। दूसरी है हाइलोसेरियस कोस्टारिसेन्सिस, जिसमें गूदा लाल होता है। तीसरी है हाइलोसेरियस मेगालैंथस, जो बाहर से पीला और अंदर से सफेद होता है। गाँव में जो मौसम और मिट्टी के हिसाब से सही लगे, वही चुनिए।
खेत को तैयार करें, पौधा लगाएँ
खेत की खेती शुरू करने से पहले मिट्टी को अच्छे से जोत लीजिए, ताकि वो भुरभुरी हो जाए। गोबर की सड़ी खाद डालकर मिट्टी को ताकत दीजिए। ड्रैगन फ्रूट की बेल को सहारा चाहिए, तो 4-6 फीट ऊँचे खंभे गाड़ दीजिए।
पौधा लगाने के लिए बीज भी इस्तेमाल कर सकते हैं, पर उसमें 4-5 साल लग जाएँगे। इससे अच्छा है कि कटिंग से लगाएँ। किसी अच्छे पौधे की 30-40 सेंटीमीटर की टहनी काटिए, 2-3 दिन छाँव में सुखाइए, फिर मिट्टी में 3-5 सेंटीमीटर गहरा गाड़ दीजिए। 6-8 महीने में पौधा तैयार हो जाएगा। गाँव में लकड़ी या बाँस के खंभे भी काम कर जाएँगे।
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पानी और खाद का इंतजाम
गर्मी में हर 10-15 दिन में पानी दीजिए। बारिश में ज्यादा पानी न दें, वरना पौधा खराब हो सकता है। ड्रिप वाला पानी देने का सिस्टम बेस्ट है, इससे पानी की बचत भी होगी। खाद में गोबर की खाद और वर्मी कम्पोस्ट डालिए। थोड़ा नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश भी मिला दीजिए। खरपतवार को समय-समय पर साफ करते रहिए। कीड़ों से बचाने के लिए नीम का तेल छिड़क दीजिए, ये देसी और सस्ता उपाय है। बेल को खंभों से बाँधिए, ताकि सही तरह से बढ़े।
खरपतवार को समय-समय पर हटाना आवश्यक होता है। कीटों और बीमारियों से बचाव के लिए नीम का तेल और जैविक कीटनाशकों का उपयोग किया जा सकता है। बेलों को खंभों से बांधकर उनकी सही दिशा में वृद्धि सुनिश्चित करनी चाहिए।
फल कब और कैसे तोड़ें?
पौधा लगाने के 12-18 महीने बाद फल आने शुरू हो जाएँगे। जब फल गुलाबी या लाल हो जाए और हल्का नरम लगे, तो समझिए पक गया। इसे हाथ से तोड़ लीजिए। एक हेक्टेयर में 8-10 टन फल हो सकता है। गाँव में छोटे खेत में भी 2-3 टन निकल आए, तो बढ़िया है।
बाजार में बिक्री और कमाई
ड्रैगन फ्रूट की माँग अब गाँव से लेकर शहर तक बढ़ रही है। इसे नजदीकी मंडी में बेचिए, या शहर के बड़े दुकानों और होटलों में भेजिए। ऑनलाइन बेचने का भी रास्ता है। भारत में इसका दाम अच्छा मिलता है, और विदेश भेजने से तो और फायदा। एक बार खेती शुरू की, तो 20-25 साल तक फल मिलेगा। एक एकड़ में 5-7 लाख की कमाई हो सकती है। गाँव में छोटे खेत से भी 2-3 लाख सालाना निकल आएँगे।
गाँव के लिए खास टिप्स
अगर आपके पास बड़ा खेत नहीं है, तो छोटी जगह में भी इसे उगा सकते हैं। बाँस के खंभों से बेल चढ़ाइए और गमले में भी ट्राई कर सकते हैं। पानी कम लगता है, तो सूखे इलाकों के लिए भी बढ़िया है। बस धूप का ध्यान रखिए, ये फल धूप का भूखा है।
ड्रैगन फ्रूट की खेती कम मेहनत और कम पानी में अच्छा मुनाफा देती है। अगर आप अपने खेत में कुछ नया करना चाहते हैं, तो ये फल आपके लिए बेस्ट है। सही देखभाल और थोड़ी मेहनत से आप भी इसकी खेती से लाखों कमा सकते हैं।
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मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।
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