सितंबर का महीना मटर की खेती शुरू करने का सबसे अच्छा समय है। उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में कार्यरत कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि अक्टूबर के पहले हफ्ते तक बुवाई करने से फसल समय पर तैयार हो जाती है। मटर की खेती छोटे और मध्यम किसानों के लिए फायदेमंद है, क्योंकि यह सिर्फ़ 60 से 70 दिन में पककर तैयार हो जाती है। सही किस्मों का चयन, मिट्टी की अच्छी तैयारी और समय पर बुवाई से किसान बाजार में अच्छी कीमत पा सकते हैं। कई किसानों ने बताया कि मटर की फसल की माँग बाजार में हमेशा बनी रहती है, जिससे मुनाफा बढ़ता है।
अर्ली बैजर: तेज़ पैदावार वाली किस्म
कृषि विज्ञान केंद्र, सुल्तानपुर के विशेषज्ञों के अनुसार, अर्ली बैजर मटर की एक विदेशी किस्म है, जो कम समय में अच्छी पैदावार देती है। इस किस्म के पौधे बौने होते हैं और फलियाँ 50 से 60 दिन में तैयार हो जाती हैं। एक फली में औसतन 5 से 6 दाने होते हैं, और प्रति हेक्टेयर 8 से 10 टन तक उत्पादन मिल सकता है। यह किस्म उन किसानों के लिए खास है जो जल्दी फसल तैयार कर बाजार में बेचना चाहते हैं। इसकी फलियों के दाने मीठे और झुर्रीदार होते हैं, जिसकी वजह से बाजार में इनकी माँग अच्छी रहती है।
जीएस 10: यूपी के लिए उपयुक्त
जीएस 10 मटर की एक उन्नत किस्म है, जो उत्तर प्रदेश के मौसम और मिट्टी के लिए बहुत अच्छी है। इसकी बुवाई सितंबर के आखिरी हफ्ते से अक्टूबर की शुरुआत में की जाती है। यह किस्म प्रति एकड़ 44 से 48 क्विंटल तक पैदावार दे सकती है। कई किसानों ने अनुभव साझा किया कि इस किस्म की मटर की फलियाँ मजबूत होती हैं, जिससे इन्हें स्टोर करना आसान है। बाजार में इसकी कीमत भी अच्छी मिलती है, जिससे यह किसानों के लिए मुनाफेदार साबित होती है।
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आइ पी एफ डी 10: नई और लोकप्रिय किस्म
आइ पी एफ डी 10 मटर की एक नई किस्म है, जो तेज़ी से पकने के लिए जानी जाती है। इसकी फलियाँ 9 से 10 सेंटीमीटर लंबी होती हैं और प्रति एकड़ 40 से 42 क्विंटल तक उत्पादन देती हैं। यह फसल 60 दिन में तैयार हो जाती है, जिससे किसान जल्दी बिक्री कर सकते हैं। इस किस्म की मटर की माँग न सिर्फ़ स्थानीय बाजारों में, बल्कि होटल और रेस्तरां में भी रहती है। यह छोटे खेतों में भी आसानी से उगाई जा सकती है, जिससे यह छोटे किसानों के लिए भी फायदेमंद है।
किसानों के लिए जरूरी टिप्स
मटर की खेती में सफलता के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। बुवाई से पहले मिट्टी की जाँच कराएँ और गोबर की खाद या जैविक खाद का उपयोग करें। इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और पैदावार अच्छी होती है। पौधों के बीच सही दूरी रखें, ताकि उन्हें धूप और हवा मिले। कीटों से बचाव के लिए खेत की नियमित जाँच करें और जरूरत पड़ने पर जैविक कीटनाशक का उपयोग करें। अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क करें, ताकि अच्छी गुणवत्ता वाले बीज और नई तकनीकों की जानकारी मिल सके।
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