India Monsoon Forecast: भारत में मानसून का इंतज़ार हर साल किसानों, पशुपालकों, और ग्रामीण अर्थव्यवस्था से जुड़े लोगों के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है। यह बारिश न केवल खेतों को सींचती है, बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता को भी मजबूत करती है। 2025 में मौसम वैज्ञानिकों ने खुशखबरी दी है कि दक्षिण-पश्चिम मानसून अपने तय समय से पहले भारत में दस्तक दे सकता है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) और निजी मौसम एजेंसी Skymet के अनुसार, मानसून 13 मई तक अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में पहुंच सकता है, जो सामान्य से एक सप्ताह पहले है। इसके बाद मई के अंत तक केरल में बारिश शुरू होने की संभावना है। यह लेख आपको विस्तृत जानकारी देगा।
मानसून 2025 का आगमन
दक्षिण-पश्चिम मानसून भारत में बारिश का सबसे बड़ा स्रोत है, जो जून से सितंबर तक देश के 70% से अधिक वर्षा जल प्रदान करता है। सामान्य तौर पर, मानसून 20 मई के आसपास अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में प्रवेश करता है और 1 जून तक केरल पहुंचता है। लेकिन 2025 में मौसम की गतिशीलता में बदलाव देखा जा रहा है। IMD के अनुसार, बंगाल की खाड़ी में कम दबाव का क्षेत्र और दक्षिण-पश्चिमी हवाओं की तेज़ गति के कारण मानसून 13 मई तक अंडमान पहुंच सकता है। Skymet ने भी 14-15 मई तक इसकी पुष्टि की है, क्योंकि थाईलैंड के पास बन रही हल्की मौसमी प्रणाली मानसूनी हवाओं को तेज़ कर रही है।
केरल में मानसून की शुरुआत मई के अंतिम सप्ताह, यानी 25-28 मई तक हो सकती है। इसके बाद यह दक्षिण भारत, मध्य भारत, और फिर उत्तर भारत की ओर बढ़ेगा। जुलाई के मध्य तक पूरे देश में मानसून फैल जाएगा। IMD का अनुमान है कि 2025 में बारिश दीर्घकालिक औसत (LPA) का 105% होगी, जिसमें 5% की कमी-बेशी संभव है। यह सामान्य से अधिक बारिश का संकेत है, जो खरीफ फसलों के लिए लाभकारी होगा।
समय से पहले मानसून के कारण
मानसून के जल्दी आने के पीछे कई वैज्ञानिक कारण हैं। ग्लोबल NWP मॉडल्स के अनुसार, 2025 में प्रशांत महासागर में ला नीना की स्थिति कमज़ोर होगी, जिससे मानसूनी हवाएं तेज़ होंगी। बंगाल की खाड़ी में कम दबाव का क्षेत्र और पश्चिमी विक्षोभ का मई के दूसरे सप्ताह में उत्तर-पश्चिम भारत से हटना भी मानसून की प्रगति को बढ़ावा देगा। इसके अलावा, जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्री सतह का तापमान बढ़ रहा है, जो मानसूनी बादलों के निर्माण को तेज़ करता है। Skymet ने बताया कि अंडमान सागर में 12-15 मई के बीच प्री-मानसून बारिश शुरू हो सकती है, जो मानसून के आगमन का संकेत है।
खरीफ फसलों के लिए लाभ
खरीफ फसलें, जैसे धान, मक्का, गन्ना, कपास, सोयाबीन, और बाजरा, मानसून पर निर्भर होती हैं। समय से पहले मानसून का आना इन फसलों की बुवाई और विकास के लिए कई लाभ लाएगा। सबसे बड़ा फायदा यह है कि किसान जून की शुरुआत में ही बुवाई शुरू कर सकेंगे। इससे फसलों को पर्याप्त पानी और समय मिलेगा, जिससे उनकी गुणवत्ता और उपज बढ़ेगी।
धान, जो भारत की प्रमुख खरीफ फसल है, को शुरुआती बारिश से बहुत लाभ होगा। ICAR के अनुसार, समय पर बुवाई से धान की उपज 10-15% तक बढ़ सकती है। मक्का और सोयाबीन जैसी फसलों को भी पर्याप्त नमी मिलेगी, जिससे उनकी जड़ें मज़बूत होंगी। गन्ना, जो अधिक पानी मांगता है, इस बार बेहतर उत्पादन दे सकता है। कपास और मूंगफली जैसी फसलों में कीटों का प्रकोप कम होगा, क्योंकि शुरुआती बारिश खेतों को साफ रखेगी।
पशुधन के लिए अवसर
मानसून का समय से पहले आना पशुपालकों के लिए भी खुशखबरी है। बारिश से हरे चारे की फसलें, जैसे ज्वार, बाजरा, और मक्का, समय पर उगाई जा सकेंगी। इससे पशुओं को ताज़ा और पौष्टिक चारा मिलेगा, जो दूध और मांस उत्पादन को बढ़ाएगा। KVK के अनुसार, हरे चारे की उपलब्धता से पशुओं में बीमारियों की संभावना 20% तक कम हो सकती है।
अगर मानसून इस बार समय से पहले आता है तो यह देश के किसानों के लिए एक सुनहरा अवसर हो सकता है। सरकार और कृषि विशेषज्ञों की सलाह मानते हुए अगर किसान अभी से तैयारियों में लग जाएं तो खरीफ सीजन में उत्पादन और मुनाफा दोनों में वृद्धि संभव है।
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