सर्दियों का मौसम शुरू होते ही सब्जियों के खेतों में हलचल बढ़ जाती है। ठंडी हवा और नमी वाला यह समय मूली की खेती के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। किसानों के लिए खुशखबरी यह है कि अब राष्ट्रीय बीज निगम (NSC) ने मूली की एक बेहतरीन वैरायटी ‘काशी हंस’ पेश की है, जिसके 100 ग्राम बीज का पैक सिर्फ ₹51 में उपलब्ध है। यह बीज ट्रुथफुल लेबल्ड (TL) हैं, यानी गुणवत्ता की पूरी गारंटी के साथ प्रमाणित। कम लागत, कम मेहनत और तेज़ी से बढ़ने वाली यह मूली किसानों के लिए इस रबी सीजन का शानदार विकल्प बन गई है।
अक्टूबर से नवंबर तक मूली की बुवाई का समय सबसे सही रहता है। ऐसे में काशी हंस वैरायटी की यह पेशकश छोटे बगीचों से लेकर बड़े खेतों तक सभी किसानों के लिए सस्ती और भरोसेमंद साबित हो रही है। NSC का यह कदम आत्मनिर्भर कृषि की दिशा में भी बड़ा योगदान है, जिससे किसान अपने खेतों में उच्च गुणवत्ता के भारतीय बीज इस्तेमाल कर सकें।
काशी हंस मूली की पहचान
काशी हंस मूली की यह किस्म वाराणसी के कृषि विज्ञान केंद्र (IIVR – ICAR) द्वारा विकसित की गई है। इसकी सफेद, लंबी और चमकदार जड़ें देखने में आकर्षक होती हैं। हर मूली का औसत वजन 200 से 300 ग्राम तक होता है, जो पूरी तरह रसीली और हल्की मिठास लिए होती है। स्वाद में यह पारंपरिक मूली से कहीं ज्यादा कुरकुरी है, इसलिए बाजार में इसकी मांग लगातार बढ़ रही है।
NSC के अनुसार, यह किस्म कम पानी में भी अच्छी उपज देती है और बुवाई के 45 से 50 दिनों के अंदर कटाई के लिए तैयार हो जाती है। यानी जो किसान जल्दी नकदी फसल चाहते हैं, उनके लिए यह वैरायटी सबसे बढ़िया है। इसके पत्ते भी हरे और पौष्टिक होते हैं, जिन्हें सब्जी या चटनी के रूप में बेचा जा सकता है।
काशी हंस मूली में विटामिन सी, पोटैशियम और फाइबर की भरपूर मात्रा होती है, जो इसे सेहत के लिए बेहद फायदेमंद बनाती है। अचार, सलाद और सब्जी के रूप में इसकी लगातार मांग रहती है। किसान बताते हैं कि यह वैरायटी पारंपरिक मूली की तुलना में 15–20% ज्यादा उपज देती है और रोगों के प्रति मजबूत है।
बुवाई और खेत की तैयारी
काशी हंस मूली की बुवाई अक्टूबर के आखिरी सप्ताह से लेकर नवंबर के मध्य तक करना सबसे अच्छा रहता है। इस दौरान तापमान 15 से 25 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए। दोमट या रेतीली दोमट मिट्टी इसके लिए आदर्श मानी जाती है, जिसमें पानी की निकासी अच्छी हो।
खेत तैयार करते समय हल्की जुताई करें और प्रति एकड़ 5 से 7 टन गोबर की सड़ी खाद डालें। इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और जड़ों का विकास अच्छा होता है। बीजों को आधा इंच गहराई पर बोएं और पंक्तियों के बीच 15 से 20 सेंटीमीटर की दूरी रखें। बीज की मात्रा प्रति एकड़ 8 से 10 किलो पर्याप्त रहती है।
बीज बोने से पहले उन्हें फफूंदनाशक (थायरम या कार्बेन्डाजिम) से उपचारित करें, ताकि जड़ सड़न और फफूंदी जैसी बीमारियों से बचाव हो। बुवाई के बाद तुरंत पहली सिंचाई करें और फिर हर 7 से 10 दिन में हल्की सिंचाई करते रहें। फसल को ज्यादा पानी देने से बचें क्योंकि इससे जड़ें फट सकती हैं। जैविक खेती करने वाले किसान वर्मी कम्पोस्ट या जीवामृत का इस्तेमाल करें, इससे मूली ज्यादा स्वादिष्ट और सुरक्षित बनती है।
रोग और कीट प्रबंधन
सर्दियों में मूली पर कभी-कभी फफूंदी या जड़ सड़न की समस्या आती है। इसके लिए फसल के चारों ओर पानी का जमाव न होने दें और सिंचाई नियंत्रित रखें। कीट नियंत्रण के लिए नीम तेल या नीम की गिरी का घोल छिड़कना सबसे कारगर उपाय है। खेत में निराई-गुड़ाई करते रहें ताकि खरपतवार न फैलें। इस वैरायटी में पहले से ही रोग प्रतिरोधकता अधिक है, इसलिए रासायनिक छिड़काव की जरूरत बहुत कम पड़ती है।
कम लागत में बड़ा फायदा
काशी हंस मूली की सबसे खास बात यह है कि यह कम समय में भारी पैदावार देती है। प्रति हेक्टेयर औसतन 200 से 250 क्विंटल तक उपज मिल जाती है। बाजार में सर्दियों के दौरान मूली का भाव 10 से 15 रुपये प्रति किलो तक रहता है, जिससे किसानों को एक एकड़ में 50 से 70 हजार रुपये तक का मुनाफा मिल सकता है।
इस फसल की लागत भी बहुत कम है बीज, खाद और सिंचाई मिलाकर प्रति एकड़ लगभग 10 से 15 हजार रुपये में खेती हो जाती है। रोग प्रतिरोधकता होने के कारण कीटनाशक पर खर्च भी बच जाता है। यही वजह है कि छोटे किसान इसे घर के बगीचे से लेकर व्यावसायिक स्तर तक सफलतापूर्वक उगा रहे हैं।
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बीज कैसे खरीदें
राष्ट्रीय बीज निगम ने किसानों की सुविधा के लिए काशी हंस मूली के 100 ग्राम बीज पैक को ऑनलाइन उपलब्ध कराया है। किसान mystore.in पर जाकर “NSC Radish Kashi Hans” सर्च करें और ₹51 में ऑर्डर कर सकते हैं। हर पैक पर QR कोड दिया गया है, जिससे इसकी असलियत की जांच की जा सकती है। यह बीज 85–90 प्रतिशत अंकुरण दर के साथ प्रमाणित हैं और ONDC प्लेटफॉर्म के ज़रिए घर तक डिलीवर हो जाते हैं।
एक 100 ग्राम पैक से 200 से 300 पौधे तैयार किए जा सकते हैं, जो छोटे खेत या किचन गार्डन के लिए पर्याप्त है। बाजार में जहां निजी कंपनियों के बीज 80–100 रुपये तक बिकते हैं, वहीं NSC का यह ऑफर किसानों के लिए बेहद किफायती है।
क्यों अपनाएं काशी हंस मूली
काशी हंस मूली सर्दियों के मौसम में किसानों के लिए वरदान है। इसकी तेजी से बढ़ने की क्षमता, स्वाद, बाजार मांग और कम लागत इसे खास बनाती है। NSC की सस्ती पेशकश से किसान बिना ज्यादा निवेश के खेती शुरू कर सकते हैं। यह वैरायटी न सिर्फ बाजार में ऊंचा भाव दिलाती है, बल्कि मिट्टी की सेहत और पर्यावरण के लिए भी अनुकूल है।
अगर आप इस सीजन में खेती की योजना बना रहे हैं, तो देर न करें। आज ही NSC की वेबसाइट या mystore.in पर जाकर बीज मंगवाएं और काशी हंस मूली से अपने खेतों को लाभ की फसल में बदलें। यह किस्म आपकी जेब भरेगी, खेत सजाएगी और सर्दियों की सब्जी मंडियों में आपकी पहचान बनाएगी।
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